'हिंदी केवल 9 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों की आधिकारिक भाषा': नए आपराधिक कानूनों के हिंदी नामों के खिलाफ याचिका दायर

Update: 2024-07-02 04:48 GMT

मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई, जिसमें नए आपराधिक कानूनों- भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 के हिंदी नामों को संविधान, राजभाषा अधिनियम 1963 और तमिलनाडु राजभाषा अधिनियम 1956 के विरुद्ध घोषित करने की मांग की गई।

वकील रामकुमार आदित्यन द्वारा दायर याचिका में कैबिनेट सचिवालय, गृह सचिव और विधि सचिव को नए आपराधिक कानूनों के लिए अंग्रेजी नामकरण प्रदान करने के लिए उचित कदम उठाने के निर्देश देने की मांग की गई।

अपनी याचिका में आदित्यन ने कहा कि केंद्र सरकार ने नए आपराधिक कानूनों को हिंदी और संस्कृत नाम दिए हैं। उन्होंने कहा कि देश के 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों में से केवल 9 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में हिंदी आधिकारिक भाषा है। उन्होंने कहा कि हिंदी 56.37% भारतीयों की मातृभाषा नहीं है, फिर भी केंद्र सरकार ने नए कानूनों का नाम हिंदी और संस्कृत में रखने का फैसला किया।

आदित्यन ने कहा कि उन्होंने लॉ स्टूडेंट, लॉ टीचर्स, वकीलों, कानून अधिकारियों, न्यायिक अधिकारियों और आम जनता के हित में याचिका दायर की, जो हिंदी और संस्कृत से परिचित नहीं हैं और जिनके लिए नए कानून भ्रम, अस्पष्टता और कठिनाई पैदा करेंगे।

उन्होंने इस प्रकार बताया कि नए कानूनों के हिंदी नाम गैर-हिंदी भाषी लोगों के किसी भी पेशे का अभ्यास करने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करते हैं। इसके अलावा, आदित्यन ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 348 (1) (ए) के अनुसार सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में सभी कार्यवाही अंग्रेजी में होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 348 लाने का विधायी उद्देश्य अंग्रेजी का व्यापक उपयोग और स्वीकृति है, जो क्षेत्रीय और भाषाई बाधाओं को पार करते हुए पूरे भारत में व्यापक रूप से बोली और समझी जाती है।

आदित्यन ने कहा कि अदालत में अंग्रेजी नामों का उपयोग करने से एकरूपता और सुलभता सुनिश्चित होती है, जिससे देश के विभिन्न हिस्सों के वादी और कानूनी पेशेवर प्रभावी ढंग से संवाद कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी भाषा का उपयोग कानूनी ज्ञान तक पहुंच को आसान बनाता है, क्योंकि सभी कानूनी मिसालें और साहित्य अंग्रेजी में हैं। इसके अलावा, अंग्रेजी भाषा के उपयोग के माध्यम से एकरूपता लाने से गलत व्याख्या या गलतफहमी की संभावना भी कम हो जाती है।

आदित्यन ने कहा कि तमिलनाडु राजभाषा अधिनियम 1956 की धारा 4 के अनुसार, तमिल और अंग्रेजी तमिलनाडु में आधिकारिक भाषाएं हैं। इस प्रकार, नए हिंदी नाम तमिलनाडु राजभाषा अधिनियम का उल्लंघन करेंगे। आदित्यन ने जोर देकर कहा कि विधायिकाओं द्वारा लिखे गए कानून आम आदमी के साथ-साथ कानूनी पेशेवर के लिए भी समझने योग्य होने चाहिए।

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