Annuity और Periodic Payments के मूल्यांकन का नियम - धारा 25 भारतीय स्टांप अधिनियम, 1899

Update: 2025-02-21 12:02 GMT
Annuity और Periodic Payments के मूल्यांकन का नियम - धारा 25 भारतीय स्टांप अधिनियम, 1899

भारतीय स्टांप अधिनियम, 1899 (Indian Stamp Act, 1899) विभिन्न कानूनी दस्तावेजों (Legal Documents) और लेन-देन (Transactions) पर स्टांप शुल्क (Stamp Duty) लगाने के नियमों को निर्धारित करता है।

इस अधिनियम के तहत, यदि कोई दस्तावेज वार्षिकी (Annuity) या किसी अन्य प्रकार के आवधिक भुगतान (Periodic Payment) को सुरक्षित करने के लिए बनाया गया है, तो उस पर स्टांप शुल्क कैसे लगाया जाएगा, यह धारा 25 (Section 25) में स्पष्ट किया गया है।

वार्षिकी (Annuity) एक निश्चित राशि होती है, जो एक निश्चित अंतराल (Fixed Intervals) पर दी जाती है, जैसे हर महीने, हर साल, या किसी अन्य आवधिक आधार (Periodic Basis) पर।

यह भुगतान किसी निश्चित समय (Fixed Period) के लिए, अनिश्चित काल (Indefinite Time) तक, या किसी व्यक्ति के जीवनकाल (Lifetime) तक किया जा सकता है। चूंकि वार्षिकी का भुगतान एकमुश्त (Lump Sum) नहीं होता, बल्कि किश्तों (Installments) में किया जाता है, इसलिए इसका मूल्यांकन (Valuation) सामान्य लेन-देन से अलग तरीके से किया जाता है।

यह लेख धारा 25 की व्याख्या करेगा, इसे भारतीय स्टांप अधिनियम की अन्य धाराओं से जोड़ेगा, और उदाहरणों (Illustrations) के माध्यम से इसे स्पष्ट करेगा।

धारा 25 के अंतर्गत वार्षिकी और आवधिक भुगतान का मूल्यांकन (Valuation of Annuities and Periodic Payments under Section 25)

धारा 25 यह बताती है कि यदि कोई व्यक्ति किसी दस्तावेज (Instrument) के माध्यम से वार्षिकी (Annuity) या किसी अन्य आवधिक भुगतान (Periodic Payment) को सुरक्षित करता है, या यदि किसी संपत्ति (Property) के हस्तांतरण (Conveyance) का मूल्य (Consideration) वार्षिकी या आवधिक भुगतान के रूप में तय किया गया है, तो स्टांप शुल्क निम्नलिखित तीन स्थितियों में अलग-अलग तरीकों से लगाया जाएगा—

1. जब भुगतान की अवधि निश्चित हो और कुल राशि पहले से निर्धारित की जा सके (Clause a)

2. जब भुगतान की अवधि अनिश्चित हो या हमेशा के लिए हो (Clause b)

3. जब भुगतान की अवधि किसी जीवित व्यक्ति के जीवन से जुड़ी हो (Clause c)

(a) जब भुगतान निश्चित समय के लिए हो (Fixed Period Payment)

यदि भुगतान एक निश्चित समय के लिए किया जाता है और कुल राशि पहले से तय की जा सकती है, तो स्टांप शुल्क कुल देय राशि (Total Payable Amount) पर लगेगा।

उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति एक अनुबंध (Contract) करता है, जिसमें यह लिखा है कि वह अगले 10 वर्षों तक प्रति वर्ष ₹10,000 का भुगतान करेगा, तो कुल राशि ₹10,000 × 10 = ₹1,00,000 होगी। इस स्थिति में, स्टांप शुल्क ₹1,00,000 पर लगाया जाएगा।

यह स्थिति सबसे सरल है, क्योंकि भुगतान की कुल राशि पहले से ही निश्चित होती है और इसका मूल्यांकन सीधा होता है।

(b) जब भुगतान अनिश्चित काल या हमेशा के लिए हो (Indefinite or Perpetual Payment)

यदि भुगतान हमेशा के लिए (Perpetual) या किसी अनिश्चित अवधि (Indefinite Period) के लिए तय किया गया है, और इसे किसी व्यक्ति के जीवन से नहीं जोड़ा गया है, तो स्टांप शुल्क का मूल्यांकन पहले 20 वर्षों के भुगतान के आधार पर किया जाएगा।

उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति एक अनुबंध करता है, जिसमें यह लिखा है कि वह हर साल ₹5,000 का भुगतान अनिश्चित काल तक करेगा, तो स्टांप शुल्क का मूल्यांकन 20 वर्षों की कुल राशि (₹5,000 × 20 = ₹1,00,000) के आधार पर किया जाएगा।

यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि अनिश्चित भुगतान को कम करके आंका न जाए, लेकिन साथ ही, इसकी गणना पूरी तरह अनंत (Infinite) समय के लिए भी न की जाए।

