भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 की धारा 62: बिना स्टाम्प लगे दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करने की सज़ा

भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 (Indian Stamp Act, 1899) एक महत्वपूर्ण कानून है जो कानूनी और वित्तीय दस्तावेज़ों (Legal and Financial Documents) पर स्टाम्प शुल्क (Stamp Duty) लगाने के नियमों को निर्धारित करता है।
यह अधिनियम यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी प्रकार का महत्वपूर्ण दस्तावेज़ बिना उचित स्टाम्प शुल्क के मान्य न हो। इसकी वजह से सरकार को राजस्व (Revenue) भी प्राप्त होता है और दस्तावेज़ कानूनी रूप से मजबूत होते हैं।
धारा 62 (Section 62) उन लोगों के लिए दंड का प्रावधान करता है जो बिना स्टाम्प लगे दस्तावेज़ों का उपयोग करते हैं, जैसे कि उन्हें बनाना, जारी करना, हस्ताक्षर करना, ट्रांसफर करना या भुगतान के लिए प्रस्तुत करना। इस लेख में हम धारा 62 के प्रावधानों को विस्तार से समझेंगे और इसे आसान उदाहरणों (Illustrations) के माध्यम से स्पष्ट करेंगे।
धारा 62 क्या है? (What is Section 62?)
धारा 62 उन सभी व्यक्तियों को दंडित करता है जो बिना स्टाम्प लगे दस्तावेज़ों का इस्तेमाल करते हैं। यह प्रावधान विभिन्न प्रकार के दस्तावेज़ों पर लागू होता है, जैसे कि प्रोमिसरी नोट (Promissory Note), बिल ऑफ एक्सचेंज (Bill of Exchange), और शेयर वारंट (Share Warrant)।
किन कार्यों पर दंड लगाया जाता है? (Actions That Attract Penalty)
बिना स्टाम्प लगे बिल ऑफ एक्सचेंज या प्रोमिसरी नोट पर हस्ताक्षर या लेन-देन (Drawing, Making, Issuing, Endorsing, or Transferring a Bill of Exchange or Promissory Note)
बिल ऑफ एक्सचेंज (Bill of Exchange) एक लिखित आदेश (Written Order) होता है, जिसमें एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को निर्दिष्ट राशि (Specified Amount) का भुगतान करने के लिए कहता है। इसी तरह, प्रोमिसरी नोट (Promissory Note) एक लिखित वादा (Written Promise) होता है, जिसमें कोई व्यक्ति किसी निश्चित राशि का भुगतान करने का वचन देता है।
यदि कोई व्यक्ति बिना उचित स्टाम्प शुल्क लगाए इन दस्तावेज़ों को बनाता है, जारी करता है, ट्रांसफर करता है, या किसी अन्य व्यक्ति को भुगतान के लिए सौंपता है, तो यह अपराध (Offense) माना जाएगा।
उदाहरण:
मान लीजिए, अजय एक प्रोमिसरी नोट बनाता है जिसमें वह विजय को ₹50,000 देने का वादा करता है, लेकिन इस पर आवश्यक स्टाम्प शुल्क नहीं लगाता। यदि विजय इस दस्तावेज़ को भुगतान के लिए प्रस्तुत करता है, तो दोनों इस धारा के तहत दोषी हो सकते हैं।
बिना स्टाम्प लगे दस्तावेज़ को भुगतान के लिए प्रस्तुत करना (Presenting for Acceptance or Payment)
यदि कोई व्यक्ति बिना स्टाम्प लगे बिल ऑफ एक्सचेंज या प्रोमिसरी नोट को भुगतान के लिए प्रस्तुत करता है, तो यह भी दंडनीय अपराध होगा।
उदाहरण:
यदि राहुल एक बिना स्टाम्प लगे बिल ऑफ एक्सचेंज को सुमित को भुगतान के लिए देता है, तो राहुल इस प्रावधान का उल्लंघन करेगा और दंड का भागी होगा।
अन्य कानूनी दस्तावेज़ बिना स्टाम्प के बनाना या हस्ताक्षर करना (Executing or Signing Any Other Instrument Without Stamping)
धारा 62 सिर्फ बिल ऑफ एक्सचेंज और प्रोमिसरी नोट तक सीमित नहीं है। यह अन्य कानूनी दस्तावेज़ों (Legal Documents) जैसे एग्रीमेंट (Agreement), अनुबंध (Contract), और डीड्स (Deeds) पर भी लागू होता है।
