मकान मालिक का किरायेदार को बेदखल करने का अधिकार : धारा 14 हिमाचल प्रदेश किराया नियंत्रण अधिनियम भाग 2

इस लेख के पिछले भाग में, हमने हिमाचल प्रदेश किराया नियंत्रण अधिनियम (Himachal Pradesh Rent Control Act) की धारा 14 के तहत किरायेदार को बेदखल (Eviction) करने के सामान्य नियमों पर चर्चा की थी। उसमें यह बताया गया था कि मकान मालिक किन परिस्थितियों में किरायेदार को हटाने के लिए आवेदन कर सकता है, जैसे किराया न देना, बिना अनुमति के सबलेट (Sublet) करना, संपत्ति का अनुचित उपयोग करना या नुकसान पहुँचाना। इस दूसरे भाग में, हम उन परिस्थितियों को विस्तार से समझेंगे, जब मकान मालिक व्यक्तिगत उपयोग या अन्य विशेष कानूनी कारणों से किरायेदार से संपत्ति खाली करवाने की माँग कर सकता है।
मकान मालिक द्वारा व्यक्तिगत उपयोग के लिए बेदखली (Eviction for Personal Use)
मकान मालिक को यह अधिकार है कि यदि उसे अपनी संपत्ति की जरूरत हो, तो वह किरायेदार से कब्जा वापस माँग सकता है। लेकिन, यह अधिकार कुछ शर्तों के अधीन होता है। यदि संपत्ति एक आवासीय (Residential) या गैर-आवासीय (Non-Residential) भवन है, तो मकान मालिक को यह साबित करना होगा कि वह वास्तव में इसे अपने रहने या व्यवसाय के लिए उपयोग करना चाहता है।
कानून यह सुनिश्चित करता है कि मकान मालिक इस प्रावधान (Provision) का दुरुपयोग न करे और बिना किसी ठोस जरूरत के किरायेदार को न निकाले। इसलिए, यदि मकान मालिक पहले से ही उसी शहरी क्षेत्र (Urban Area) में अपनी ही कोई अन्य संपत्ति का उपयोग कर रहा है, तो वह किरायेदार को बेदखल नहीं कर सकता।
इसके अलावा, यदि मकान मालिक ने पिछले पाँच वर्षों के भीतर उसी शहरी क्षेत्र में अपनी कोई अन्य संपत्ति बिना किसी ठोस कारण के खाली कर दी थी, तो वह इस प्रावधान के तहत किरायेदार को हटाने के लिए आवेदन नहीं कर सकता। यह व्यवस्था इसीलिए की गई है ताकि मकान मालिक बार-बार किरायेदारों को परेशान न कर सके और केवल वास्तविक आवश्यकता होने पर ही संपत्ति वापस माँग सके।
मकान मालिक के कर्मचारी (Employee) के रूप में रहने वाले किरायेदार की बेदखली
कई बार ऐसा होता है कि मकान मालिक अपने कर्मचारी (Employee) को नौकरी के हिस्से के रूप में रहने के लिए कोई संपत्ति किराए पर देता है। उदाहरण के लिए, एक कंपनी या व्यवसाय का मालिक अपने वर्कर (Worker), गार्ड (Guard) या देखभाल करने वाले व्यक्ति को रहने के लिए जगह देता है। लेकिन जब वह व्यक्ति नौकरी छोड़ देता है या हटा दिया जाता है, तो मकान मालिक को अधिकार होता है कि वह उसे बेदखल करने के लिए आवेदन करे।
हालांकि, कानून यह भी सुनिश्चित करता है कि किसी कर्मचारी के साथ अन्याय न हो। यदि किसी कर्मचारी को औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 (Industrial Disputes Act, 1947) के नियमों का उल्लंघन करके नौकरी से निकाला गया है, तो मकान मालिक उसे तुरंत नहीं हटा सकता। इस स्थिति में, जब तक औद्योगिक विवाद अधिनियम के तहत सक्षम प्राधिकारी (Competent Authority) यह पुष्टि नहीं करता कि कर्मचारी को सही तरीके से हटाया गया है, तब तक मकान मालिक किरायेदार को जबरदस्ती नहीं निकाल सकता।
सशस्त्र बल (Armed Forces) के सदस्यों के लिए विशेष अधिकार
यदि कोई मकान मालिक भारतीय सशस्त्र बलों (Armed Forces of India) में कार्यरत है और उसे अपनी संपत्ति अपने परिवार के रहने के लिए चाहिए, तो उसे किरायेदार को बेदखल करने का विशेष अधिकार दिया गया है। लेकिन इसके लिए मकान मालिक को भारतीय सैनिक (विधि) अधिनियम, 1925 (Indian Soldiers (Litigation) Act, 1925) की धारा 7 के तहत प्रमाण पत्र (Certificate) प्रस्तुत करना होगा।
यह प्रमाण पत्र यह साबित करने के लिए पर्याप्त होगा कि मकान मालिक विशेष परिस्थितियों (Special Conditions) में सेवा कर रहा है या उसे गैर-पारिवारिक क्षेत्र (Non-Family Station) में तैनात किया गया है, जहाँ वह अपने परिवार को अपने साथ नहीं रख सकता। इस स्थिति में, कानून यह अनुमति देता है कि मकान मालिक का परिवार किरायेदार से संपत्ति वापस लेकर उसमें रह सके।
