
NI Act में अलग अलग तरह के इंस्ट्रूमेंट हैं जो किसी रूपये के भुगतान के बदले जारी किये जाते हैं। Exchange Billअधिनियम, 1882 (आंग्ल) की धारा 73 में चेक को कुछ इन शब्दों में परिभाषित किया है:-
"एक चेक Exchange Billहै जो किसी बैंकर पर लिखा जाता है और माँग पर देय होता है।"
चेक की इस परिभाषा के अध्ययन से यह स्पष्ट है कि चेक, Exchange Billका संकीर्ण वर्ग है, चेक की विस्तृत परिभाषा दोनों परिभाषाओं अर्थात् Exchange Billएवं चेक के समामेलन से प्राप्त किया जा सकता है।
सभी चेक Exchange Billहोते हैं, लेकिन सभी Exchange Billचेक नहीं होते-
चेक की परिभाषा से यह स्पष्ट है कि एक चैक Exchange Billकी ही जाति है परिभाषा के अनुसार एक Exchange Billजो अर्थात् चेक का ऊपरवाल सदैव एक बैंक होता है।
(क) किसी विनिर्दिष्ट बैंकर पर लिखा गया होता है होता है, और
(ख) यह सदैव माँग पर देय होता है, चेक है।
इस प्रकार कोई भी Exchange Billजो उक्त दोनों शर्तों को पूरा करता है, चेक होगा। इसलिए यह कहा गया है कि सभी चेक विनिमयपत्र होते हैं, पर सभी Exchange Billचेक नहीं होते।
वे बिल जो उक्त दो शर्तों को पूरा करते हैं, चेक होते हैं। एक डिमाण्ड ड्राफ्ट जो किसी बैंक की एक शाखा से दूसरी शाखा पर लिखा गया ड्राफ्ट, डिमाण्ड ड्राफ्ट होता है, जो चेक नहीं होता है। पर ऐसा बैंक ड्राफ्ट धारा 131-क के प्रभाव से केवल चेकों के रेखांकन के प्रयोजन से बैंक ड्राफ्ट/डिमाण्ड ड्राफ्ट को चेक के रूप में मान्य बनाया गया है।
चेक के आवश्यक लक्षण- चूँकि चेक एक Exchange Billहोता है, अतः चेक की विशेषताओं को धारा 5 एवं 6 के संयुक्त अध्ययन से स्पष्ट किया जा सकता है। दूसरे शब्दों में धारा 6 को धारा 5 के साथ अध्ययन किया जाना चाहिए।
इसे लेखबद्ध होना चाहिए
भुगतान करने का आदेश
अशर्त भुगतान का आदेश
केवल मुद्रा
पक्षकारों का निश्चित होना
चेक को लेखीवाल द्वारा हस्ताक्षरित होना
किसी बैंकर का लेखीवाल होना
माँग पर सदैव देय होना
चेक के पक्षकार Exchange Billके समान चेक के तीन पक्षकार है-
(i) लेखीवाल जो चेक लिखता है।
(ii) ऊपरवाल (बैंक) जिसे भुगतान करने का आदेश दिया जाता है। चेक का ऊपरवाल सदैव कोई बैंक होता है। यही चेक और Exchange Billमें मूलतः अन्तर होता है, जबकि Exchange Billका ऊपरवाल कोई भी व्यक्ति, बैंक को सम्मिलित करते हुए हो सकता है।
(ii) पाने वाला (आदाता) जिसे चेक के अन्दर भुगतान प्राप्त होता है।