BCI संशोधन अधिकार क्षेत्र ग्रहण नहीं कर सकता, जब मामला राज्य बार काउंसिल के समक्ष लंबित हो: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

Update: 2024-10-21 06:22 GMT

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) के उस आदेश पर अगली सुनवाई तक रोक लगाई, जिसमें उसने हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास मलिक के विरुद्ध पंजाब एवं हरियाणा बार काउंसिल के अंतरिम निर्णय को स्थगित कर दिया था।

जुलाई में पंजाब एवं हरियाणा बार काउंसिल ने मलिक का लाइसेंस निलंबित किया तथा धन के गबन से संबंधित उनके विरुद्ध शिकायतों पर अंतिम निर्णय होने तक उन्हें किसी भी न्यायालय में प्रैक्टिस करने से रोक दिया था। BCI ने निर्णय को पलट दिया।

चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल ने कहा,

"अधिनियम की धारा 48ए के दायरे और भावना के संबंध में बार काउंसिल ऑफ इंडिया से कोई सहायता नहीं मिली। इसलिए यह न्यायालय प्रथम दृष्टया इस विचार पर है कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा पुनर्विचार क्षेत्राधिकार केवल तभी माना जा सकता है, जैसा कि अधिनियम की धारा 48ए के स्पष्ट पाठ से स्पष्ट है, जब किसी मामले का निपटारा राज्य बार काउंसिल या उसकी समिति द्वारा किया जाता है, लेकिन राज्य बार काउंसिल के समक्ष कार्यवाही के लंबित रहने के दौरान नहीं।"

पीठ ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा पारित किए गए जिन आदेशों को चुनौती दी गई, वे प्रथम दृष्टया क्षेत्राधिकार संबंधी त्रुटि से ग्रस्त हैं।

BCI द्वारा पारित आदेश पर रोक लगाते हुए न्यायालय ने BCI को निर्देश दिया कि पहले अधिकार क्षेत्र के प्रश्न पर निर्णय लिया जाए। उसके बाद 22.10.2024 तक गुण-दोष पर विचार किया जाए।

सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पाया कि Advocate Act 1961 की धारा 48ए के दायरे और विस्तार तथा क्या BCI किसी मामले में पुनर्विचार अधिकार क्षेत्र ग्रहण कर सकता है, जो राज्य बार काउंसिल के समक्ष लंबित है, उसके बारे में पूछे गए विशिष्ट प्रश्न पर न तो अमित वैद और न ही प्रतीक सोढ़ी उत्तर देने में सक्षम हैं और उन्होंने समय मांगा है।

Advocate Act की धारा 48ए का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करते हुए BCI मलिक और हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के सचिव स्वर्ण सिंह तिवाना के खिलाफ राज्य बार काउंसिल के समक्ष विचाराधीन अनुशासनात्मक कार्यवाही के संबंध में पंजाब और हरियाणा राज्य बार काउंसिल द्वारा 04.07.2024 और 26.07.2024 को पारित अंतरिम आदेशों की वैधता और वैधता का आकलन कर रहा है।

मामले को 10 अक्टूबर के लिए सूचीबद्ध करते हुए खंडपीठ ने कहा कि पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के बार एसोसिएशन के दिन-प्रतिदिन के मामलों का प्रबंधन एसोसिएशन के उपाध्यक्ष और संयुक्त सचिव द्वारा किया जाएगा।

केस टाइटल: अंजलि कुकर और अन्य बनाम बार काउंसिल ऑफ इंडिया और अन्य

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