इस प्रावधान के तहत "परिवार" (Family) में मकान मालिक के माता-पिता और वे सभी करीबी संबंधी (Relatives) शामिल होते हैं, जो आमतौर पर उनके साथ रहते हैं और उन पर आश्रित (Dependent) होते हैं।
किरायेदार द्वारा अन्य वैकल्पिक (Alternative) आवास प्राप्त करना
यदि किसी किरायेदार ने कोई अन्य मकान खरीद लिया है या उसे कोई ऐसी संपत्ति आवंटित (Allotted) की गई है जो उसकी जरूरतों के लिए पर्याप्त है, तो वह पहले से किराए पर ली गई संपत्ति को अनिश्चित काल तक अपने पास नहीं रख सकता।
इसका मतलब यह है कि यदि किसी किरायेदार ने, इस अधिनियम के लागू होने से पहले या बाद में, अपने लिए उपयुक्त रहने की व्यवस्था कर ली है, तो मकान मालिक उसे संपत्ति खाली करने के लिए कह सकता है। यह नियम यह सुनिश्चित करता है कि जिन लोगों को अब किराए के मकान की जरूरत नहीं है, वे उसे अनावश्यक रूप से अपने पास न रखें।
किराए की जमीन (Rented Land) के मामले में बेदखली
धारा 14 के नियम किराए की जमीन (Rented Land) पर भी लागू होते हैं, जिसमें खुली जमीन (Open Land) शामिल हो सकती है, जिसका उपयोग व्यवसाय, कृषि (Agriculture) या अन्य उद्देश्यों के लिए किया जाता है। मकान मालिक अपने उपयोग के लिए किराए की जमीन वापस लेने के लिए आवेदन कर सकता है, लेकिन शर्त यह है कि उसके पास पहले से उसी शहरी क्षेत्र में कोई अन्य किराए की जमीन व्यवसायिक उद्देश्यों (Business Purposes) के लिए नहीं होनी चाहिए।
इसके अलावा, यदि मकान मालिक किराए की जमीन पर कोई आवासीय (Residential) या गैर-आवासीय (Non-Residential) भवन बनाना चाहता है, या किसी उद्योग (Industry) की स्थापना करना चाहता है, तो उसे बेदखली का अधिकार होगा।
किराए की जमीन को अधिक किराए (Higher Rent) पर किरायेदार द्वारा किसी और को देना
यदि कोई किरायेदार, जो स्वयं जमीन किराए पर लिए हुए है, उसे किसी और को ज्यादा किराए पर देता है, तो यह मकान मालिक के अधिकारों का उल्लंघन माना जाएगा। ऐसे मामलों में मकान मालिक को कानूनी रूप से किरायेदार को हटाने का अधिकार होगा। यह नियम इस बात को सुनिश्चित करता है कि कोई किरायेदार बिना मकान मालिक की अनुमति के आर्थिक लाभ के लिए जमीन को किसी और को न दे।
उदाहरण (Illustrations)
1. व्यक्तिगत आवश्यकता का मामला
श्री शर्मा शिमला में एक दुकान के मालिक हैं, जिसे उन्होंने किराए पर दिया हुआ है। लेकिन नौकरी छूटने के कारण अब वे खुद का व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं और अपनी दुकान की जरूरत है। चूँकि उनके पास शहर में कोई अन्य व्यावसायिक संपत्ति नहीं है, वे किरायेदार को बेदखल करने के लिए आवेदन करते हैं, जिसे मंजूरी मिल जाती है।
2. कर्मचारी किरायेदार का मामला
एक फैक्ट्री मालिक ने अपने गार्ड, श्री रमेश को रहने के लिए जगह दी थी। कुछ वर्षों बाद, अनुशासनहीनता के कारण उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाता है। लेकिन चूँकि रमेश का मामला औद्योगिक विवाद अधिनियम के तहत लंबित था, कोर्ट ने तब तक उन्हें बेदखल करने से रोका, जब तक उनके निष्कासन को वैध नहीं ठहराया गया।
3. सशस्त्र बल का मामला
कैप्टन वर्मा, जो भारतीय सेना में कार्यरत हैं, हिमाचल प्रदेश में अपने किराए पर दिए गए मकान को अपने परिवार के रहने के लिए वापस लेना चाहते हैं। वे प्रमाण पत्र प्रस्तुत करते हैं, जिससे साबित होता है कि वे गैर-पारिवारिक क्षेत्र में तैनात हैं, और उन्हें अपनी संपत्ति वापस मिल जाती है।
धारा 14 का यह भाग मकान मालिकों और किरायेदारों के अधिकारों में संतुलन बनाए रखता है। यह सुनिश्चित करता है कि केवल उचित कारणों से ही किरायेदार को बेदखल किया जा सके, जिससे दोनों पक्षों के अधिकारों की रक्षा हो सके।