राजस्थान भूमि राजस्व अधिनियम, 1956 की धाराएँ 72 से 78: सिविल न्यायालय में अपील और वाद पर रोक

Update: 2025-05-14 09:42 GMT

धारा 72 - सिविल न्यायालय में अपील और वाद पर रोक

धारा 72 के अंतर्गत यह स्पष्ट किया गया है कि यदि किसी विवाद को मध्यस्थता (arbitration) के माध्यम से सुलझाया गया है और उस पर राजस्व न्यायालय या अधिकारी ने निर्णय दे दिया है, तो उस निर्णय को तुरंत लागू किया जाएगा। उस निर्णय के विरुद्ध सामान्य रूप से अपील की अनुमति नहीं है। लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियाँ हैं जिनमें अपील संभव है:

1. यदि न्यायालय द्वारा दिया गया निर्णय मध्यस्थ के निर्णय से अधिक है या उसके अनुरूप नहीं है।

2. यदि यह तर्क दिया जाता है कि जो निर्णय दिया गया है, वह वैध नहीं है – यानी वैधानिक या वास्तविक रूप से कोई वैध मध्यस्थता निर्णय मौजूद नहीं है।

उदाहरण:

मान लीजिए, दो किसानों के बीच भूमि की सीमा को लेकर विवाद था। उन्होंने सहमति से मामले को मध्यस्थता में भेजा और मध्यस्थ ने एक निर्णय दिया। अगर राजस्व अधिकारी उसी निर्णय के अनुरूप फैसला करता है, तो कोई अपील नहीं हो सकती। परन्तु यदि अधिकारी निर्णय में मध्यस्थ के निर्देश से अलग कुछ आदेश देता है, तो उसके खिलाफ अपील की जा सकती है।

धारा 73 - अचल संपत्ति के कब्जे का हस्तांतरण

जब किसी राजस्व न्यायालय या अधिकारी द्वारा यह आदेश दिया जाता है कि किसी अचल संपत्ति (जैसे खेत, मकान आदि) का कब्जा किसी व्यक्ति को सौंपा जाए, तो उस आदेश के अनुसार कब्जा दिलाया जा सकता है। इसके लिए अधिकारी को वही शक्तियाँ प्राप्त होती हैं जो एक सिविल न्यायालय को अपनी डिक्री के क्रियान्वयन में होती हैं।

इसका मतलब यह है कि यदि कब्जा देने में कोई विरोध करता है, जबरदस्ती रोकता है या मकान खाली नहीं करता, तो अधिकारी पुलिस बल का प्रयोग करके भी कब्जा दिलवा सकता है।

उदाहरण:

यदि तहसीलदार ने निर्णय दिया कि खेत 'अ' का कब्जा रामलाल को मिले, और श्यामलाल विरोध करता है और खेत खाली नहीं करता, तो तहसीलदार पुलिस की सहायता से खेत का कब्जा रामलाल को दिला सकता है।

धारा 74 - अपील वहीं की जा सकती है जहाँ इस अधिनियम में अनुमति हो

इस धारा के अनुसार, कोई भी आदेश जो राजस्व अधिकारी द्वारा पारित किया गया है, उसकी अपील केवल उन्हीं परिस्थितियों में की जा सकती है जो इस अधिनियम में स्पष्ट रूप से दी गई हैं। अन्य किसी कानून के तहत सामान्य रूप से अपील का अधिकार नहीं होगा।

इसका उद्देश्य यह है कि राजस्व मामलों में अनावश्यक अपीलों से बचा जा सके और विवाद जल्दी निपटाए जा सकें।

धारा 75 - प्रथम अपील

धारा 75 यह बताती है कि मूल आदेश (original order) के विरुद्ध पहली अपील किस अधिकारी के पास की जाएगी। यह इस बात पर निर्भर करता है कि मूल आदेश किस अधिकारी ने दिया है और वह किस प्रकृति से संबंधित है:

1. यदि तहसीलदार ने कोई आदेश दिया है जो भू-अभिलेख या बंदोबस्त से संबंधित नहीं है, तो उसकी अपील कलेक्टर के पास जाएगी।

2. यदि सहायक कलेक्टर, उपखंड अधिकारी, या कलेक्टर ने आदेश पारित किया है (बंदोबस्त से असंबंधित मामलों में), तो अपील राजस्व अपीलीय प्राधिकारी के पास जाएगी।

3. यदि कोई आदेश राजस्व अधिकारी द्वारा पारित किया गया है जो बंदोबस्त अधिकारी के अधीन है, तो अपील बंदोबस्त अधिकारी के पास होगी।