(c) जब भुगतान किसी व्यक्ति के जीवनकाल तक हो (Life-Based Indefinite Payment)

यदि भुगतान अनिश्चित है, लेकिन किसी जीवित व्यक्ति (Living Person) के जीवन से जुड़ा हुआ है, तो स्टांप शुल्क का मूल्यांकन 12 वर्षों की राशि के आधार पर किया जाएगा।

उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति एक अनुबंध करता है, जिसमें वह यह तय करता है कि जब तक उसकी दादी जीवित हैं, तब तक वह प्रति वर्ष ₹3,000 का भुगतान करेगा, तो स्टांप शुल्क का मूल्यांकन 12 वर्षों की कुल राशि (₹3,000 × 12 = ₹36,000) के आधार पर किया जाएगा।

यह प्रावधान जीवन प्रत्याशा (Life Expectancy) के आधार पर एक मानक अवधि निर्धारित करता है, ताकि न तो बहुत अधिक कर लगाया जाए और न ही सरकार को राजस्व का नुकसान हो।

धारा 25 का भारतीय स्टांप अधिनियम की अन्य धाराओं से संबंध (Relation with Other Sections of the Indian Stamp Act)

धारा 25 को समझने के लिए, इसे अधिनियम की अन्य संबंधित धाराओं से जोड़कर देखना महत्वपूर्ण है—

• धारा 20 (विदेशी मुद्रा में व्यक्त राशि का रूपांतरण - Foreign Currency Conversion): जिस प्रकार स्टांप शुल्क विदेशी मुद्रा (Foreign Currency) में व्यक्त राशि के विनिमय दर (Exchange Rate) के आधार पर लगाया जाता है, उसी प्रकार वार्षिकी के मूल्यांकन के लिए मानक गणना विधियां (Standard Calculation Methods) अपनाई जाती हैं।

• धारा 21 (शेयर और बाज़ार योग्य प्रतिभूतियों का मूल्यांकन - Valuation of Stock and Marketable Securities): इस धारा में कहा गया है कि प्रतिभूतियों (Securities) का मूल्य उनके औसत बाज़ार मूल्य (Average Market Price) के आधार पर तय किया जाएगा। इसी तरह, धारा 25 में वार्षिकी का मूल्यांकन पूर्व निर्धारित अवधियों (Predefined Periods) के आधार पर किया जाता है।

• धारा 24 (ऋण के बदले संपत्ति का हस्तांतरण - Transfer of Property in Consideration of Debt): जिस प्रकार धारा 24 में कहा गया है कि किसी संपत्ति पर बकाया ऋण (Outstanding Debt) को संपत्ति की कुल कीमत में जोड़ा जाएगा, उसी प्रकार धारा 25 में वार्षिकी को एक निश्चित अवधि के लिए गणना कर स्टांप शुल्क तय किया जाता है।

यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि स्टांप शुल्क का मूल्यांकन समानता (Consistency) और न्यायसंगत तरीके से किया जाए।

उदाहरण (Illustrations) और उनकी व्याख्या (Explanation)

धारा 25 के प्रभाव को बेहतर तरीके से समझने के लिए, आइए कुछ उदाहरणों पर विचार करें—

उदाहरण 1: निश्चित अवधि की वार्षिकी (Clause a)

कोई व्यक्ति एक अनुबंध करता है, जिसमें तय किया गया है कि वह अगले 10 वर्षों तक हर साल ₹8,000 का भुगतान करेगा। चूंकि कुल राशि पहले से निर्धारित की जा सकती है (₹8,000 × 10 = ₹80,000), इसलिए स्टांप शुल्क ₹80,000 पर लगेगा।

उदाहरण 2: अनिश्चितकालीन वार्षिकी (Clause b)

कोई व्यक्ति एक अनुबंध करता है, जिसमें वह हमेशा के लिए हर साल ₹6,000 का भुगतान करेगा। इस स्थिति में, स्टांप शुल्क का मूल्यांकन 20 वर्षों की कुल राशि (₹6,000 × 20 = ₹1,20,000) पर किया जाएगा।

उदाहरण 3: जीवन आधारित वार्षिकी (Clause c)

कोई व्यक्ति तय करता है कि वह अपनी मां के जीवनकाल तक हर साल ₹7,000 का भुगतान करेगा। इस स्थिति में, स्टांप शुल्क 12 वर्षों की कुल राशि (₹7,000 × 12 = ₹84,000) पर लगाया जाएगा।

धारा 25 यह सुनिश्चित करती है कि वार्षिकी और आवधिक भुगतान से जुड़े दस्तावेजों पर उचित स्टांप शुल्क लगाया जाए। यह प्रावधान यह भी सुनिश्चित करता है कि विभिन्न प्रकार के भुगतान, चाहे वे निश्चित अवधि के हों, अनिश्चित हों, या किसी व्यक्ति के जीवन से जुड़े हों, सभी के मूल्यांकन का एक स्पष्ट और तार्किक आधार हो।

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