सुधार नोटिस जारी किए बिना लाइसेंस निलंबित किया गया: हाईकोर्ट ने KFC संचालक के लाइसेंस के निलंबन पर रोक लगाई

Update: 2024-07-23 11:01 GMT

मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग द्वारा थूथुकुडी में फास्ट-फूड चेन KFC के संचालक सफायर फूड्स इंडिया लिमिटेड के लाइसेंस निलंबित करने के आदेश पर रोक लगाई।

जस्टिस जीआर स्वामीनाथन ने याचिकाकर्ताओं से सहमति जताते हुए कहा कि आदेश पर कई आधारों पर विचार किया जाना चाहिए। न्यायालय ने कहा कि खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के अनुसार, अधिकारियों को पहले सुधार नोटिस जारी करना था और अनुपालन न करने की स्थिति में लाइसेंस को निलंबित कर सकते थे।

वर्तमान मामले में न्यायालय ने पाया कि अधिकारियों ने पहली बार में ही लाइसेंस निलंबित कर दिया।

न्यायालय ने पाया,

“जैसा कि रिट याचिकाकर्ता की ओर से उपस्थित सीनियर एडवोकेट ने सही कहा, यह आदेश कई आधारों पर त्रुटिपूर्ण है। खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 की धारा 32(1) में सुधार नोटिस जारी करने का प्रावधान है यदि खाद्य व्यवसाय संचालक सुधार नोटिस का अनुपालन करने में विफल रहता है तो उसका लाइसेंस निलंबित किया जा सकता है। इस मामले में लाइसेंस पहली बार में ही निलंबित कर दिया गया।”

4 जुलाई, 2024 के आदेश द्वारा अधिकारियों ने थूथुकुडी में स्थित KFC की दुकान का लाइसेंस निलंबित कर दिया था। जिस प्राथमिक आधार पर लाइसेंस निलंबित किया गया, वह यह था कि KFC ने मैग्नीशियम सिलिकेट सिंथेटिक का उपयोग किया। अधिकारियों ने तर्क दिया कि खाद्य सुरक्षा एवं मानक (खाद्य व्यवसायों का लाइसेंसिंग और पंजीकरण) विनियमन 2011 के अनुसार, खाद्य तेल का दोबारा उपयोग नहीं किया जा सकता और चूंकि नियमों का उल्लंघन हुआ था, इसलिए लाइसेंस निलंबित करना सही था।

दूसरी ओर याचिकाकर्ता ने बताया कि मैग्नीशियम सिलिकेट सिंथेटिक प्रतिबंधित एजेंट नहीं है और यह स्वीकृत निस्पंदन एजेंट है।

अदालत ने याचिकाकर्ता के तर्क में प्रथम दृष्टया योग्यता पाई। अदालत ने कहा कि 2011 के नियमों के अनुसार, विनियमन 3(ई) में कहा गया कि खाना पकाने के तेल का दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए और विनियमन 3(जे) में कहा गया कि ट्रांस फैट के निर्माण से बचने के लिए तेल को अधिकतम तीन बार ही गर्म किया जा सकता है और यदि संभव हो तो इसे केवल एक बार ही इस्तेमाल करना आदर्श है।

अदालत ने कहा कि विनियमन 3(ई) एक सलाह की तरह था, जबकि विनियमन 3(जे) अनिवार्य था। इस प्रकार, अदालत ने कहा कि अधिकारी यह दावा नहीं कर सकते कि खाद्य तेल का दोबारा इस्तेमाल प्रतिबंधित है।

अदालत ने यह भी कहा कि हालांकि मद्रास हाईकोर्ट ने पहले भी नामित अधिकारियों को निरीक्षण के समय या निरीक्षण पूरा होने पर सार्वजनिक साक्षात्कार देने से मना किया था, लेकिन वर्तमान मामले में नामित अधिकारी ने निर्देश का उल्लंघन किया। न्यायालय ने कहा कि ऐसा निर्देश जारी करने का कारण यह सुनिश्चित करना था कि खाद्य व्यवसाय संचालक की प्रतिष्ठा और साख को गलत तरीके से नुकसान न पहुंचे।

हालांकि न्यायालय शुरू में नामित अधिकारी को अवमानना नोटिस जारी करने के लिए इच्छुक था, लेकिन जब उसे बताया गया कि चूक जानबूझकर नहीं की गई, तो न्यायालय ने अवमानना कार्यवाही शुरू करने से परहेज किया।

केस टाइटल: सैफायर फूड्स इंडिया लिमिटेड बनाम कमिश्नर

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