पंजीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 64 - 66: उप-रजिस्ट्रार और रजिस्ट्रार के विशेष कर्तव्य
आइए पंजीकरण अधिनियम, 1908 (Registration Act, 1908) के भाग XI के खंड (C) और (D) को समझते हैं, जो उन विशेष कर्तव्यों से संबंधित हैं जो पंजीकरण अधिकारियों को तब निभाने होते हैं जब एक ही दस्तावेज़ में वर्णित संपत्ति कई उप-जिलों या जिलों में स्थित होती है। यह भाग यह सुनिश्चित करता है कि संपत्ति के रिकॉर्ड सभी संबंधित क्षेत्राधिकारों में सही ढंग से दर्ज हों।
64. जब दस्तावेज़ कई उप-जिलों में भूमि से संबंधित हो, तब प्रक्रिया (Procedure where document relates to land in several sub-districts)
यह धारा उस स्थिति को बताती है जब एक उप-रजिस्ट्रार ऐसे दस्तावेज़ को पंजीकृत करता है जो अचल संपत्ति से संबंधित है और वह संपत्ति पूरी तरह से उसके अपने उप-जिले में स्थित नहीं है।
जब कोई उप-रजिस्ट्रार (Sub-Registrar) किसी ऐसे गैर-वसीयती दस्तावेज़ (non-testamentary document) को पंजीकृत करता है जो अचल संपत्ति से संबंधित है और वह संपत्ति पूरी तरह से उसके अपने उप-जिले में स्थित नहीं है, तो वह उस दस्तावेज़ का और उस पर बने पृष्ठांकन और प्रमाण पत्र (यदि कोई हो) का एक ज्ञापन (memorandum) बनाएगा। वह इस ज्ञापन को हर उस अन्य उप-रजिस्ट्रार को भेजेगा जो उसी रजिस्ट्रार के अधीनस्थ है और जिसके उप-जिले में ऐसी संपत्ति का कोई हिस्सा स्थित है। ऐसे ज्ञापन को प्राप्त करने वाला उप-रजिस्ट्रार इसे अपनी बुक नंबर 1 (Book No. 1) में दाखिल करेगा।
• उदाहरण: मान लीजिए एक ज़मीन का कुछ हिस्सा जयपुर शहर के उप-जिले में है और कुछ हिस्सा सांगानेर के उप-जिले में है। यदि आप जयपुर शहर के उप-रजिस्ट्रार के कार्यालय में बिक्री विलेख पंजीकृत कराते हैं, तो जयपुर का उप-रजिस्ट्रार एक ज्ञापन तैयार करेगा और उसे सांगानेर के उप-रजिस्ट्रार को भेजेगा, और सांगानेर का उप-रजिस्ट्रार उस ज्ञापन को अपनी रजिस्ट्री-बुक में दर्ज करेगा। इससे दोनों उप-जिलों के रिकॉर्ड अद्यतन (updated) हो जाते हैं।
65. जब दस्तावेज़ कई जिलों में भूमि से संबंधित हो, तब प्रक्रिया (Procedure where document relates to land in several districts)
यह धारा उस स्थिति को संबोधित करती है जब संपत्ति एक से अधिक जिलों में स्थित हो।
उपधारा (1) के अनुसार, जब एक उप-रजिस्ट्रार (Sub-Registrar) किसी ऐसे गैर-वसीयती दस्तावेज़ (non-testamentary document) को पंजीकृत करता है जो एक से अधिक जिलों में स्थित अचल संपत्ति से संबंधित है, तो वह उस दस्तावेज़ की एक प्रति, उस पर बने पृष्ठांकन और प्रमाण पत्र (यदि कोई हो) की एक प्रति, और धारा 21 में उल्लिखित नक्शे या योजना की एक प्रति (यदि कोई हो), हर उस दूसरे रजिस्ट्रार को भेजेगा जिसके जिले में ऐसी संपत्ति का कोई हिस्सा स्थित है (उस जिले के अलावा जहाँ उसका अपना उप-जिला स्थित है)।
