सुरक्षा उल्लंघन के आरोपों पर पति की मौत की जांच की मांग वाली कोल वर्कर की पत्नी की याचिका पर MP हाई कोर्ट ने नोटिस जारी किया

Update: 2025-12-12 14:53 GMT

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने शहडोल जिले की SECL खदान में एक कोल वर्कर की संदिग्ध मौत की जांच को लेकर दायर याचिका पर नोटिस जारी किया है। यह याचिका मृतक अनिल कुशवाहा की पत्नी ने दायर की है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि उनके पति को भारी बारिश और खदान में जलभराव के बावजूद ओवरबर्डन उतारने के लिए मजबूर किया गया, जिसके कारण उनका वाहन फिसलकर पानी से भरे गहरे गड्ढे में गिर गया और उनकी मृत्यु हो गई। याचिका में Mines Act, 1952 की धारा 24 के तहत जांच, कोल इंडिया लिमिटेड द्वारा घोषित ₹40 लाख मुआवजा तथा मृतक का शव परिवार को सौंपने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है।

मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस विशाल मिश्रा ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया और याचिकाकर्ता को सात कार्य दिवसों के भीतर RAD मोड से प्रोसेस शुल्क जमा करने का निर्देश दिया। याचिका के अनुसार, अनिल अगस्त 2025 में अनुबंधित कंपनी के माध्यम से SECL में चालक के रूप में नियुक्त हुए थे। 11 अक्टूबर 2025 को क्षेत्र में भारी वर्षा हुई और 80 मीटर गहरी, वर्षों से बंद पड़ी खदान में बड़ा जलभराव हो गया था। इसके बावजूद सुपरवाइज़र ने अनिल को काम जारी रखने का आदेश दिया, जिसके तुरंत बाद वाहन अस्थिर भूमि पर फिसल गया और पानी में डूब गया, जिससे उनकी मौत हो गई जबकि दो अन्य कर्मचारी घायल हुए।

दुर्घटना की जानकारी प्रबंधन ने रात 10 बजे दी, लेकिन अगले दिन जब परिवार मौके पर पहुँचा तो वहाँ सुरक्षा उपकरणों और चेतावनी बोर्डों का अभाव था। 12 अक्टूबर को SDRF, NDRF, सेना और स्थानीय प्रशासन ने खोज अभियान शुरू किया, लेकिन चार दिनों तक कोई सफलता न मिलने पर कलेक्टर शहडोल ने अभियान बंद कर दिया। 15 अक्टूबर को अधिकारियों ने परिवार को 60 दिनों के भीतर पानी निकालकर शव बरामद करने का आश्वासन दिया, परंतु अब तक कोई पुनर्प्राप्ति कार्य नहीं हुआ।

याचिका में यह भी कहा गया है कि वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति के बावजूद कोई FIR दर्ज नहीं की गई और न ही किसी प्रकार की औपचारिक रिपोर्ट तैयार की गई, जिससे परिवार बीमा दावा भी दाखिल नहीं कर पा रहा है। परिवार को ₹25 लाख की अनुग्रह राशि दी गई थी, लेकिन कोल इंडिया की ओर से कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स के लिए घोषित ₹40 लाख का मुआवजा अब तक नहीं मिला है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि SECL प्रबंधन ने न केवल सुरक्षा मानकों का उल्लंघन किया, बल्कि खदान बंद होने के बावजूद उचित तैयारी के बिना कर्मचारियों को कार्य पर लगाए रखा, जिससे यह दुर्घटना हुई।

हाईकोर्ट ने मामले में प्रतिवादियों से जवाब तलब किया है और अगली सुनवाई में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।

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