मध्य प्रदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने चीफ जस्टिस को लिखी पत्र, लिस्टिंग व रोस्टर को लेकर जताई गंभीर चिंताएं
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने बुधवार 26 नवंबर को चीफ जस्टिस को विस्तृत पत्र लिखकर वादों की लिस्टिंग, रोस्टर आवंटन और अदालत के प्रशासनिक प्रबंधन से जुड़ी कई गंभीर समस्याओं को तत्काल ध्यान देने योग्य बताया।
पत्र में कहा गया कि पहले प्रचलित स्लिप ड्रॉप बॉक्स सिस्टम के हटने से वकीलों को अत्यधिक असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। वकील अपनी कोर्ट स्लिप के माध्यम से वादों के लिए संभावित तिथि का अनुरोध सुगमता से कर पाते थे लेकिन अब ऐसा संभव नहीं रह गया। बार ने यह भी कहा कि जिन मामलों की सुनवाई निर्धारित होने के बावजूद वह सूची में नहीं आ पाए उनके पुनः लिस्टिंग की कोई स्पष्ट नीति नहीं है। अदालत द्वारा दिए गए निश्चित तिथियों पर भी अनेक मामलों को दोबारा सूचीबद्ध नहीं किया जा रहा है।
एसोसिएशन ने उल्लेख किया कि वर्तमान में पाँच डिवीजन बेंच हाईकोर्ट में कार्यरत हैं। बार ने सुझाव दिया कि आगामी दिसंबर की शीतकालीन छुट्टियों से पहले लंबित मामलों में तेजी लाने के लिए जमानत मामलों को दोपहर बाद की सत्र में सौंपा जा सकता है।
एक और मुद्दा यह उठाया गया कि दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 482 या भारत न्याय संहिता (BNS) की धारा 528 के तहत दाखिल नई याचिकाएं सूचीबद्ध नहीं हो रही हैं। एसोसिएशन ने आग्रह किया कि इन मामलों के लिए अलग पीठ गठित की जाए, क्योंकि इन्हें जमानत मामलों के साथ सूचीबद्ध करना व्यावहारिक नहीं है।
पत्र में यह गंभीर आरोप भी सामने आया कि राहत-उन्मुख जजों को महत्त्वपूर्ण मामलों के रोस्टर से वंचित किया जा रहा है और उनके आवंटन बार-बार बदले जा रहे हैं। एसोसिएशन ने कहा कि इस प्रकार के बदलाव न्यायपालिका की निष्पक्षता, ईमानदारी और गरिमा पर अनावश्यक सवाल उठाते हैं।
साथ ही अवमानना कार्यवाहियों से संबंधित कठिनाइयों का उल्लेख करते हुए कहा गया कि जिन रिट ऑर्डर्स में कई मामलों का हवाला दिया गया है, उनकी प्रतियां दाखिल करना अधिवक्ताओं के लिए अत्यधिक कठिन साबित हो रहा है।
पत्र में यह भी चेताया गया कि जजों और वकीलों के बीच भिन्न मतों या आरोप-प्रत्यारोपों को विभिन्न माध्यमों से प्रसारित किए जाने से हाईकोर्ट की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंच रही है।
एसोसिएशन ने बताया कि सैकड़ों वकीलों ने हस्ताक्षरित आवेदन देकर बार से सामान्य बैठक बुलाने और इन प्रशासनिक चुनौतियों पर कदम उठाने की मांग की। इसके अनुसार सामान्य बैठक 1 दिसंबर 2025, सोमवार को आयोजित की जाएगी, जिसमें इन मुद्दों पर चर्चा और समाधान तलाशे जाएंगे।
अंत में बार एसोसिएशन ने चीफ जस्टिस से इन सभी मुद्दों पर गंभीरता से विचार कर उनका समाधान सुनिश्चित करने की अपील की है।