हत्या के आरोपी को टाइपिंग गलती से मिली जमानत, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने आदेश वापस लिया
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में हत्या के आरोपी को दी गई जमानत का आदेश वापस ले लिया, जब यह पता चला कि टाइपिंग गलती के कारण उसकी जमानत अर्जी को खारिज करने के बजाय मंज़ूर कर दिया गया था।
मामला भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 103(1) (हत्या), 115(2) (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 351(3) (आपराधिक धमकी) और 3(5) (सामान्य आशय) के तहत दर्ज अपराध से संबंधित था।
अभियोजन के अनुसार 5 जुलाई, 2024 को शिकायतकर्ता के भाई प्रकाश पाल पर हल्के धर्मेंद्र और अशोक आदिवासी ने हमला किया। हल्के और धर्मेंद्र ने कथित तौर पर डंडों से हमला किया, जबकि अशोक ने छाती पर पत्थर फेंका। गंभीर रूप से घायल प्रकाश पाल को अस्पताल ले जाया गया उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने M.Cr.C.No.28977/2025 (हल्के की दूसरी जमानत अर्जी) में उसकी रिहाई का आदेश ₹50,000 के निजी मुचलके और समान राशि की दो जमानतों पर दिया था। वहीं M.Cr.C.No.31180/2025 (अशोक आदिवासी की तीसरी जमानत अर्जी) को अपराध की गंभीरता और आरोपों की प्रकृति को देखते हुए खारिज कर दिया था।
लेकिन 8 अगस्त की सुनवाई में अशोक आदिवासी के वकील ने कहा कि 7 अगस्त को उनकी जमानत मंज़ूर हो गई लेकिन टाइपिंग गलती से उसे खारिज दिखा दिया गया। उन्होंने यह भी बताया कि वास्तव में हल्के की अर्जी को खारिज होना था लेकिन गलती से मंज़ूर कर लिया गया।
जस्टिस राजेश कुमार गुप्ता ने रिकॉर्ड देखने के बाद कहा कि याचिकाकर्ता के वकील की बात सही लगती है। इसके मद्देनज़र, 07.08.2025 को दोनों मामलों (31180/2025 और 28977/2025) में पारित आदेश वापस लिया जाता है।
आदेश वापस लेने के बाद 11 अगस्त को हल्के की जमानत अर्जी पर सुनवाई हुई, जिसमें उनके वकील ने अर्जी वापस लेने की अनुमति मांगी। अदालत ने अनुमति देते हुए अर्जी को वापस ली गई मानकर खारिज कर दिया।
केस टाइटल: हल्के आदिवासी बनाम मध्य प्रदेश राज्य