UAPA : रिमांड की अवधि को 90 दिन से ज्यादा बढ़ाने के लिए क्या आवश्यकताएं हैं? सुप्रीम कोर्ट ने बताया
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (UAPA, 1967) के तहत एक अभियुक्त को दीगई डिफाॅल्ट जमानत को रद्द करने से इंकार कर दियाI
अपील पर विचार करते हुए जस्टिस ए.एम खानविल्कर और जस्टिस अजय रस्तोगी की पीठ ने उन आवश्यकताओं की भीव्याख्या दी जो यूएपीए के तहत दर्ज मामलों में आरोपी के रिमांड की अवधि को 90 से दिन से ज्यादा बढ़ाने के लिए जरूरी है।
पीठ ने यूएपीए की धारा 43डी(2)(बी) के तहत बताए गए नियम का हवाला दिया जिसमें कहा गया है कि 90 दिनों की उक्त अवधिके भीतर जांच को पूरा करना संभव नहीं हो ,तो अदालत, लोक अभियोजक की तरफ से पेश जांच की प्रगति की रिपोर्ट औरआरोपी को 90 दिन से ज्यादा हिरासत में रखने के लिए बताए गए विशेष कारणों से संतुष्ट हो जाने पर इस अवधि को 180 दिन तक बढ़ा सकती है।इसके बाद पीठ ने नियम के लिए आवश्यक अवयवों को सूचीबद्ध कियाः
-90 दिनों की अवधि के भीतर जांच पूरा करना संभव नहीं हो पाना।
-लोक अभियोजक द्वारा रिपोर्ट पेश की जाना.
-रिपोर्ट में जांच की प्रगति को इंगित करना और आरोपी को 90 दिन से ज्यादा हिरासत में रखने के लिए विशेष कारण बताना।
-लोक अभियोजक की तरफ से पेश रिपोर्ट पर कोर्ट की संतुष्ट होना।
इस मामले में ,मद्रास हाईकोर्ट ने एनआईए की विशेष अदालत के आदेश को रद्द करते हुए मुहम्मद मुबारक को डिफाॅल्टजमानत दे दी थी। कोयंबटूर में हिंदू मोर्चे के प्रवक्ता पर अज्ञात व्यक्तियों के एक गिरोह ने 22 सितम्बर 2016 को जानलेवाहमला किया था,जिसमें उसकी मौत हो गई। मुबारक इसी मामले में आरोपी था।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने रिमांड का विस्तार करने के लिए विशेष अदालत के कारणों से सहमति व्यक्त की,लेकिनबाद के घटनाक्रम पर ध्यान देते हुए कोर्ट कहा कि वह डिफाॅल्ट जमानत को रद्द करने के इच्छुक नहीं है।
हम लोक अभियोजक की तरफ से बताए गए विशेष कारणों से संतुष्ट है, वे 1967 की धारा 43डी(2)(बी) की अनिवार्यता औरआवश्यकता को पूरा करते हैI विशेष अदालत ने विस्तार से इन कारणों पर विचार किया था और संतुष्टि के बाद ही अपने 22 मार्च 2018 के आदेश में आरोपी या प्रतिवादी को 90 दिन से ज्यादा हिरासत मेंरखने की अवधि को बढ़ाया था।हम उन बदली हुई परिस्थितियों से बेखबर नहीं हो सकते है,जिन्हेंएफआईआर(क्र.संख्या-735/2016) के संबंध में हमारे संज्ञान में लाया गया है,जो थुदियालपुर पुलिस स्टेशन,कोयंबटूर में 22सितम्बर 2016 की घटना के कारण दर्ज हुई थी।सभी चार आरोपी व्यक्तियों (ए-1 से ए-4) के खिलाफ 7 अप्रैल 2018/21 जून2018 आरोप पत्र दायर किया गया,जिनमें आरोपी प्रतिवादी भी शामिल था। आरोपी नंबर एक,दो व तीन क्रमशः 19 जून 2017,1नवम्बर 2017 व 12 अक्टूबर 2018 से जमानत पर रिहा है।इस समय मामला आरोप तय करने के संबंध में लंबित है। वहींअपीलकर्ता का यह मामला भी नहीं है कि जब से आरोपी प्रतिवादी को 12 सितम्बर 2018 से जमानत दी गई है,इस फैसले के बादसे उसने जमानत देते समय लगाई गई किसी शर्त को तोड़ा है या उसका उल्लंघन किया है।