क्या सरकार और राजस्व मंडल को राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम, 1956 की धारा 261 के अंतर्गत नियम बनाने का अधिकार है?
राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम, 1956 एक विस्तृत अधिनियम है जो राज्य के राजस्व प्रशासन को नियंत्रित करता है। इसकी धारा 261 यह स्पष्ट रूप से निर्धारित करती है कि किन विषयों पर और किस स्तर की सरकार या अधिकारी को नियम बनाने (Rule Making) का अधिकार है। यह धारा राज्य शासन और राजस्व मंडल (Board of Revenue) को अधिनियम के उद्देश्य को पूर्ण करने हेतु नियम बनाने की शक्तियाँ प्रदान करती है।
धारा 261(1) – राजस्व मंडल द्वारा नियम बनाना (Rules by the Board with Prior Sanction of the State Government)
इस उपधारा के अंतर्गत राजस्व मंडल, राज्य सरकार की पूर्व अनुमति से, उन विषयों पर नियम बना सकता है जो इस अधिनियम और धारा 261(2) के तहत बनाए गए नियमों के अनुरूप हों।
इसमें निम्नलिखित प्रमुख क्षेत्रों में नियम बनाने की शक्ति शामिल है:
• राजस्व मंडल और उसके अधिकारियों की कार्यप्रणाली और प्रक्रिया से संबंधित नियम।
• भू-अभिलेख, रजिस्टर, खाता-बही इत्यादि को बनाए रखने के तरीकों से संबंधित नियम (Section 14)।
• किराया-दर प्रस्तावों के प्रकाशन की प्रक्रिया (Section 155)।
• कलेक्टर और सेटलमेंट अधिकारियों को किराया निर्धारण (rent assessment) के लिए दिशानिर्देश (Guidelines)।
• लोक सूचना के प्रकाशन (Public Notice) की प्रक्रिया (Section 125)।
• आकलन पर्चे (Assessment Parcha) को किरायेदारों और भूमिधर को देने की विधि (Section 164)।
• वाजिब-उल-अर्ज (Wajib-ul-Arz) या दस्तूर गणवाई (Dastoor Ganwai) में दर्ज करने योग्य अधिकार, प्रथाएँ और उनका निर्धारण (Section 173)।
• संक्षिप्त अवधि वाले पुनर्सर्वेक्षणों (Short Term Settlements) हेतु मूल्यांकन का तरीका (Section 178)।
• भूमि के कृषि से गैर-कृषि उपयोग में बदलाव पर मूल्यांकन पुनरीक्षण (Section 179)।
• त्रुटियों और चूकों के सुधार (Section 182)।
• संशोधित प्रस्तावों का निर्माण (Modified Proposals) (Section 183)।
• बंटवारे की प्रक्रिया, लागत निर्धारण और उसकी वसूली (Sections 187–205)।
• जटिल संपत्तियों का विभाजन और उनके राजस्व का पुनर्वितरण (Section 219)।
• राजस्व या बकाया किराया वसूली के लिए कार्यविधि (Sections 226–245)।
उदाहरण:
यदि सरकार को यह तय करना है कि किसी गांव में दस्तूर गणवाई में किन परंपराओं को दर्ज किया जाए, तो राजस्व मंडल एक नियम बना सकता है कि यह जानकारी ग्रामसभा की बैठक से प्राप्त की जाएगी और इसका दस्तावेजीकरण कैसे होगा।
धारा 261(2) – राज्य सरकार द्वारा नियम बनाना (Rules by the State Government)
यह उपधारा विशेष रूप से राज्य सरकार को नियम बनाने का अधिकार देती है और यह स्पष्ट करती है कि सरकार किन-किन विषयों पर नियम बना सकती है।
इसमें कुछ विशिष्ट क्षेत्रों में नियम बनाने का उल्लेख है:
• राजस्व मंडल के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति के लिए योग्यताएँ (Section 4)।
• राजस्व मंडल की कार्यप्रणाली और न्यायिक मामलों का वितरण (Section 10)।
• न्यायिक और गैर-न्यायिक मामलों के लिए अधिकारियों के कर्तव्य और अधिकार (Section 23)।
• पटवारी, गिरदावर कानूनगो आदि की नियुक्ति, योग्यता और सेवा शर्तें।
• राजकीय भूमि का आवंटन और बिक्री प्रक्रिया (Sections 38, 90-A)।
• ग्रामों की आबादी विकास, आवास योजना, चरागाह, जंगल, कृषि भू-आवंटन, जल स्रोतों का उपयोग, आदि से जुड़े नियमन (Sections 93–101)।
• भूमि रिकॉर्ड का संधारण, परिवर्तन और सार्वजनिक निरीक्षण की प्रक्रिया (Sections 112–132)।
• सेटलमेंट संचालन की प्रक्रिया (Section 147)।
• किराया दरें तय करने के लिए मृदा वर्गीकरण (Soil Classification), सर्किल निर्धारण (Section 150)।
• प्राकृतिक आपदा या भारी जनसंख्या दबाव की स्थिति में मध्यवर्ती पुनर्सर्वेक्षण (Intermediate Revision) (Section 175)।
• शहरी दरों की वसूली प्रक्रिया (Special Urban Rate) (Section 180)।
• राजस्व की वसूली, डिमांड रसीद, नीलामी और बिक्री प्रक्रिया (Sections 226–246)।
• बकाया वसूली हेतु अन्य संपत्तियों पर प्रक्रिया (Section 237)।
• राजस्व विभाजन और बंटवारे की विस्तृत प्रक्रिया (Sections 198–219)।
उदाहरण:
यदि सरकार यह तय करती है कि कृषि भूमि को गैर-कृषि उपयोग में बदलने के लिए कितनी दर से प्रीमियम लिया जाएगा और इसकी वसूली कैसे होगी, तो वह इसके लिए नियम बना सकती है (Section 90-A)।
धारा 261 यह स्पष्ट करती है कि राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम, 1956 के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए केवल कानून बनाना पर्याप्त नहीं है, बल्कि प्रत्येक विषय पर विस्तृत नियमों की आवश्यकता होती है। यह धारा दो स्तरों पर नियम निर्माण को मान्यता देती है पहला राजस्व मंडल के लिए और दूसरा राज्य सरकार के लिए।
राजस्व मंडल के नियम मुख्य रूप से न्यायिक और सेटलमेंट मामलों से संबंधित होते हैं, जबकि राज्य सरकार के नियम व्यापक प्रशासनिक, व्यावहारिक और तकनीकी विषयों को समाहित करते हैं। दोनों ही संस्थाओं के नियम अधिनियम के उद्देश्यों की पूर्ति और भूमि प्रशासन की पारदर्शिता, दक्षता और न्यायसंगत प्रक्रिया को सुनिश्चित करने में सहायक होते हैं।
इस प्रकार धारा 261, राजस्थान के भूमि और राजस्व प्रशासन के विधिक ढाँचे की रीढ़ है, जो कानूनी व्यवस्था को कार्यान्वित करने के लिए नियमों का विस्तृत आधार प्रदान करती है।