इंदौर-देवास हाईवे जाम पर हाईकोर्ट सख्त, कहा- NHAI से सर्विस रोड निर्माण और रखरखाव पर रिपोर्ट पेश की जाए
इंदौर-देवास हाईवे पर लंबे जाम की घटनाओं के बाद मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) को पॉलदा ब्रिज के पास सर्विस रोड के निर्माण और उसके रखरखाव की निगरानी करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि 30 दिनों के भीतर इस पर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।
जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस बिनोद कुमार द्विवेदी की खंडपीठ ने यह निर्देश जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया, जिसमें सड़क संकेतों की मरम्मत पुल के दोनों ओर खड़े ट्रकों को हटाने, स्पीड ब्रेकर हटाने और सड़क रखरखाव के लिए समिति गठन की मांग की गई।
कोर्ट ने माना कि सर्विस रोड का उन्नयन पहले से जारी है और आदेश दिया,
"यह निर्माण/उन्नयन कार्य प्राथमिकता के आधार पर चल रहे फ्लाईओवर निर्माण कार्य के साथ पूर्ण किया जाए। NHAI नियमित रूप से कार्य की निगरानी करे और रखरखाव सुनिश्चित कर 30 दिन में रिपोर्ट प्रस्तुत करे।"
इस मामले के साथ-साथ दो और याचिकाएं भी कोर्ट में दाखिल की गईं, जिनमें जून 27 को हुए एक 32 घंटे लंबे ट्रैफिक जाम का जिक्र था। इसमें लगभग 8 किलोमीटर लंबी लाइन में 4,000 से अधिक वाहन फंसे रहे और तीन लोगों की मृत्यु भी हुई।
NHAI ने कोर्ट में कहा कि मौतों का कारण जाम नहीं था। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि राउ सर्कल, फीनिक्स मॉल, रालामंडल और अर्जुन बरोडिया जैसे 'ब्लैक स्पॉट्स' पर निर्माण कार्य के कारण ट्रैफिक दबाव बढ़ा है।
निर्माण कार्य कर रही कंपनी मेहरोत्रा बिल्डकॉन ने कोर्ट को बताया कि फ्लाईओवर दिसंबर 2025 तक पूरे कर लिए जाएंगे और वर्तमान में डायवर्जन मार्गों की नियमित निगरानी की जा रही है।
कोर्ट ने कहा कि हाईवे की देख-रेख NHAI की वैधानिक जिम्मेदारी है और ट्रैफिक प्रबंधन में लापरवाही नहीं की जा सकती।
कोर्ट ने कहा,
"फ्लाईओवर निर्माण के दौरान सुरक्षित और सुचारू ट्रैफिक के लिए एक विस्तृत ट्रैफिक मैनेजमेंट प्लान अनिवार्य है। निर्माण से पहले यातायात भार के अनुसार दोनों ओर अस्थायी डायवर्जन रोड बनाए जाने चाहिए थे।"
कोर्ट ने निम्नलिखित दिशा-निर्देश जारी किए:
1. हाई-इंटेंसिटी रेट्रो-रिफ्लेक्टिंग साइन, डेलीनीएटर, चेतावनी संकेत और बैरिकेड्स का व्यापक उपयोग किया जाए।
2. रात्रि कार्यों के दौरान पर्याप्त प्रकाश व्यवस्था हो।
3. ट्रैफिक नियंत्रक की नियुक्ति की जाए, विशेष रूप से भीड़-भाड़ वाले इलाकों में।
4. स्पीड ब्रेकर के बजाय रंबल स्ट्रिप्स लगाई जाएं।
5. ट्रैफिक संकेत समय-समय पर जांचे और बदले जाएं।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि स्पीड ब्रेकर हटाने की मांग को अस्वीकार किया जाता है, क्योंकि रंबल स्ट्रिप्स भारी वाहनों की गति नियंत्रण के लिए जरूरी हैं। यह निर्णय NHAI और स्थानीय प्रशासन पर छोड़ दिया गया।
अंततः कोर्ट ने याचिका निस्तारित करते हुए चेतावनी दी कि यदि 30 दिन में रिपोर्ट दाखिल नहीं की गई तो मामला पुनः सूचीबद्ध किया जाएगा।
टाइटल: तनिष्क पटेल बनाम एनएचएआई (W.P. No. 23845 of 2023)