भोपाल में पेड़ काटने पर लगी रोक बढ़ाई; हाईकोर्ट ने कहा—राज्य ने 'पेड़ नहीं, सिर्फ तने लगाए'

Update: 2025-11-26 12:08 GMT

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है कि अब तक कितने पेड़ काटे गए, आगे कितने पेड़ काटने की योजना है और उनका प्रत्यारोपण कहाँ किया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पेड़ों की कीमत, खासकर ऑक्सीजन उत्पादन के संदर्भ में, कई बार जोर देकर बताया है और बिना उचित प्रक्रिया पेड़ काटना स्वीकार्य नहीं है।

कोर्ट ने अपने पहले के आदेश को जारी रखते हुए सरकार को भोपाल में किसी भी पेड़ को काटने, छाँटने या ले जाने से मना किया है जब तक कि अदालत से अनुमति न ली जाए। यह मामला एक रिपोर्ट पर लिए गए सुओ मोटू संज्ञान से जुड़ा है, जिसमें PWD पर बिना अनुमति 488 पेड़ काटने का आरोप था।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य की ओर से पेश तस्वीरें देखकर कहा कि केवल पेड़ों के तने गाड़ देना प्रत्यारोपण नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने यह भी पूछा कि उच्चस्तरीय समिति से अनुमति लिए बिना पेड़ कैसे काटे गए। रेलवे विभाग द्वारा बड़ी संख्या में पेड़ काटे जाने पर भी कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की।

अदालत ने निर्देश दिया कि राज्य सरकार हलफनामा दायर कर बताए—कितने पेड़ काटे गए, आगे कितने काटने हैं, प्रत्यारोपण कहाँ होगा, और हरे-भरे क्षेत्र को फिर से बहाल करने के लिए कितने नए पेड़ लगाए जाएंगे।

मामले की अगली सुनवाई 17 दिसंबर 2025 को तय की गई है।

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