Sales of Goods Act, 1930 की धारा 23-25 : अनिश्चित माल की बिक्री और विनियोजन

Update: 2025-06-27 11:24 GMT

माल विक्रय अधिनियम (Sales of Goods Act), 1930 का अध्याय III माल की बिक्री के अनुबंधों के प्रभावों (Effects of the Contract) को समझना जारी रखता है, विशेष रूप से विक्रेता (Seller) और खरीदार (Buyer) के बीच माल में संपत्ति (Property in Goods) के हस्तांतरण के संबंध में। धारा 23 से 25 कुछ विशिष्ट परिदृश्यों (Specific Scenarios) से निपटती हैं जहाँ संपत्ति का हस्तांतरण जटिल हो सकता है।

अनिश्चित माल की बिक्री और विनियोजन (Sale of Unascertained Goods and Appropriation)

धारा 23(1) उस नियम को निर्धारित करती है जब अनिश्चित (Unascertained) या भविष्य के माल (Future Goods) की बिक्री में संपत्ति हस्तांतरित होती है। जहाँ वर्णन द्वारा अनिश्चित या भविष्य के माल की बिक्री का अनुबंध होता है और उस वर्णन का माल और सुपुर्दगी योग्य स्थिति में माल को अनुबंध के लिए अशर्त रूप से विनियोजित (Unconditionally Appropriated) किया जाता है, या तो विक्रेता द्वारा खरीदार की सहमति (Assent) से या खरीदार द्वारा विक्रेता की सहमति से, तो माल में संपत्ति तुरंत खरीदार को हस्तांतरित हो जाती है। यह सहमति स्पष्ट (Express) या निहित (Implied) हो सकती है, और विनियोजन (Appropriation) किए जाने से पहले या बाद में दी जा सकती है।

विनियोजन (Appropriation) का अर्थ है कि अनिश्चित स्टॉक से विशिष्ट माल को अनुबंध के उद्देश्य के लिए अलग करना और उन्हें पहचानना। यह वह कार्य है जो अनिश्चित माल को निर्धारित माल (Ascertained Goods) में बदल देता है, जिसके बाद संपत्ति हस्तांतरित हो सकती है।

उदाहरण के लिए, एक शराब व्यापारी (Wine Merchant) किसी ग्राहक को अपनी वाइनरी (Winery) से 50 बोतल 'शार्डोने' शराब बेचने का अनुबंध करता है। अभी ये बोतलें बाकी स्टॉक के साथ मिश्रित हैं (अनिश्चित माल)। जब शराब व्यापारी विशेष रूप से 50 बोतलें चुनता है, उन्हें ग्राहक के नाम पर पैक करता है, और ग्राहक इसकी पुष्टि करता है (सहमति), तो उन 50 बोतलों में संपत्ति ग्राहक को हस्तांतरित हो जाती है।

काम्पबेल बनाम मर्चेसन (Campbell v. Mersey Docks and Harbour Board) (1893) 1 KB 763 (एक प्रासंगिक उदाहरण): इस मामले में, यह दर्शाया गया कि माल का विनियोजन तब तक संपत्ति हस्तांतरित नहीं करता जब तक कि खरीदार की सहमति न हो। विनियोजन को स्पष्ट रूप से या निहित रूप से सहमत होना चाहिए।

वाहक को सुपुर्दगी (Delivery to Carrier)

धारा 23(2) 'विनियोजन' का एक विशेष उदाहरण प्रदान करती है जो 'वाहकों' (Carriers) से संबंधित है। जहाँ अनुबंध के अनुसरण में (In pursuance of the contract), विक्रेता माल को खरीदार को या वाहक (Carrier) या अन्य बाइली (Bailee) (चाहे खरीदार द्वारा नामित हो या नहीं) को खरीदार को भेजने के उद्देश्य से सुपुर्द करता है, और निपटान का अधिकार आरक्षित नहीं करता है (Does Not Reserve the Right of Disposal), तो उसे माल को अनुबंध के लिए अशर्त रूप से विनियोजित (Unconditionally Appropriated) माना जाता है। इस मामले में, संपत्ति तुरंत खरीदार को हस्तांतरित हो जाती है।