उदाहरण:
यदि अमित और सौरभ एक किराए (Lease) का समझौता करते हैं लेकिन इस पर आवश्यक स्टाम्प शुल्क नहीं लगाते हैं, तो वे दोनों इस धारा के तहत दोषी होंगे।
बिना स्टाम्प वाले प्रॉक्सी (Proxy) के जरिए मतदान करना (Voting Under an Unstamped Proxy)
प्रॉक्सी (Proxy) वह दस्तावेज़ होता है जिससे कोई शेयरधारक (Shareholder) किसी अन्य व्यक्ति को अपने स्थान पर वोट देने की अनुमति देता है। यदि कोई व्यक्ति बिना स्टाम्प लगे प्रॉक्सी के माध्यम से मतदान करता है, तो यह भी अपराध की श्रेणी में आएगा।
उदाहरण:
मान लीजिए, रोहन एक कंपनी का शेयरधारक है और उसने शेखर को एक प्रॉक्सी के जरिए मतदान करने का अधिकार दिया, लेकिन इस पर स्टाम्प शुल्क नहीं लगाया गया। यदि शेखर इस दस्तावेज़ का उपयोग करके वोट डालता है, तो यह अवैध होगा और दोनों पर जुर्माना लग सकता है।
धारा 62 के अंतर्गत सज़ा (Punishment Under Section 62)
धारा 62 के अंतर्गत किसी भी उल्लंघन के लिए अधिकतम ₹500 तक का जुर्माना (Fine) लगाया जा सकता है। यह जुर्माना प्रत्येक अलग-अलग अपराध के लिए लगाया जाएगा।
उदाहरण:
यदि संतोष दो बिना स्टाम्प लगे प्रोमिसरी नोट बनाता है और एक बिना स्टाम्प लगे बिल ऑफ एक्सचेंज पर हस्ताक्षर करता है, तो उसे तीन अलग-अलग मामलों में ₹500-₹500 का जुर्माना भरना पड़ सकता है।
यदि पहले से जुर्माना भर दिया हो तो छूट (Reduction of Fine If Penalty Has Been Paid)
यदि किसी व्यक्ति ने पहले ही स्टाम्प अधिनियम की अन्य धाराओं जैसे –
• धारा 35 (Section 35) – बिना स्टाम्प लगे दस्तावेज़ को वैध बनाने के लिए जुर्माना भरना
• धारा 40 (Section 40) – कलेक्टर (Collector) द्वारा स्टाम्प ड्यूटी और पेनल्टी निर्धारित करना
• धारा 61 (Section 61) – कलेक्टर द्वारा दस्तावेज़ को जब्त करना और उस पर स्टाम्प शुल्क लगाना
के तहत जुर्माना भर दिया है, तो यह राशि धारा 62 के अंतर्गत लगाए गए जुर्माने में समायोजित (Adjust) की जाएगी।
उदाहरण:
यदि नीरज ने बिना स्टाम्प लगे एक डीड बनाई और बाद में धारा 35 के तहत जुर्माना भरकर इसे वैध करवाया, तो अगर उस पर धारा 62 के तहत भी जुर्माना लगाया जाता है, तो पहले से दिया गया जुर्माना उसमें से घटा दिया जाएगा।
बिना स्टाम्प लगे शेयर वारंट जारी करने पर विशेष दंड (Special Penalty for Unstamped Share Warrants)
धारा 62(2) के अनुसार, यदि कोई कंपनी बिना स्टाम्प लगे शेयर वारंट (Share Warrant) जारी करती है, तो कंपनी पर ₹500 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। इसके अलावा, उस समय कंपनी के प्रबंध निदेशक (Managing Director), सचिव (Secretary), या अन्य वरिष्ठ अधिकारी (Principal Officer) को भी समान दंड भुगतना होगा।
उदाहरण:
यदि XYZ Ltd. ने बिना स्टाम्प लगे शेयर वारंट जारी किया, तो न केवल कंपनी बल्कि उसके निदेशक भी इस धारा के तहत दंड के पात्र होंगे।
धारा 62 यह सुनिश्चित करता है कि सभी कानूनी और वित्तीय दस्तावेज़ सही ढंग से स्टाम्प किए जाएं, जिससे न केवल सरकार को राजस्व प्राप्त हो, बल्कि ये दस्तावेज़ कानूनी रूप से भी मान्य हों। बिना स्टाम्प लगे दस्तावेज़ों का उपयोग करना अपराध है और इसके परिणामस्वरूप जुर्माना लगाया जा सकता है।
इसलिए, व्यक्तियों और व्यवसायों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे अपने दस्तावेज़ों को उचित स्टाम्प शुल्क के साथ निष्पादित करें। यदि गलती से कोई दस्तावेज़ बिना स्टाम्प के बनाया गया है, तो इसे तुरंत संबंधित प्रावधानों के तहत वैध कराना चाहिए।