नामांकन फॉर्म में मामूली अंतर या बकाया राशि का खुलासा न करना ऐसा दोष नहीं, जिससे चुनाव परिणाम प्रभावित हो: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश की चुरहट सीट से कांग्रेस विधायक अजय अर्जुन सिंह के निर्वाचन के खिलाफ दायर दो याचिकाओं को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने फैसले में कहा कि नामांकन फॉर्म में मामूली अंतर या बकाया राशि का खुलासा न करना चुनाव परिणाम को प्रभावित करने वाला "महत्वपूर्ण दोष" नहीं कहा जा सकता।
जस्टिस विशाल मिश्रा की एकल पीठ ने देखा कि चुनाव याचिकाओं में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के प्रावधानों का पालन न करने का आरोप लगाया गया है। जस्टिस मिश्रा ने कहा कि यद्यपि यह इंगित करने का प्रयास किया गया था कि नामांकन फॉर्म में कुछ उल्लंघन हैं ,जो अयोग्यता के बराबर हैं, फिर भी "आरोप विशिष्ट होना चाहिए, यह अस्पष्ट नहीं होना चाहिए"।
अदालत ने कहा कि चुनाव याचिकाकर्ता को "विशेष रूप से यह इंगित करना होगा कि पूरी जानकारी का खुलासा न करने से जहां तक निर्वाचित उम्मीदवार का संबंध है, चुनाव के परिणाम पर भौतिक रूप से प्रभाव पड़ेगा"।
कोर्ट ने कहा, चुनाव याचिकाकर्ता को स्पष्ट रूप से यह दिखाना होगा कि चुनाव याचिका में बताए गए उल्लंघन "चुनाव के परिणाम को भौतिक रूप से कैसे प्रभावित करते हैं।"
इसके बाद कोर्ट ने रेखांकित किया,
"नामांकन फॉर्म में मामूली अंतर या बकाया राशि के बारे में कुछ जानकारी का खुलासा न करना, जैसा कि वर्तमान मामले में है, चुनाव के परिणाम को भौतिक रूप से प्रभावित करने के लिए पर्याप्त दोष नहीं कहा जा सकता है।"
याचिकाओं में प्रतिवादी के नामांकन पत्र प्रस्तुत करने के दौरान अनिवार्य प्रावधानों का पालन न करने का आरोप लगाया गया। इस बीच प्रतिवादी-अजय अर्जुन सिंह ने चुनाव याचिकाओं को खारिज करने की मांग करते हुए आवेदन दायर किए।
हाईकोर्ट ने आगे कहा,
"1951 के अधिनियम की धारा 100(1)(डी)(iv) के तहत किसी चुनाव को शून्य घोषित करने के लिए, याचिकाकर्ता के लिए यह साबित करना आवश्यक है कि वैधानिक प्रावधानों का पालन न करने से चुनाव परिणाम पर भौतिक रूप से असर पड़ा है। मामूली विसंगतियों या चूकों की मौजूदगी मात्र से चुनाव को अमान्य करने का आधार नहीं बनता है, जब तक कि यह न दिखाया जाए कि ऐसे उल्लंघनों का परिणाम पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है।"
केस टाइटलः रामगरेब और अन्य बनाम अजय अर्जुन सिंह और अन्य