राजस्थान न्यायालय शुल्क और वादों के मूल्य निर्धारण अधिनियम 1961 की धारा 54 के अंतर्गत कलेक्टर द्वारा संपत्ति के मूल्यांकन की जांच

Update: 2025-05-05 15:01 GMT

राजस्थान कोर्ट फीस और मुकदमों का मूल्यांकन अधिनियम, 1961 (Rajasthan Court Fees and Suits Valuation Act, 1961) में वसीयत (Probate) और उत्तराधिकार पत्र (Letters of Administration) से संबंधित प्रक्रियाओं को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है।

इस अधिनियम की धारा 54 (Section 54) कलेक्टर द्वारा संपत्ति के मूल्यांकन की जांच की प्रक्रिया को निर्धारित करती है। यह धारा सुनिश्चित करती है कि संपत्ति का मूल्यांकन सही और निष्पक्ष हो, ताकि न्यायालय द्वारा उचित शुल्क निर्धारित किया जा सके।

धारा 50 और 51 का संदर्भ

धारा 50 (Section 50) के अनुसार, वसीयत या उत्तराधिकार पत्र के लिए आवेदन के साथ संपत्ति का मूल्यांकन प्रस्तुत करना अनिवार्य है। यह मूल्यांकन दो प्रतियों में होना चाहिए और इसे संबंधित जिले के कलेक्टर को भेजा जाता है। धारा 51 (Section 51) में शुल्क की गणना के नियम दिए गए हैं, जो संपत्ति के बाजार मूल्य पर आधारित होते हैं।

कलेक्टर द्वारा मूल्यांकन की जांच (धारा 54)

धारा 54 (Section 54) के अंतर्गत, कलेक्टर को आवेदन और मूल्यांकन की प्रतिलिपि प्राप्त होने के बाद निम्नलिखित कार्य करने का अधिकार है:

1. मूल्यांकन की समीक्षा: कलेक्टर मूल्यांकन की जांच कर सकता है और यह सुनिश्चित कर सकता है कि प्रस्तुत मूल्यांकन सही है या नहीं।

2. जांच का आदेश: यदि कलेक्टर को संदेह होता है कि मूल्यांकन कम करके प्रस्तुत किया गया है, तो वह अपने अधीनस्थ अधिकारियों से जांच करवा सकता है।

3. अन्य जिलों के कलेक्टर से सहयोग: यदि संपत्ति अन्य जिलों में स्थित है, तो संबंधित जिलों के कलेक्टर से सही मूल्यांकन प्राप्त करने के लिए अनुरोध किया जा सकता है।

4. आवेदक से स्पष्टीकरण: कलेक्टर आवेदक को व्यक्तिगत रूप से या उसके प्रतिनिधि के माध्यम से बुलाकर साक्ष्य ले सकता है और मूल्यांकन के बारे में पूछताछ कर सकता है।

5. मूल्यांकन में संशोधन: यदि कलेक्टर को लगता है कि मूल्यांकन कम करके प्रस्तुत किया गया है, तो वह आवेदक से मूल्यांकन में संशोधन करने और संशोधित मूल्यांकन की प्रति न्यायालय में प्रस्तुत करने के लिए कह सकता है।

प्रक्रिया के उदाहरण

मान लीजिए, एक व्यक्ति ने वसीयत के लिए आवेदन किया और संपत्ति का मूल्यांकन ₹50 लाख प्रस्तुत किया। कलेक्टर की जांच में पता चलता है कि संपत्ति का वास्तविक मूल्य ₹70 लाख है। ऐसे में, कलेक्टर आवेदक से मूल्यांकन में संशोधन करने और ₹70 लाख के आधार पर शुल्क का भुगतान करने के लिए कह सकता है।

धारा 56 का संदर्भ

यदि कलेक्टर को यह पता चलता है कि वास्तविक मूल्यांकन के आधार पर शुल्क कम भुगतान किया गया है, तो वह धारा 56 (Section 56) के तहत कार्रवाई कर सकता है। इसमें आवेदक को शेष शुल्क के साथ-साथ जुर्माना भी देना पड़ सकता है। यदि शुल्क अधिक भुगतान किया गया है, तो अतिरिक्त राशि की वापसी की जा सकती है।

धारा 54 कलेक्टर को यह सुनिश्चित करने का अधिकार देती है कि वसीयत या उत्तराधिकार पत्र के लिए प्रस्तुत संपत्ति का मूल्यांकन सही है। यदि मूल्यांकन कम करके प्रस्तुत किया गया है, तो कलेक्टर आवेदक से संशोधन करवा सकता है और आवश्यक कार्रवाई कर सकता है। यह प्रक्रिया न्यायालय को उचित शुल्क निर्धारण में सहायता करती है और कानून के पालन को सुनिश्चित करती है।

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