सेम-सेक्स मैरिज (Same-Sex Marriage) का मामला सुप्रीम कोर्ट में है। न सिर्फ भारत में, बल्कि दुनियाभर में सेम-सेक्स मैरिज पर लंबे समय से बहस हो रही है। भारत में सेम सेक्स को अनुमति तो मिल गई, लेकिन सेम सेक्स मैरिज को मान्यता देने का मुद्दा कानूनी दांवपेच में फंसा हुआ है। दुनिया के 32 देशों में ऐसे विवाह को कानूनी मान्यता मिल चुकी है।
सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में फैसला सुनाया था कि होमोसेक्सुएलिटी अपराध नहीं है। कोर्ट ने IPC के सेक्शन 377 पर फैसला सुनाते हुए होमोसेक्सुएलिटी को अपराध की श्रेणी से बाहर रखा था। ये बहुत बड़ा कदम था, लेकिन तभी एक सवाल भी उभरा था। अगर दो होमोसेक्सुअल लोगों को एकसाथ रहने का कानूनी अधिकार है तो फिर उनके आपस में विवाह कर लेने पर सवाल क्यों? ये सवाल अधिकारों, कानूनों और न्याय से जुड़ा तो है ही, कई लोगों की जिंदगियों से भी बहुत गहराई से जुड़ा है।
सेम सेक्स मैरिज को मान्यता देने की मांग वाली कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं। इन याचिकाओं में मांग की गई है कि स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत सेम-सेक्स मैरिज को कानूनी इजाजत दी जाए।
इनमें पार्थ फिरोज मेहरोत्रा और उदय राज आनंद भी शामिल हैं। दोनों समलैंगिक हैं। पार्थ और उदय का कहना है कि एक-दूसरे से विवाह करना उनका मौलिक अधिकार है।
सेम-सेक्स मैरिज के मामले में दुनिया भर में कई बदलाव हो रहे हैं और इनमें कोर्ट और संसद ने बड़ी भूमिका निभाई है। 32 देशों में सेम सेक्स मैरिज को मान्यता मिल चुकी है। इनमें 22 देशों में जनमत संग्रह से और 10 देशों में कोर्ट के आदेश से सेम सेक्स मैरिज को मान्यता मिली है। आइए जानते हैं उन देशों को जहां सेम सेक्स मैरिज को अपराध नहीं माना जाता।
2001 में नीदरलैंड दुनिया का पहला ऐसा देश था, जहां सेम सेक्स मैरिज की अनुमति मिली थी।
साल 2015 में अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने सेम-सेक्स मैरिज की इजाजत दी थी। उस फैसले में जस्टिस एंथनी केनेडी ने कहा था,
“विवाह के अधिकार के लिए आवाज उठा रहे लोग दरअसल विवाह का सम्मान करते हैं। विवाह दुनिया की बहुत पुरानी संस्थाओं में शामिल है। ये लोग इससे बाहर नहीं रहना चाहते। वे चाहते हैं कि विवाह का आनंद और संतोष उन्हें भी मिले। पिछली पीढ़ियों को स्वतंत्रता के सभी पहलुओं की जानकारी नहीं थी। नई पीढ़ी को सभी लोगों के स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा करनी होगी।“
इसके बाद ऑस्ट्रेलिया, आयरलैंड, स्विट्जरलैंड में भी ऐसी शादियों को मान्यता दी गई। ऑस्ट्रेलिया में साल 2017 में हुए जनमत संग्रह के बाद, संसद ने सेम सेक्स की शादियों को मान्यता देने वाला कानून पारित किया। वहीं आयरलैंड और स्विट्जरलैंड ने भी आगे चलकर वोटिंग के जरिए LGBTQ शादियों को औपचारिक मान्यता प्रदान की।
वहीं अफ्रीका महाद्वीप की बात करें तो दक्षिण अफ्रीका 2006 में समलैंगिक विवाहों को वैध बनाने वाला पहला अफ्रीकी देश था। वहीं ताइवान साल 2019 में सेम सेक्स मैरिज को मान्यता देने वाला पहला एशियाई देश बना।
इस लिस्ट में ब्रिटेन, फांस, जर्मनी, फिनलैंड, स्वीडन,आइसलैंड, डेनमार्क, बेल्जियम, चिली, मेक्सिको, न्यूज़ीलैंड, नॉर्वे, स्पेन का नाम भी शामिल हैं।