आधिकारिक निष्कासन पर विवाद के बीच पटना हाइकोर्ट ने अनुसूचित जाति पैनल प्रमुख, सदस्यों की नई नियुक्तियों पर रोक लगाई

Update: 2024-03-11 07:28 GMT

अनुसूचित जाति (SC) आयोग के तीन अधिकारियों द्वारा उन्हें हटाए जाने के खिलाफ दायर याचिका के जवाब में पटना हाइकोर्ट ने राज्य सरकार को अध्यक्ष और सदस्यों के पदों पर कोई भी नई नियुक्ति करने से परहेज करने का निर्देश दिया।

जस्टिस संदीप कुमार ने पिछले सप्ताह राजेंद्र कुमार सहित अधिकारियों की ओर से दायर रिट याचिका की सुनवाई के दौरान यह निर्देश जारी किया।

याचिका में कई राहतों की मांग की गई, जिसमें 2 फरवरी 2024 की अधिसूचना रद्द करना भी शामिल है, जिसने प्रस्ताव के खंड 4 (जीए) मेमो नंबर- 5614 दिनांक 18 नवंबर 2009 के तहत प्रशासनिक आवश्यकता और सार्वजनिक हित का हवाला देते हुए याचिकाकर्ताओं को राज्य अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों के रूप में उनकी भूमिकाओं से हटा दिया था।

याचिका में उन्हें बहाल करने और हटाए जाने की तारीख से वेतन और परिलब्धियों का भुगतान करने की भी मांग की गई।

वकील वाई.वी. गिरी याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे ने तर्क दिया कि निष्कासन में औचित्य का अभाव है और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह के निर्णय बिना कारण और उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना अचानक नहीं किए जा सकते।

याचिका का जवाब देते हुए जस्टिस कुमार ने निर्देश दिया,

"राज्य को सुनवाई की अगली तारीख पर या उससे पहले मामले में पैरा-वार जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया जाता है।"

उन्होंने कहा,

"रिट याचिका के लंबित रहने के दौरान याचिकाकर्ता के पद पर कोई नई नियुक्ति नहीं की जाएगी।"

केस टाइटल- राजेंद्र कुमार और अन्य बनाम बिहार राज्य और अन्य

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