पंजीकरण अधिनियम, 1908 - धारा 28 -31: पंजीकरण का स्थान और विशेष परिस्थितियाँ

Update: 2025-07-28 11:38 GMT

धारा 28. भूमि से संबंधित दस्तावेजों के पंजीकरण का स्थान (Place for registering documents relating to land)

यह धारा अचल संपत्ति (immovable property) से संबंधित दस्तावेजों के पंजीकरण के स्थान के लिए एक सामान्य नियम स्थापित करती है। इस भाग में अन्यथा प्रदान किए गए को छोड़कर, धारा 17 (section 17) की उपधारा (1) के खंड (a), (b), (c), (d), और (e), धारा 17 की उपधारा (2) (जहाँ तक ऐसा दस्तावेज़ अचल संपत्ति को प्रभावित करता है), और धारा 18 (section 18) के खंड (a), (b), (c), और (cc) में उल्लिखित प्रत्येक दस्तावेज़ को उस उप-रजिस्ट्रार (Sub-Registrar) के कार्यालय में पंजीकरण के लिए प्रस्तुत किया जाएगा जिसके उप-जिले (sub-district) में संबंधित संपत्ति का पूरा या कुछ हिस्सा (whole or some portion) स्थित है।

इसका सीधा मतलब यह है कि अगर आपका दस्तावेज़ ज़मीन या घर जैसी अचल संपत्ति से संबंधित है, तो आपको उसे उसी उप-जिले के उप-रजिस्ट्रार कार्यालय में पंजीकृत कराना होगा जहाँ वह संपत्ति या उसका कुछ हिस्सा स्थित है। यह नियम संपत्ति के स्थान पर आधारित क्षेत्राधिकार (jurisdiction) सुनिश्चित करता है।

उदाहरण: यदि आप जयपुर शहर में एक फ्लैट बेच रहे हैं, और वह फ्लैट मालवीय नगर उप-जिले में आता है, तो आपको बिक्री विलेख को मालवीय नगर के उप-रजिस्ट्रार कार्यालय में ही पंजीकृत कराना होगा। यदि किसी दस्तावेज़ में ऐसी संपत्ति का उल्लेख है जो दो उप-जिलों (जैसे जयपुर और सांगानेर) की सीमा पर स्थित है, तो आप इसे किसी भी उप-जिले के उप-रजिस्ट्रार कार्यालय में पंजीकृत करा सकते हैं जहाँ संपत्ति का कोई भी हिस्सा स्थित है।

धारा 29. अन्य दस्तावेजों के पंजीकरण का स्थान (Place for registering other documents)

यह धारा उन दस्तावेजों के पंजीकरण के स्थान से संबंधित है जो अचल संपत्ति से संबंधित नहीं हैं या जो विशेष रूप से धारा 28 के तहत कवर नहीं किए गए हैं।

उपधारा (1) कहती है कि धारा 28 में उल्लिखित दस्तावेज़ या किसी डिक्री (decree) या आदेश (order) की प्रतिलिपि (copy) के अलावा, प्रत्येक दस्तावेज़ को पंजीकरण के लिए या तो उस उप-रजिस्ट्रार (Sub-Registrar) के कार्यालय में प्रस्तुत किया जा सकता है जिसके उप-जिले में दस्तावेज़ निष्पादित (executed) किया गया था, या राज्य सरकार (State Government) के अधीन किसी अन्य उप-रजिस्ट्रार के कार्यालय में जहाँ दस्तावेज़ को निष्पादित करने वाले और उसके तहत दावा करने वाले सभी व्यक्ति इसे पंजीकृत कराना चाहते हैं। यह जंगम संपत्ति (movable property) से संबंधित दस्तावेजों या सामान्य समझौतों के लिए अधिक लचीलापन प्रदान करता है।

उदाहरण: यदि किसी ने जयपुर में एक वाहन बेचने का समझौता किया है, तो वे इसे जयपुर के उप-रजिस्ट्रार कार्यालय में पंजीकृत करा सकते हैं। या, यदि विक्रेता जयपुर में रहता है और खरीदार उदयपुर में रहता है, और दोनों पक्ष सहमत हैं, तो वे इसे उदयपुर के किसी उप-रजिस्ट्रार कार्यालय में भी पंजीकृत करा सकते हैं, बशर्ते वह राज्य सरकार (State Government) के अधीन हो।

