AO को धारा 197 के तहत आवेदन को सरसरी तौर पर खारिज करने का अधिकार नहीं: पटना हाईकोर्ट

Update: 2024-08-14 09:38 GMT
AO को धारा 197 के तहत आवेदन को सरसरी तौर पर खारिज करने का अधिकार नहीं: पटना हाईकोर्ट

पटना हाईकोर्ट ने माना कि करदाता के खिलाफ लंबित मांग आयकर अधिनियम (IT Act) की धारा 197 के तहत आवेदन को सरसरी तौर पर खारिज करने का अधिकार कर निर्धारण अधिकारी को नहीं देती।

चीफ जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस पार्थ सारथी की खंडपीठ ने कहा कि धारा 197 केवल कर निर्धारण अधिकारी को यह संतुष्ट करने का अधिकार देती है कि प्राप्तकर्ता की कुल आय किसी भी कम दर या शून्य दर पर आयकर की कटौती को उचित ठहराती है।

याचिकाकर्ता/करदाता ने आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 197 के तहत दायर आवेदनों की अस्वीकृति को चुनौती दी है। IT Act की धारा 197 करदाताओं को अपनी कर देयता को कम करने के लिए कम कटौती या कर की कटौती न करने के प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करने की सुविधा प्रदान करती है। यह प्रमाण पत्र अधिकृत अधिकारी द्वारा जारी किया जाता है। यदि करदाता की आय निर्दिष्ट सीमा से कम है। करदाता ने बैंकों से अर्जित ब्याज आय में शून्य पर TDS की कटौती की मांग की थी, क्योंकि याचिकाकर्ता का तर्क था कि कुल आय धारा 197 के तहत इस तरह के लाभ को उचित ठहराती है।

आदेशों में केवल यह पाया गया कि कर निर्धारण वर्ष 2018-19 के संबंध में कर मांग थी, जो लंबित है। इसलिए कम दर/शून्य दर पर कटौती संभव नहीं है। करदाता ने तर्क दिया कि वर्ष 2018-19 के लिए कर मांग पर प्रधान आयकर आयुक्त ने प्रथम अपील के निपटारे तक रोक लगा दी। अदालत ने कहा कि विभाग ने रोक आदेश का अनुपालन नहीं किया।

न्यायालय ने आदेश रद्द करते हुए कहा कि धारा 197 के तहत दर्ज की जाने वाली संतुष्टि स्पष्ट रूप से संबंधित कर निर्धारण वर्ष के लिए प्राप्तकर्ता की कुल आय के संबंध में है, जहां बैंकों में सावधि जमा से अर्जित ब्याज आय के लिए शून्य दर पर कटौती का दावा किया जाता है।

न्यायालय ने कर निर्धारण अधिकारी के समक्ष आवेदन बहाल किया।

केस टाइटल- इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट अथॉरिटी बनाम आयकर के सहायक आयुक्त

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