'भारत विविध धर्मों और रीति-रिवाजों वाला देश है': मद्रास हाईकोर्ट ने दाढ़ी रखने के लिए दी गई मुस्लिम पुलिसकर्मी की सज़ा रद्द की

Update: 2024-07-16 06:05 GMT

मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में पुलिस कांस्टेबल का बचाव किया, जिसे पैगंबर मोहम्मद के आदेशों का पालन करते हुए दाढ़ी रखने के लिए दंडित किया गया था।

यह कहते हुए कि भारत विविध धर्मों और रीति-रिवाजों की भूमि है, जस्टिस एल विक्टोरिया गौरी की पीठ ने कहा कि हालांकि पुलिस विभाग को सख्त अनुशासन बनाए रखना चाहिए लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि अल्पसंख्यक समुदाय से संबंधित कर्मियों को दाढ़ी रखने के लिए दंडित किया जा सकता है।

अदालत ने कहा,

“तमिलनाडु सरकार के पुलिस विभाग में सख्त अनुशासन की आवश्यकता होने के बावजूद विभाग में अनुशासन बनाए रखने का कर्तव्य प्रतिवादियों को अल्पसंख्यक समुदायों, विशेष रूप से मुसलमानों से संबंधित कर्मचारियों को दाढ़ी रखने के लिए दंडित करने की अनुमति नहीं देता, जो वे पैगंबर मोहम्मद की आज्ञाओं का पालन करते हुए अपने पूरे जीवन में करते हैं।”

अदालत जी अब्दुल खादर इब्राहिम द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्हें वर्ष 2019 में ग्रेड I पुलिस कांस्टेबल के पद पर पदोन्नत किया गया था। इब्राहिम के खिलाफ 31 दिनों की अर्जित छुट्टी पूरी होने के बाद ड्यूटी पर रिपोर्ट न करने और मद्रास पुलिस राजपत्र के आदेश के विरुद्ध दाढ़ी रखने के लिए जांच शुरू की गई।

जांच अधिकारी ने आरोपों को सिद्ध पाया और पुलिस उपायुक्त (सशस्त्र रिजर्व) ने संचयी प्रभाव से 3 वर्ष के लिए वेतन वृद्धि रोकने की सजा का आदेश दिया।

अपील पर पुलिस आयुक्त ने 2 वर्ष के लिए वेतन वृद्धि रोकने के आदेश को संशोधित किया। इस प्रकार इब्राहिम ने इस आदेश के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया।

इब्राहिम ने तर्क दिया कि विवादित आदेश बिना सोचे-समझे और स्थायी आदेशों पर विचार किए बिना पारित किए गए। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को यह विचार करना चाहिए था कि वह मुस्लिम समुदाय से हैं, जिनकी धार्मिक आस्था जीवन भर दाढ़ी रखने की है।

दंड के आदेश का बचाव करते हुए अधिकारियों ने कहा कि इब्राहिम आदतन उपद्रवी है और उसके स्वभाव के कारण उसे पहले भी अनुशासनात्मक कार्यवाही के साथ दंडित किया जा चुका है। यह तर्क दिया गया कि आदेश उचित सोच-समझकर पारित किया गया और इसमें किसी भी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।

अदालत ने कहा कि मद्रास पुलिस गजट को जारी किए गए कार्यालय ज्ञापन के अनुसार अधिकारियों को दाढ़ी रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती लेकिन मुस्लिम पुलिस अधिकारी अपने पूरे जीवनकाल में दाढ़ी रखने के हकदार हैं।

अन्य आरोप के संबंध में अदालत ने कहा कि अधिकारियों को इब्राहिम को अर्जित अवकाश से लौटने के बाद उसके संक्रमण को देखते हुए मेडिकल लीव की अनुमति देनी चाहिए थी।

इस प्रकार, यह देखते हुए कि सजा चौंकाने वाली अनुपातहीन थी, अदालत ने आदेश रद्द कर दिया और मामले को नए सिरे से विचार के लिए आयुक्त को वापस भेज दिया।

केस टाइटल- जी.अब्दुल खादर इब्राहिम बनाम पुलिस आयुक्त

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