उपधारा (2) विशेष रूप से डिक्री (decree) या आदेश (order) की प्रतिलिपियों के पंजीकरण के स्थान से संबंधित है। एक डिक्री या आदेश की प्रतिलिपि को पंजीकरण के लिए उस उप-रजिस्ट्रार (Sub-Registrar) के कार्यालय में प्रस्तुत किया जा सकता है जिसके उप-जिले में मूल डिक्री या आदेश बनाया गया था। या, जहाँ डिक्री या आदेश अचल संपत्ति को प्रभावित नहीं करता है, वहाँ इसे राज्य सरकार (State Government) के अधीन किसी भी उप-रजिस्ट्रार के कार्यालय में प्रस्तुत किया जा सकता है जहाँ डिक्री या आदेश के तहत दावा करने वाले सभी व्यक्ति प्रतिलिपि को पंजीकृत कराना चाहते हैं।

उदाहरण: यदि किसी न्यायिक आदेश को अजमेर न्यायालय ने जारी किया है, तो उसकी प्रति अजमेर के उप-रजिस्ट्रार कार्यालय में पंजीकृत की जा सकती है। यदि यह आदेश किसी चल संपत्ति से संबंधित है और जयपुर के लोगों को प्रभावित करता है, तो वे उसे जयपुर के उप-रजिस्ट्रार कार्यालय में भी पंजीकृत करा सकते हैं यदि सभी संबंधित पक्ष सहमत हों।

धारा 30. कुछ मामलों में रजिस्ट्रारों द्वारा पंजीकरण (Registration by Registrars in certain cases)

उपधारा (1) एक महत्वपूर्ण शक्ति प्रदान करती है: कोई भी रजिस्ट्रार (Registrar) अपने विवेक (discretion) से किसी भी ऐसे दस्तावेज़ को प्राप्त और पंजीकृत कर सकता है जिसे उसके अधीनस्थ (subordinate) कोई उप-रजिस्ट्रार (Sub-Registrar) पंजीकृत कर सकता है। इसका मतलब है कि रजिस्ट्रार के पास अपने अधीनस्थ उप-रजिस्ट्रारों के क्षेत्राधिकार में आने वाले दस्तावेजों को सीधे पंजीकृत करने की शक्ति होती है, जिससे कुछ विशेष या महत्वपूर्ण मामलों में प्रक्रिया को सुगम बनाया जा सके।

उदाहरण: यदि किसी बड़े या जटिल संपत्ति लेनदेन को पंजीकृत किया जाना है, और पक्ष सीधे रजिस्ट्रार से संपर्क करना चाहते हैं (भले ही संपत्ति उप-रजिस्ट्रार के अधिकार क्षेत्र में हो), तो रजिस्ट्रार अपनी विवेकाधिकार का उपयोग करके उस दस्तावेज़ को स्वयं पंजीकृत कर सकता है।

धारा 31. निजी निवास पर पंजीकरण या जमा स्वीकार करना (Registration or acceptance for deposit at private residence)

यह धारा पंजीकरण या दस्तावेज़ों को जमा करने के लिए एक विशेष परिस्थिति प्रदान करती है जो सामान्य प्रक्रिया से हटकर है। सामान्य मामलों में, इस अधिनियम के तहत दस्तावेजों का पंजीकरण या जमा केवल उस अधिकारी के कार्यालय में किया जाएगा जिसे पंजीकरण या जमा के लिए उन्हें स्वीकार करने का अधिकार है।

परंतु (Provided that): एक महत्त्वपूर्ण अपवाद है। यदि विशेष कारण (special cause) बताया जाता है, तो ऐसा अधिकारी किसी दस्तावेज़ को पंजीकरण के लिए प्रस्तुत करने या वसीयत (will) जमा करने की इच्छा रखने वाले किसी व्यक्ति के निवास स्थान (residence) पर उपस्थित हो सकता है, और ऐसे दस्तावेज़ या वसीयत को पंजीकरण या जमा के लिए स्वीकार कर सकता है। यह प्रावधान बुजुर्गों, बीमार व्यक्तियों, या अन्य गंभीर परिस्थितियों वाले लोगों के लिए बनाया गया है जो व्यक्तिगत रूप से कार्यालय आने में असमर्थ हो सकते हैं।

उदाहरण: यदि कोई बहुत बुजुर्ग व्यक्ति अपनी वसीयत पंजीकृत कराना चाहता है और वह कार्यालय आने में असमर्थ है, तो उसके परिवार द्वारा विशेष कारण दिखाए जाने पर, रजिस्ट्रार या उप-रजिस्ट्रार उसके घर जाकर वसीयत को पंजीकृत कर सकते हैं।

ये धाराएँ पंजीकरण अधिनियम के नियमों को स्पष्ट करती हैं कि किसी दस्तावेज़ को कहाँ और किन परिस्थितियों में पंजीकृत किया जा सकता है, जिससे यह प्रक्रिया आम जनता के लिए अधिक सुलभ और न्यायसंगत बन सके।

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