मद्रास हाईकोर्ट ने बुधवार को भारतीय जनता पार्टी (BJP) को स्वतंत्रता दिवस समारोह के हिस्से के रूप में कोयंबटूर में राष्ट्रीय ध्वज लेकर बाइक रैली आयोजित करने की अनुमति दी।
जस्टिस जी जयचंद्रन ने कोयंबटूर जिले के BJP-युवा मोर्चा के जिला सचिव ए कृष्ण प्रसाद द्वारा दायर याचिका को अनुमति दी।
न्यायालय ने रैली की अनुमति देने से इनकार करते हुए राज्य द्वारा उठाई गई आशंकाओं में योग्यता नहीं पाई। इसने पुलिस महानिदेशक को उन रैलियों पर रोक न लगाने का भी निर्देश दिया, जिनमें प्रतिभागी गरिमा के साथ राष्ट्रीय ध्वज लेकर चल रहे थे और यातायात में कोई बाधा उत्पन्न नहीं कर रहे थे।
अदालत ने आदेश दिया,
“इस अदालत को स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज लेकर बाइक रैली की अनुमति देने से इनकार करने में कोई आशंका या उल्लंघन नहीं लगता। अदालत पुलिस को निर्देश देती है कि वह मोटरकार, मोटरसाइकिल, साइकिल या पैदल किसी भी रैली पर रोक न लगाए, जिसमें प्रतिभागी सम्मान और गरिमा के साथ राष्ट्रीय ध्वज लेकर चलते हैं। यातायात में कोई व्यवधान पैदा किए बिना राजमार्ग से गुजरते हैं।”
मामले की सुनवाई के लिए मंगलवार को तत्काल उल्लेख किया गया तो न्यायाधीश ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि अगर कोई व्यक्ति झंडे लेकर जाना चाहता है तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है। न्यायाधीश ने यह भी टिप्पणी की कि भाजपा द्वारा मात्र 15 मिनट से 1 घंटे की रैली से बहुत नुकसान नहीं होगा। राज्य बाइक रैली निकालने के उनके अनुरोध को पूरी तरह से अस्वीकार नहीं कर सकता।
अदालत ने मौखिक रूप से टिप्पणी की,
“कोई भी व्यक्ति झंडे लेकर जा सकता है। इसमें कुछ भी गलत नहीं है। उनके (BJP) 15 मिनट या 1 घंटे की रैली करने से कोई नुकसान नहीं होने वाला। यदि आप (राज्य) चाहें, तो आप मार्ग के बारे में सुझाव दे सकते हैं। लेकिन आप पूरी तरह से खारिज नहीं कर सकते।”
बुधवार को जब मामला उठाया गया तो एडिशिनल एडवोकेट जनरल जे रवींद्रन ने अदालत को सूचित किया कि किसी राजनीतिक कारणों से नहीं बल्कि केवल राष्ट्रीय ध्वज की गरिमा की रक्षा के लिए अनुमति खारिज कर दी गई थी।
उन्होंने बताया कि गृह मंत्रालय द्वारा जारी ध्वज संहिता 2022 के अनुसार, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री आदि जैसे कुछ गणमान्य व्यक्तियों के अलावा किसी भी वाहन पर झंडा नहीं फहराया जाना चाहिए।
रवींद्रन ने कहा कि वर्तमान मामले में 200 बाइकों के लिए अनुमति मांगी जा रही थी। सभी वाहनों से अनुशासन और आचार संहिता के पालन की उम्मीद करना संभव नहीं था।
रवींद्रन ने जोर देकर कहा कि यह मुद्दा राजनीतिक नहीं था। बताया कि कांग्रेस पार्टी द्वारा इसी तरह का अनुरोध भी खारिज कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि अगर पार्टी पैदल जुलूस निकालना चाहती है तो राज्य 2 घंटे के भीतर इस पर विचार कर सकता है।
पार्टी की ओर से पेश हुए एडवोकेट पॉल कनगराज ने अदालत को बताया कि उनका इरादा केवल राष्ट्रीय ध्वज के प्रति गौरव पैदा करना था। रैली के पीछे उनकी कोई राजनीतिक मंशा नहीं थी। कनगराज ने अदालत को यह भी आश्वासन दिया कि प्रतिभागी रैली के दौरान पार्टी के झंडे भी नहीं उठाएंगे और न ही नारे लगाएंगे।
अदालत ने कहा कि एएजी द्वारा सामने रखे गए बिंदुओं को अस्वीकृति आदेश में जगह नहीं मिली। हालांकि इसने प्रतिभागियों को रैली आयोजित करते समय व्यवस्था बनाए रखने और ऐसा कोई भी कार्य न करने का निर्देश दिया, जिससे राष्ट्रीय ध्वज का अपमान हो। अदालत ने कहा कि राज्य को भी रैली को रोकना नहीं चाहिए। इसने आयोजकों से आज रात 10 बजे तक रैली का मार्ग और प्रतिभागियों की अनुमानित संख्या निर्दिष्ट करने को कहा ताकि राज्य आवश्यक व्यवस्था कर सके।
प्रसाथ ने अपनी याचिका में कहा था कि पार्टी ने देशभक्ति फैलाने के अपने उद्देश्य के तहत राष्ट्रीय ध्वज लेकर बाइक रैली आयोजित करने का फैसला किया था। इसके लिए विभिन्न जिलों से संबंधित पार्टी पदाधिकारियों ने अनुमति का अनुरोध करते हुए अभ्यावेदन दिया। हालांकि, चूंकि उनके अभ्यावेदन को कथित रूप से तुच्छ कारणों से खारिज कर दिया गया था। इसलिए उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया।
प्रसाथ ने कहा कि उनके अभ्यावेदन को खारिज करते हुए राज्य ने कहा कि रैली के मार्ग के बारे में कोई उचित/स्पष्ट जानकारी नहीं थी। दोपहिया वाहन के विवरण और वे कहां से आ रहे थे, इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी। राज्य ने कहा था कि जिन सड़कों पर बाइक रैली की अनुमति मांगी गई, वे संकरी थीं और चूंकि फ्लाई-ओवर निर्माण और सड़क रखरखाव चल रहा था, इसलिए अगर बड़ी संख्या में लोग इन सड़कों पर इकट्ठा होते तो यातायात की समस्याएं पैदा होतीं।
प्रसाथ ने कहा कि स्वतंत्रता दिवस समारोह का महत्व उत्सव मनाने से कहीं बढ़कर है। उन्होंने कहा कि इस दिन को पूरे भारत में परेड, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और ध्वजारोहण समारोहों के साथ मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि ध्वजारोहण का उद्देश्य राष्ट्र के प्रति गौरव की भावना पैदा करना और लोगों को समाज में सकारात्मक योगदान देने के लिए प्रेरित करना है। उन्होंने कहा कि पार्टी इन सिद्धांतों को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही है। इसे खारिज करना संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत उनके मौलिक अधिकारों को प्रतिबंधित करने के बराबर होगा।
केस टाइटल- ए कृष्ण प्रसाद बनाम पुलिस महानिदेशक और अन्य