NIA से पहले ही आपको कैसे पता चला कि रामेश्वरम कैफे पर हमला करने वालों को तमिलनाडु में प्रशिक्षित किया गया? हाईकोर्ट का BJP मंत्री से सवाल

Update: 2024-07-11 08:01 GMT

मद्रास हाईकोर्ट ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) मंत्री शोभा करंदलाजे से पूछा कि उन्होंने कैसे दावा किया कि NIA की तलाशी से पहले ही रामेश्वरम कैफे में बम विस्फोट करने वालों को तमिलनाडु में प्रशिक्षित किया गया।

हाईकोर्ट ने बुधवार को केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे से उनके उस बयान के लिए सवाल किया, जिसमें उन्होंने बेंगलुरु के रामेश्वरम कैफे में हुए बम विस्फोट को तमिलनाडु से जोड़ा था।

शोभा के खिलाफ आरोप है कि मार्च 2024 में रामेश्वरम कैफे में हुए विस्फोटों के बाद उन्होंने कथित तौर पर कहा,

"तमिलनाडु में प्रशिक्षित लोग यहां बम लगाते हैं। होटल में बम लगाया गया था।"

इसके बाद मदुरै निवासी त्यागराजन ने शिकायत दर्ज कराई कि कथित टिप्पणी का उद्देश्य तमिलों और कन्नड़ लोगों के बीच दुश्मनी और नफरत पैदा करना है। शिकायत के बाद शोभा पर आईपीसी की धारा 153, 153(ए), 505(1)(बी) और 505(2) के तहत आरोप लगाए गए। इसी अपराध के लिए बेंगलुरु के चिकपेट पुलिस स्टेशन में एक और एफआईआर भी दर्ज की गई।

जस्टिस जी जयचंद्रन ने बुधवार को पूछा कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा छापेमारी से पहले ही मंत्री विस्फोटों को तमिलनाडु के लोगों से कैसे जोड़ सकते हैं।

न्यायालय ने कहा कि यदि मंत्री के पास विस्फोट के बारे में कोई जानकारी थी तो जिम्मेदार नागरिक के रूप में उन्हें जांच एजेंसी को इसकी जानकारी देनी चाहिए थी, जो उन्होंने नहीं की।

हालांकि करंदलाजे के वकील ने न्यायालय से अंतरिम प्रार्थना को स्वीकार करने और चल रही जांच पर रोक लगाने का आग्रह किया, लेकिन सरकारी वकील ने प्रार्थना का विरोध किया। न्यायालय से उनके इंटरव्यू की वीडियो क्लिपिंग दिखाने का आग्रह किया, जिससे बयान देते समय उनकी मंशा का पता चलेगा। उन्होंने कहा कि मंत्री के बयानों का उद्देश्य दो समूहों के लोगों के बीच दुश्मनी पैदा करना है।

हालांकि, न्यायालय ने कोई अंतरिम राहत नहीं दी, लेकिन मामले को आगे की सुनवाई के लिए 12 जुलाई, शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दिया। इस बीच न्यायालय ने अभियोजन पक्ष से केस डायरी पेश करने को कहा।

अपनी याचिका में मंत्री ने प्रस्तुत किया कि एफआईआर गलत इरादे से दर्ज की गई और यह प्रक्रिया का दुरुपयोग है।

उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने इरादे स्पष्ट करते हुए और बयानों के लिए माफी मांगते हुए अपनी टिप्पणी पहले ही वापस ले ली। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद आपराधिक कानून को लागू करना दुर्भावनापूर्ण है और संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) द्वारा गारंटीकृत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मूल पर प्रहार है।

केस टाइटल: शोभा करंदलाजे बनाम राज्य

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