'हम 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की बात कर रहे हैं लेकिन उचित दाह संस्कार सुविधाएं देने में असमर्थ': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से ठोस कदम उठाने को कहा

Update: 2023-12-26 10:04 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य भर में दाह संस्कार स्थल के बुनियादी ढांचे के विकास में सुस्त गति को ध्यान में रखते हुए हाल ही में राज्य सरकार को इस संबंध में ठोस कदम उठाने का निर्देश दिया।

जस्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी और जस्टिस प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने जनसांख्यिकीय विस्तार की तुलना में आवश्यक सेवाओं के अपर्याप्त प्रावधान के बारे में चिंताओं को रेखांकित किया।

इसके साथ ही खंडपीठ ने कहा कि श्मशान स्थल का बुनियादी ढांचा लगातार जनसंख्या वृद्धि के अनुरूप नहीं है।

खंडपीठ ने टिप्पणी की,

“जनसंख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है, लेकिन दाह संस्कार स्थलों पर बुनियादी ढांचे का विकास कछुआ गति से किया जा रहा है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि आम लोग उचित सुविधाएं पाने के लिए जीवन भर संघर्ष करते हैं और अंतिम सांस के बाद भी वे उचित दाह संस्कार की सुविधा पाने से वंचित रह जाते हैं। इस स्तर पर हम एक ट्रिलियन अर्थव्यवस्था हासिल करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन अभी भी दाह संस्कार केंद्रों पर उचित सुविधाएं देने में असमर्थ हैं।”

न्यायालय ने यह भी रेखांकित किया कि COVID​-19 महामारी के चरम पर दाह संस्कार केंद्रों पर बुनियादी ढांचे की भारी कमी के कारण मृतक का उचित दाह संस्कार चुनौती बन गया।

पीठ ने ये टिप्पणियां बिठूर में शमशानघाट के अध्यक्ष/प्रबंधक के रूप में कार्यरत राजेंद्र बाजपेयी द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए कीं, जिसमें दाह संस्कार स्थल पर अपर्याप्त सुविधाओं के बारे में आशंकाएं व्यक्त की गईं।

राज्य भर में श्मशान/अंत्येष्टि स्थलों की "जर्जर और जीर्ण-शीर्ण स्थिति" को ध्यान में रखते हुए, जिसमें बुनियादी सुविधाओं और बुनियादी ढांचे की कमी है, न्यायालय ने 20 नवंबर को विस्तृत आदेश पारित किया, जिसके द्वारा सचिव, नगर विकास सरकार, यू.पी. को इस मामले में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया, जिसमें यह दर्शाया जाए कि क्या राज्य सरकार के पास इस संबंध में कोई ठोस नीति है।

मामले में जवाब दाखिल करते हुए सचिव, नगर विकास, यूपी सरकार ने कहा कि शहरी स्थानीय निकाय यानी नगर पालिकाएं/नगर निगम स्वायत्त निकाय हैं। ऐसे निकायों को स्थित दाह संस्कार स्थलों के उचित रखरखाव और विकास को सुनिश्चित करने का काम सौंपा गया है।

जवाब में एक और आपत्ति यह ली गई कि ग्रामीण क्षेत्रों में शवदाह केंद्रों/श्मशान घाटों के रख-रखाव और विकास कार्य के लिए सक्षम प्राधिकारी पंचायती राज विभाग, यूपी सरकार है। इसलिए यह तर्क दिया गया कि शहरी विकास विभाग को राज्य भर में ग्राम पंचायतों में ऐसी साइटों के रखरखाव या विनियमन के संबंध में कोई कार्रवाई करने का कोई अधिकार नहीं है।

इसे देखते हुए न्यायालय ने निर्देश दिया कि अपर. मुख्य सचिव, पंचायती राज, उ.प्र. शासन, साथ ही अतिरिक्त. मुख्य सचिव, नगर विकास, उ0प्र0 शासन, उन्हें मामले में जवाब दाखिल करने में सक्षम बनाने के लिए मामले में पार्टी प्रतिवादी के रूप में शामिल किया जाए।

मामले की अगली सुनवाई 18 जनवरी, 2024 को होगी।

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