पटना हाईकोर्ट ने स्थानीय नेताओं के साथ सांठगांठ करने वाले BDO को चेतावनी दी, चुनाव आयोग के निर्देशों के बारे में जागरूकता लाने का आदेश दिया

Update: 2024-09-11 06:27 GMT

पटना हाईकोर्टने बिहार सरकार को निर्देश दिया कि वह सभी प्रखंड विकास अधिकारियों (BDO) सह पंचायत समितियों के कार्यकारी अधिकारियों की राज्य स्तरीय बैठक बुलाए, जिससे उन्हें बिहार पंचायत राज अधिनियम, 2006 के कामकाज राज्य चुनाव आयोग द्वारा जारी निर्देशों और अधिनियम के संबंध में हाईकोर्ट द्वारा पारित निर्णयों के बारे में जागरूक और संवेदनशील बनाया जा सके।

न्यायालय ने BDO द्वारा प्रमुख और उप-प्रमुख के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव बैठक बुलाने से इनकार करने के अनधिकृत कृत्य पर निराशा व्यक्त की, जबकि पंचायत के एक तिहाई सदस्य ऐसी बैठक आयोजित करने के लिए सहमत थे। BDO को दिशा-निर्देशों के अनुसार कार्य करने की चेतावनी दी गई अन्यथा उनके विरुद्ध कानून के अनुसार उचित कार्रवाई की जाएगी।

अब समय आ गया कि विभाग राज्य की राजधानी में सभी प्रखंड विकास पदाधिकारियों सह पंचायत समितियों के कार्यपालक पदाधिकारियों की राज्य स्तरीय बैठक बुलाए, जिसमें विभाग के सीनियर पदाधिकारी तथा राज्य निर्वाचन आयोग के पदाधिकारी, एडवोकेट जनरल बिहार तथा एडवोकेट जनरल द्वारा नामित कोई सीनियर सरकारी वकील/सीनियर वकील शामिल हों। उन्हें क्या करें/क्या न करें के दिशा-निर्देश दिए जाएं, अधिनियम के बारे में उन्हें जागरूक किया जाए, विभाग तथा राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा समय-समय पर जारी किए गए, पत्रों/ज्ञापनों/परिपत्रों तथा अधिनियम से संबंधित पटना हाईकोर्ट के विभिन्न निर्णयों के बारे में उन्हें जागरूक किया जाए।

उन्हें यह स्पष्ट करते हुए सख्ती से कार्य करने का निर्देश दिया जाए कि ऐसा न करने पर उनके विरुद्ध कानून के अनुसार उचित कार्रवाई की जाएगी।

न्यायालय ने कहा,

"आदेश की कॉपी प्रतिवादी नंबर 1 अतिरिक्त मुख्य सचिव/प्रधान सचिव, पंचायत राज विभाग, बिहार, पटना को उनके अवलोकनार्थ तथा आवश्यक कार्रवाई के लिए भेजी जाए।"

जस्टिस राजीव रॉय की पीठ ने तर्क दिया कि BDO न केवल अधिनियम के साथ-साथ विभाग के दिशा-निर्देशों तथा समय-समय पर दिए गए निर्णयों से भी अनभिज्ञ हैं तथा स्थानीय स्तर पर सत्ता में बैठे लोगों की मिलीभगत से स्वतंत्र रूप से कार्य कर रहे हैं। इसलिए राज्य के हित में यह होगा कि राज्य भर में पंचायत समितियों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए शीघ्र ही ऐसी बैठक आयोजित की जाए।

यह ऐसा मामला था, जिसमें BDO ने पंचायत सदस्यों के एक तिहाई अनुमोदन के बावजूद प्रमुखों तथा उप-प्रमुखों के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव के लिए बैठक बुलाने से इनकार कर दिया था। BDO ने तर्क दिया कि एक बार अविश्वास प्रस्ताव की कार्यवाही अपेक्षित कोरम की अपर्याप्तता के कारण समाप्त हो जाने के बाद प्रमुखों तथा उप-प्रमुखों के विरुद्ध कोई नया प्रस्ताव नहीं अपनाया जा सकता।

इस तरह की प्रथा की निंदा करते हुए न्यायालय ने स्पष्ट किया कि प्रमुखों और उप-प्रमुखों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के लिए पंचायत समिति के 1/3 सदस्यों द्वारा बुलाई गई बैठक को BDO द्वारा मना करना अनुचित होगा।

साथ ही न्यायालय ने कहा कि जब बैठक बुलाई गई लेकिन सदस्यों की अनुपस्थिति के कारण कोई प्रस्ताव पारित नहीं हुआ तो प्रमुख और उप-प्रमुख के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा करने के लिए नई विशेष बैठक बुलाने पर कोई रोक नहीं है।

न्यायालय ने धर्मशीला कुमारी बनाम हेमंत कुमार और अन्य में 2021 (3) पीएलजेआर 346 में पारित अपने फैसले पर भरोसा किया, जहां यह स्पष्ट किया गया कि कोई भी प्रस्ताव जिस पर मतदान नहीं हुआ। उस पर अधिनियम की धारा 44(3) (ii) के तहत निर्धारित अविश्वास का नया प्रस्ताव लाने की कानूनी रोक लागू नहीं होगी।

केस टाइटल- यास्मीन आश और अन्य बनाम बिहार राज्य एवं अन्य, सिविल रिट अधिकार क्षेत्र

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