आधार कार्ड पर मद्रास हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- आधार कार्ड में बदलाव कराना मौलिक अधिकार
मद्रास हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि आधार कार्ड धारक को अपने कार्ड में विवरण में बदलाव की मांग करने का मौलिक अधिकार है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जनसांख्यिकीय जानकारी में बदलाव की सुविधा स्थानीय स्तर पर उपलब्ध होनी चाहिए।
जस्टिस जी.आर. स्वामीनाथन ने अपने आदेश में कहा कि चूंकि कल्याणकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करने का अधिकार मौलिक अधिकार है और आधार कार्ड वह अनिवार्य माध्यम है, जिसके जरिए यह लाभ प्राप्त किया जा सकता है, इसलिए कार्ड धारक को आधार अधिनियम की धारा 31 के तहत अपने कार्ड में जनसांख्यिकीय जानकारी को बदलने की मांग करने का सहवर्ती मौलिक अधिकार है।
कोर्ट एक 74 वर्षीय विधवा सीनियर सिटीजन की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिनके पति की मृत्यु के बाद पेंशन हस्तांतरण में आधार कार्ड में गलत जन्मतिथि (07.06.1952 की जगह 25.06.1952) के कारण समस्या आ रही थी।
जवाबदेही: कोर्ट ने कहा कि आधार अधिनियम की धारा 31 जो प्राधिकरण को परिवर्तन करने की शक्ति देती है, में प्रयुक्त शब्द सकेगा संदर्भ के आधार पर अनिवार्य माना जाएगा। प्राधिकरण संतुष्ट होने पर सुधार करने के लिए बाध्य है, क्योंकि धारा 31 का पूरा उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी के आधार कार्ड में सही विवरण हो।
याचिकाकर्ता को केवल जनसांख्यिकीय जानकारी में बदलाव के लिए मदुरै के आधार सेवा केंद्र तक जाने को कहा गया, जिस पर कोर्ट ने असंतोष व्यक्त किया। कोर्ट ने कहा कि बायोमेट्रिक जानकारी के लिए भले ही भौतिक उपस्थिति आवश्यक हो, लेकिन नाम या जन्मतिथि जैसे जनसांख्यिकीय विवरण में बदलाव की सुविधा स्थानीय स्तर पर उपलब्ध होनी चाहिए।
कोर्ट ने इस बात पर चिंता जताई कि तमिलनाडु के दक्षिणी जिलों के लिए केवल एक ही आधार सेवा केंद्र (ASK) है, जिसके बाहर रोज़ाना लंबी कतारें लगती हैं। कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि फोन नंबर और पता बदलने जैसी कुछ सुविधाएं ही स्थानीय स्तर पर उपलब्ध हैं, लेकिन नाम, जन्मतिथि जैसे महत्वपूर्ण बदलाव केवल आधार सेवा केंद्र पर ही किए जा सकते हैं।
UIDAI ने कोर्ट को सूचित किया कि मार्च 2026 तक पूरे तमिलनाडु में 28 आधार सेवा केंद्र स्थापित करने का प्रस्ताव है। कोर्ट ने आशा व्यक्त की कि यह प्रस्ताव सफल होगा और प्रत्येक जिला मुख्यालय में एक केंद्र स्थापित होगा।
अंत में कोर्ट ने महिला की याचिका स्वीकार कर ली और आधार सेवा केंद्र, मदुरै को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता के उपस्थित होने और पेंशन आदेश की प्रति प्रस्तुत करने पर, बिना किसी देरी के आवश्यक सुधार किए जाएं और उसके बाद पेंशन खाते को तुरंत याचिकाकर्ता के नाम पर हस्तांतरित किया जाए।