राजस्थान न्यायालय शुल्क और वाद मूल्यांकन अधिनियम, 1961 की धारा 61 और 62 : अध्याय VII - शुल्क वापसी और रियायतें
राजस्थान न्यायालय शुल्क और वाद मूल्यांकन अधिनियम, 1961 (Rajasthan Court Fees and Suits Valuation Act, 1961) के अध्याय VII में न्यायालय शुल्क की वापसी और रियायतों से संबंधित प्रावधानों का उल्लेख किया गया है।
यह अध्याय विशेष रूप से उन परिस्थितियों को स्पष्ट करता है जब वादी (Plaintiff) या अपीलकर्ता (Appellant) को न्यायालय शुल्क की वापसी का अधिकार प्राप्त होता है। इस लेख में हम अध्याय VII के धारा 61 और 62 का सरल हिंदी में विस्तृत विश्लेषण करेंगे।
धारा 61: वादपत्र या अपील की अस्वीकृति के मामलों में शुल्क वापसी (Section 61: Refund in Cases of Rejection of Plaint or Appeal)
उप-धारा (1):
यदि कोई वादपत्र (Plaint) आदेश 7, नियम 11 (Order 7 Rule 11) के तहत या अपील ज्ञापन (Memorandum of Appeal) आदेश 41, नियम 3 या 11 (Order 41 Rule 3 or 11) के तहत अस्वीकृत किया जाता है, तो न्यायालय अपने विवेकानुसार वादी या अपीलकर्ता को पूर्ण या आंशिक रूप से भुगतान किया गया शुल्क वापस करने का निर्देश दे सकता है।
उदाहरण:
यदि रमेश ने एक दीवानी वाद दायर किया और आवश्यक शुल्क का भुगतान किया, लेकिन न्यायालय ने वादपत्र को आदेश 7, नियम 11 के तहत अस्वीकृत कर दिया, तो न्यायालय अपने विवेक से रमेश को पूर्ण या आंशिक शुल्क वापसी का निर्देश दे सकता है।
उप-धारा (2):
यदि अपील ज्ञापन को समय सीमा (Limitation Period) के भीतर प्रस्तुत न करने के कारण अस्वीकृत किया जाता है, तो शुल्क का आधा हिस्सा वापस किया जाएगा।
उदाहरण:
सीता ने एक अपील दायर की, लेकिन वह समय सीमा के बाद प्रस्तुत की गई। न्यायालय ने अपील को अस्वीकृत कर दिया। यदि सीता ने ₹2,000 का शुल्क भुगतान किया था, तो उसे ₹1,000 की वापसी मिलेगी।
धारा 62: पुनर्विचार (Remand) के मामलों में शुल्क वापसी (Section 62: Refund in Cases of Remand)
उप-धारा (1):
यदि किसी निचली अदालत द्वारा अस्वीकृत वादपत्र या अपील ज्ञापन को उच्चतर न्यायालय द्वारा स्वीकार करने का आदेश दिया जाता है, या यदि अपील में वाद को पुनः निचली अदालत में विचार के लिए भेजा जाता है, तो अपीलकर्ता को अपील ज्ञापन पर भुगतान किया गया पूर्ण शुल्क वापस किया जा सकता है। यदि यह पुनर्विचार दूसरी अपील (Second Appeal) में होता है, तो पहली अपील और दूसरी अपील दोनों पर भुगतान किया गया शुल्क वापस किया जा सकता है।
उदाहरण:
विक्रम ने एक दीवानी वाद दायर किया, जिसे निचली अदालत ने अस्वीकृत कर दिया। उसने पहली अपील और फिर दूसरी अपील दायर की। हाईकोर्ट ने मामले को पुनः निचली अदालत में विचार के लिए भेजा। इस स्थिति में, विक्रम को दोनों अपीलों पर भुगतान किया गया शुल्क वापस मिल सकता है।
उप-धारा (2):
यदि दूसरी अपील या हाईकोर्ट के एकल न्यायाधीश के निर्णय के खिलाफ अपील में वाद को पुनः निचली अपीलीय अदालत में विचार के लिए भेजा जाता है, तो अपीलकर्ता को दूसरी अपील और पहली अपील दोनों पर भुगतान किया गया पूर्ण शुल्क वापस किया जा सकता है।
उदाहरण:
मंजू ने एक वाद दायर किया, जिसे निचली अदालत ने खारिज कर दिया। उसने पहली अपील और फिर हाईकोर्ट के एकल न्यायाधीश के निर्णय के खिलाफ अपील दायर की। हाईकोर्ट ने मामले को पुनः निचली अपीलीय अदालत में विचार के लिए भेजा। इस स्थिति में, मंजू को दोनों अपीलों पर भुगतान किया गया शुल्क वापस मिल सकता है।
प्रावधान:
1. यदि पुनर्विचार अपीलकर्ता की गलती के कारण हुआ है, तो शुल्क वापसी नहीं की जाएगी।
उदाहरण:
यदि अर्जुन ने निचली अदालत में आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए, जिसके कारण मामला खारिज हुआ, और बाद में हाईकोर्ट ने मामले को पुनः विचार के लिए भेजा, तो अर्जुन को शुल्क वापसी नहीं मिलेगी।
2. यदि पुनर्विचार केवल वाद के एक हिस्से के लिए है, तो शुल्क वापसी उसी हिस्से के लिए होगी।
उदाहरण:
यदि एक वाद में तीन संपत्तियों का विवाद है और हाईकोर्ट केवल एक संपत्ति के लिए पुनर्विचार का आदेश देता है, तो शुल्क वापसी केवल उस संपत्ति के लिए होगी।
राजस्थान न्यायालय शुल्क और वाद मूल्यांकन अधिनियम, 1961 के अध्याय VII में वादी और अपीलकर्ताओं को न्यायालय शुल्क की वापसी के अधिकार प्रदान किए गए हैं। ये प्रावधान न्यायिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित करने में सहायक हैं। हालांकि, शुल्क वापसी न्यायालय के विवेक पर निर्भर करती है और कुछ परिस्थितियों में सीमित होती है। इसलिए, वाद या अपील दायर करते समय इन प्रावधानों का ध्यान रखना आवश्यक है।