उदाहरण के लिए, आप दिल्ली में एक डीलर से एक लैपटॉप ऑर्डर करते हैं। डीलर लैपटॉप को पैक करता है और एक कूरियर कंपनी (वाहक) को भेजता है ताकि वह उसे आपको डिलीवर करे, और उसने निपटाने का कोई अधिकार आरक्षित नहीं किया है। जैसे ही लैपटॉप कूरियर कंपनी को दिया जाता है, लैपटॉप का स्वामित्व आप पर चला जाता है। यदि रास्ते में लैपटॉप खो जाता है, तो नुकसान आपका होगा (बशर्ते अनुबंध में कोई विपरीत शर्त न हो)।

अनुमोदन पर या "बिक्री या वापसी पर" भेजा गया माल (Goods Sent on Approval or “On Sale or Return”)

धारा 24 उन परिस्थितियों से संबंधित है जहाँ माल खरीदार को 'अनुमोदन पर' (On Approval) या 'बिक्री या वापसी पर' (On Sale or Return) या अन्य समान शर्तों पर सुपुर्द किया जाता है। ऐसे मामलों में, माल में संपत्ति खरीदार को निम्नलिखित में से किसी एक समय पर हस्तांतरित होती है:

• (a) जब वह अपनी स्वीकृति या अनुमोदन व्यक्त करता है (When He Signifies His Approval or Acceptance): संपत्ति तब हस्तांतरित होती है जब खरीदार विक्रेता को अपना अनुमोदन या स्वीकृति बताता है या लेन-देन को अपनाते हुए कोई अन्य कार्य करता है (जैसे कि माल को तीसरे पक्ष को बेचना, गिरवी रखना या उसका उपभोग करना)।

उदाहरण के लिए, आप एक कला डीलर से एक पेंटिंग 'अनुमोदन पर' लेते हैं। एक सप्ताह बाद, आप डीलर को फोन करते हैं और कहते हैं, "मुझे यह पेंटिंग पसंद है, मैं इसे खरीद रहा हूँ।" इस समय संपत्ति आप पर हस्तांतरित हो जाती है।

• (b) यदि वह अस्वीकृति की सूचना दिए बिना माल को अपने पास रखता है (If He Retains the Goods Without Giving Notice of Rejection):

o यदि माल की वापसी के लिए कोई समय निर्धारित किया गया है (If a Time Has Been Fixed for the Return of the Goods): तो ऐसे समय की समाप्ति पर संपत्ति हस्तांतरित हो जाती है।

o यदि कोई समय निर्धारित नहीं किया गया है (If No Time Has Been Fixed): तो एक उचित समय की समाप्ति पर संपत्ति हस्तांतरित हो जाती है। 'उचित समय' प्रत्येक मामले की परिस्थितियों पर निर्भर करेगा।

उदाहरण के लिए, एक पुस्तक विक्रेता आपको एक पुस्तक 'बिक्री या वापसी पर' भेजता है और कहता है कि आपके पास इसे वापस करने के लिए 10 दिन हैं। यदि आप 10 दिनों के भीतर उसे वापस नहीं करते हैं, तो 10वें दिन के अंत में पुस्तक का स्वामित्व आप पर हस्तांतरित हो जाता है। यदि कोई समय तय नहीं किया गया था और आप एक महीने तक पुस्तक अपने पास रखते हैं, तो एक उचित समय (जैसे 7-10 दिन) बीत जाने के बाद स्वामित्व आप पर हस्तांतरित हो गया होगा।

अत्किंसन बनाम बेल (Atkinson v. Bell) (1828) 9 B & C 517 (एक प्रासंगिक अंग्रेजी मामला): हालांकि यह सीधे इस धारा पर नहीं है, यह उन सिद्धांतों को स्थापित करता है कि खरीदार के 'स्वीकृति' के कार्य क्या हो सकते हैं। इसमें यह कहा गया कि यदि खरीदार एक ऐसा कार्य करता है जो केवल मालिक ही कर सकता है, तो उसे स्वीकारोक्ति मानी जाती है।

निपटान का अधिकार आरक्षित करना (Reservation of Right of Disposal)

धारा 25 विक्रेता के निपटान का अधिकार आरक्षित करने (Reserve the Right of Disposal) के अधिकार से संबंधित है, जिसका अर्थ है कि विक्रेता कुछ शर्तों के पूरा होने तक माल का स्वामित्व अपने पास रख सकता है, भले ही माल खरीदार या वाहक को सुपुर्द कर दिया गया हो।