• उदाहरण: यदि एक संपत्ति जयपुर और अलवर, दोनों जिलों में स्थित है, और उसे सांगानेर (जो जयपुर जिले में है) के उप-रजिस्ट्रार के पास पंजीकृत कराया जाता है, तो सांगानेर का उप-रजिस्ट्रार उस दस्तावेज़ और नक्शे की एक प्रति अलवर के रजिस्ट्रार को भेजेगा।
उपधारा (2) में कहा गया है कि जब रजिस्ट्रार (Registrar) ऐसी प्रति प्राप्त करता है, तो वह दस्तावेज़ और नक्शे या योजना की प्रति (यदि कोई हो) को अपनी बुक नंबर 1 (Book No. 1) में दाखिल करेगा। इसके अलावा, वह उस दस्तावेज़ का एक ज्ञापन (memorandum) अपने अधीनस्थ प्रत्येक उप-रजिस्ट्रार को भेजेगा जिसके उप-जिले में ऐसी संपत्ति का कोई हिस्सा स्थित है। हर वह उप-रजिस्ट्रार जिसे ऐसा ज्ञापन प्राप्त होता है, उसे अपनी बुक नंबर 1 (Book No. 1) में दाखिल करेगा।
• उदाहरण: अलवर का रजिस्ट्रार सांगानेर के उप-रजिस्ट्रार से प्राप्त दस्तावेज़ की प्रति को अपनी बुक नंबर 1 में दर्ज करेगा। फिर, वह उस जिले के हर उप-रजिस्ट्रार को ज्ञापन भेजेगा जिसके उप-जिले में उस संपत्ति का कोई हिस्सा स्थित है (जैसे अलवर के रामगढ़ उप-जिले में)। रामगढ़ का उप-रजिस्ट्रार उस ज्ञापन को अपनी बुक नंबर 1 में दाखिल करेगा।
66. भूमि से संबंधित दस्तावेजों के पंजीकरण के बाद प्रक्रिया (Procedure after registration of documents relating to land)
यह धारा रजिस्ट्रार के विशेष कर्तव्यों का विस्तार से वर्णन करती है।
उपधारा (1) के अनुसार, किसी भी गैर-वसीयती दस्तावेज़ (non-testamentary document) को पंजीकृत करने पर, रजिस्ट्रार (Registrar) ऐसे दस्तावेज़ का एक ज्ञापन (memorandum) अपने अधीनस्थ प्रत्येक उप-रजिस्ट्रार को भेजेगा जिसके उप-जिले में संपत्ति का कोई हिस्सा स्थित है।
उपधारा (2) में कहा गया है कि रजिस्ट्रार ऐसे दस्तावेज़ की एक प्रति, साथ ही धारा 21 में उल्लिखित नक्शे या योजना की एक प्रति (यदि कोई हो), हर उस दूसरे रजिस्ट्रार को भी भेजेगा जिसके जिले में संपत्ति का कोई हिस्सा स्थित है।
उपधारा (3) के अनुसार, ऐसा रजिस्ट्रार ऐसी कोई भी प्रति प्राप्त होने पर उसे अपनी बुक नंबर 1 (Book No. 1) में दाखिल करेगा, और उस प्रति का एक ज्ञापन अपने अधीनस्थ प्रत्येक उप-रजिस्ट्रार को भी भेजेगा जिसके उप-जिले में संपत्ति का कोई हिस्सा स्थित है।
उपधारा (4) के अनुसार, इस धारा के तहत कोई भी ज्ञापन प्राप्त करने वाला प्रत्येक उप-रजिस्ट्रार इसे अपनी बुक नंबर 1 (Book No. 1) में दाखिल करेगा।
ये धाराएँ पंजीकरण प्रणाली की जाल (network) जैसी प्रकृति को दर्शाती हैं, जो यह सुनिश्चित करती है कि किसी भी अचल संपत्ति के लेनदेन का रिकॉर्ड न केवल उस कार्यालय में रखा जाए जहाँ इसे पंजीकृत किया गया था, बल्कि हर उस कार्यालय में भी रखा जाए जहाँ संपत्ति का कोई हिस्सा स्थित है। यह पारदर्शिता और रिकॉर्ड की सटीकता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।