4. भू-अभिलेख अधिकारी के अधीन अधिकारी के आदेश की अपील भू-अभिलेख अधिकारी के पास।

5. बंदोबस्त अधिकारी या कलेक्टर द्वारा पारित आदेश (बंदोबस्त संबंधी मामलों में) की अपील बंदोबस्त आयुक्त के पास।

6. भू-अभिलेख अधिकारी के आदेश की अपील (भू-अभिलेख संबंधी मामले) भूमि अभिलेख निदेशक के पास।

7. उच्च अधिकारियों जैसे आयुक्त, अपर आयुक्त, बंदोबस्त आयुक्त आदि द्वारा पारित आदेश की अपील सीधे बोर्ड के पास।

धारा 76 - द्वितीय अपील

यदि धारा 75 के अंतर्गत की गई पहली अपील का कोई निर्णय आता है, और उससे भी कोई पक्ष संतुष्ट नहीं है, तो वह दूसरी अपील कर सकता है। यह दूसरी अपील निम्नलिखित प्रकार से की जा सकती है:

1. यदि कलेक्टर ने अपील का निर्णय दिया है (जो बंदोबस्त या भू-अभिलेख से संबंधित नहीं है), तो अपील राजस्व अपीलीय प्राधिकारी के पास होगी।

2. यदि बंदोबस्त अधिकारी ने धारा 181 के तहत अपील का निपटारा किया है, तो अपील बंदोबस्त आयुक्त के पास होगी।

3. यदि भू-अभिलेख अधिकारी ने अपील का निर्णय दिया है, तो अपील भू-अभिलेख निदेशक के पास।

4. यदि आयुक्त, राजस्व अपीलीय प्राधिकारी या बंदोबस्त आयुक्त द्वारा अपील का निपटारा हुआ है, तो दूसरी अपील बोर्ड के पास होगी।

धारा 77 - कुछ मामलों में अपील की अनुमति नहीं

इस धारा के अंतर्गत यह स्पष्ट किया गया है कि निम्नलिखित आदेशों के विरुद्ध कोई अपील नहीं की जा सकती:

1. ऐसा आदेश जिसमें अपील या पुनर्विचार की याचिका धारा 5, सीमा अधिनियम, 1908 के तहत स्वीकार की गई हो।

2. ऐसा आदेश जिसमें पुनरीक्षण या पुनर्विचार की याचिका को खारिज किया गया हो।

3. ऐसा आदेश जो इस अधिनियम के अनुसार अंतिम माना गया हो।

4. ऐसा कोई अंतरिम आदेश (अंतिम नहीं) जो प्रक्रिया के दौरान पारित किया गया हो।

इसके अतिरिक्त, यह भी प्रावधान किया गया है कि जो भी अपीलें अंतरिम आदेशों के विरुद्ध पहले से लंबित हैं, वे भी समाप्त (abate) मानी जाएँगी। यानी वे स्वतः निरस्त हो जाएँगी।

धारा 78 - अपीलों की समय-सीमा

इस धारा में यह बताया गया है कि अपील कब तक की जा सकती है। यदि निर्धारित समय सीमा में अपील नहीं की गई तो वह निरस्त हो जाएगी:

1. कलेक्टर, भूमि अभिलेख अधिकारी, या बंदोबस्त अधिकारी के पास अपील – आदेश की तारीख से 30 दिन के भीतर।

2. राजस्व अपीलीय प्राधिकारी, बंदोबस्त आयुक्त या भूमि अभिलेख निदेशक के पास अपील – आदेश की तारीख से 60 दिन के भीतर।

3. बोर्ड के पास अपील – आदेश की तारीख से 90 दिन के भीतर।

उदाहरण:

यदि सहायक कलेक्टर ने 1 जनवरी को आदेश पारित किया है और उस आदेश की अपील राजस्व अपीलीय प्राधिकारी के पास करनी है, तो संबंधित पक्ष को 60 दिन के भीतर यानी 1 मार्च तक अपील दायर करनी होगी। अगर देरी होती है, तो अपील स्वीकृत नहीं की जाएगी जब तक देरी का उचित कारण न हो।

धारा 72 से 78 तक की ये सभी प्रावधान राजस्थान भूमि राजस्व अधिनियम में न्यायिक प्रक्रिया को त्वरित, स्पष्ट और सीमित अपीलों के दायरे में रखने के लिए बनाए गए हैं। मध्यस्थता को बढ़ावा देने, न्यायालयों पर भार कम करने, और विवादों के त्वरित निपटारे के लिए यह कानूनी व्यवस्था अत्यंत महत्वपूर्ण है। साथ ही, यह सुनिश्चित करती है कि अचल संपत्तियों पर अधिकार केवल कागजी आदेशों से नहीं बल्कि प्रभावी कार्यवाही के माध्यम से संपन्न हों, और अपीलें केवल आवश्यकतानुसार और सीमित समय में की जाएँ।

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