धारा 25(1) के अनुसार, जहाँ विशिष्ट माल की बिक्री का अनुबंध होता है या जहाँ माल को बाद में अनुबंध के लिए विनियोजित किया जाता है, विक्रेता अनुबंध या विनियोजन की शर्तों द्वारा माल के निपटान का अधिकार आरक्षित कर सकता है जब तक कि कुछ शर्तें पूरी न हो जाएं। ऐसे मामले में, खरीदार को या खरीदार को भेजने के उद्देश्य से वाहक या अन्य बाइली को माल की सुपुर्दगी के बावजूद, माल में संपत्ति खरीदार को तब तक हस्तांतरित नहीं होती है जब तक कि विक्रेता द्वारा लगाई गई शर्तें पूरी नहीं हो जातीं।

उदाहरण के लिए, एक विक्रेता एक खरीदार को मशीन बेचता है, और अनुबंध में यह शर्त है कि स्वामित्व तभी हस्तांतरित होगा जब खरीदार मशीन की पूरी कीमत का भुगतान कर देगा। विक्रेता मशीन को खरीदार के स्थान पर भेजता है। जब तक खरीदार पूरी कीमत का भुगतान नहीं करता है, तब तक स्वामित्व विक्रेता के पास रहता है, भले ही मशीन खरीदार के कब्जे में हो। यदि इस बीच मशीन क्षतिग्रस्त हो जाती है और खरीदार ने पूरी कीमत का भुगतान नहीं किया है, तो नुकसान विक्रेता का होगा (जब तक कि अनुबंध में जोखिम के हस्तांतरण के बारे में विशेष प्रावधान न हों)।

आर. वी. क्लार्क (R. v. Clark) (1961) 3 All ER 673 (एक मामला जो इस अवधारणा को छूता है): इस मामले में, यह दर्शाया गया कि यदि विक्रेता स्पष्ट रूप से निपटान का अधिकार आरक्षित करता है, तो संपत्ति हस्तांतरित नहीं होती है, भले ही माल खरीदार के पास भेज दिया गया हो।

धारा 25(2) एक विशिष्ट स्थिति को बताती है जहाँ निपटान का अधिकार आरक्षित माना जाता है। जहाँ माल को रेलवे द्वारा carriage (परिवहन) के लिए भेजा या रेलवे प्रशासन को सुपुर्द किया जाता है और बिल ऑफ लेडिंग (Bill of Lading) या रेलवे रसीद (Railway Receipt) द्वारा, जैसा भी मामला हो, माल विक्रेता या उसके एजेंट के आदेश (Order of the Seller or His Agent) पर सुपुर्दगी योग्य होता है, तो विक्रेता को प्रथम दृष्टया (Prima Facie) निपटान का अधिकार आरक्षित माना जाता है। यह एक सामान्य व्यापारिक अभ्यास है जहाँ विक्रेता अपनी सुरक्षा के लिए स्वामित्व को अपने पास रखता है जब तक कि भुगतान नहीं हो जाता।

धारा 25(3) उस स्थिति से संबंधित है जहाँ विक्रेता कीमत के लिए खरीदार पर विनिमय बिल (Bill of Exchange) बनाता है और विनिमय बिल की स्वीकृति या भुगतान सुनिश्चित करने के लिए बिल ऑफ लेडिंग या रेलवे रसीद के साथ खरीदार को विनिमय बिल भेजता है। यदि खरीदार विनिमय बिल का सम्मान नहीं करता है (Honour the Bill of Exchange), तो वह बिल ऑफ लेडिंग या रेलवे रसीद को वापस करने के लिए बाध्य है।

और यदि वह बिल ऑफ लेडिंग या रेलवे रसीद को गलत तरीके से अपने पास रखता है, तो माल में संपत्ति उसे हस्तांतरित नहीं होती है। यह प्रावधान विक्रेता को सुरक्षा प्रदान करता है ताकि खरीदार दस्तावेजों को रखकर माल का स्वामित्व प्राप्त न कर सके, जबकि उसने भुगतान नहीं किया है।

स्पष्टीकरण (Explanation): इस धारा में, अभिव्यक्तियों "रेलवे" और "रेलवे प्रशासन" का वही अर्थ होगा जो उन्हें भारतीय रेलवे अधिनियम, 1890 (9 का 1890) के तहत क्रमशः सौंपा गया है।

ये धाराएँ मिलकर माल विक्रय के जटिल क्षेत्रों को कवर करती हैं जहाँ माल तुरंत निर्धारित नहीं होता है, या जहाँ विक्रेता भुगतान की सुरक्षा के लिए स्वामित्व को अपने पास रखना चाहता है। वे व्यापार और वाणिज्य में पार्टियों के अधिकारों और कर्तव्यों को संतुलित करने में मदद करती हैं।

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