NI Act की धारा 47 और 48 के प्रावधान

Update: 2025-03-28 03:58 GMT
NI Act की धारा 47 और 48 के प्रावधान

धारा 47 एवं 48 के अनुसार

कोई लिखत जब खो जाता है

कोई लिखत अभिप्राप्त किया गया है।

(क) अपराध से

(ख) कपट से

(ग) विधिविरुद्ध प्रतिफल से,

ऐसा कब्जाधारी या पृष्ठांकिती देय लिखत के देय रकम पाने का हकदार नहीं होगा।

जब तक कि ऐसा कब्जाधारी या पृष्ठांकिती सम्यक् अनुक्रम धारक नहीं है, या ऐसा कब्जाधारी या पृष्ठांकिती जिससे वह दावा करता है, सम्यक् अनुक्रम धारक है। धारा 58 की प्रयोज्यता धारा 47 एवं 48 पर धारा 47 एवं 45 का प्रारम्भ होने वाला वाक्य यह स्पष्ट करता है कि धारा 58 उक्त दोनों धाराओं पर एक सीमा के रूप में कार्य करती है यहाँ पर लेखक का मत धारा 47 पर प्रयोज्यता के सम्बन्ध में भिन्न है। उदाहरण के लिए 'अ' एक वाहक चेक चोरो या खोने की दशा में पाता है और इसे यह बैंक को संदाय करने के लिए उपस्थापित करता है।

बैंक चेक के वाहक प्रकृति के अनुसार संदाय करने के लिए आबद्ध होगा, यद्यपि कि ऐसा व्यक्ति विधिसम्मत रूप में लिखत का धारक नहीं है। परन्तु बैंक यह कैसे सुनिश्चित करेगा कि यह चोर या पाने वाला है। जब तक कि बैंक को इसकी सूचना न हो। अतः यदि बैंक सूचना के पूर्व ऐसे चेक का संदाय कर देता है ऐसा संदाय अच्छा एवं बाध्यकारी होगा। परन्तु ऐसा खोने या चोरी के संज्ञान होने की दशा में किया गया संदाय अच्छा एवं बाध्यकारी नहीं होगा।

खोए हुए लिखत का Negotiation (पृष्ठांकन) -

जब कोई वचन पत्र विनिमय पत्र या चेक खो जाता है तो उसका पाने वाला लिखत के सही स्वामी के विरुद्ध स्वत्य नहीं प्राप्त करता और न तो वह लेखक, प्रतिग्रहीता या ऊपरवाल पर संदाय पाने के लिए बाद ला सकता है। सही स्वामी का स्वत्व लिखत के खोने से प्रभावित नहीं होता है और वह ऐसे पाने वाले से लिखत वापस लेने का हकदार होता है। परन्तु जहाँ लिखत का पाने वाला यदि संदाय प्राप्त करता है, लिखत एक विधिमान्य उन्मुक्ति संदाय से रखता है। परन्तु फिर भी सही स्वामी ऐसे पाने वाले से लिखत में देय रकम को पाने का हकदार होता है।

वाहक लिखत-वाहक लिखत का पाने वाला या निरंक पृष्ठांकित लिखत जो केवल परिदान से हो परक्राम्य है, यदि सद्भावी अन्तरिती को प्रतिफल सहित Negotiationीय है, पृष्ठांकिती को एक अच्छा स्वत्व, सही स्वामी के विरुद्ध लिखत को धारण करने एवं लिखत के अधीन बाध्य पक्षकारों से संदाय पाने का हकदार होता है।

आदेशित लिखत यदि खोए हुए लिखत जो कि आदेशित देय है जो पृष्ठांकन एवं परिदान से अन्तरणीय है, खोने वाले के पृष्ठांकन को कूटरचित करता है और उसे एक सद्भावी अन्तरिती को परक्रामित कर देता है, तो ऐसा अन्तरिती एक अच्छा स्वत्व प्राप्त नहीं करता, क्योंकि कूटरचना कोई स्वत्व प्रदान नहीं कर सकता और प्रतिग्रहीता या अन्य पक्षकार के द्वारा किया गया संदाय विधिसम्मत नहीं होगा और कूटरचित लिखत में सही स्वामी संदाय पाने एवं लिखत का हकदार होगा। यह वांछनीय होगा कि खोए बिल का स्वामी ऐसे खोने की सूचना लिखत के अधीन आबद्धकारी पक्षकारों को सूचना भेजे जिससे वे लिखत को लेने के पूर्व समुचित जाँच कर ले। लोक विज्ञापन खोने के सम्बन्ध में किया जा सकता है।

पक्षकार जो लिखत को खोया है ऊपर को संदाय की मांग लिखत के देय होने पर करे और इसके अनादर की सूचना आबद्धकारी पक्षकारों को भेजे अन्यथा वह लेखक के विरुद्ध अनुतोष को खो देगा। वह खोए हुए लिखत की दूसरी कापी की भी मांग कर सकेगा।

लिखत को अपराध द्वारा अभिप्राप्त करना- धारा 58 अपराध द्वारा प्राप्त किए गए लिखत के Negotiation का प्रावधान करती है जो निम्नलिखित शीर्षकों में अध्ययन किया जाएगा

(क) किसी अपराध अर्थात् चोरी के द्वारा एक व्यक्ति जो लिखत को चोरों से प्राप्त किया है संदाय को प्रवर्तनीय नहीं करा सकता है और न तो जिस पक्षकार से वह लिखत को चुराया है उसके विरुद्ध धारित भी नहीं कर सकता है। यदि वह परक्रामित करता है-

वाहक लिखत- यदि एक चुरायी गयी वाहक लिखत को किसी अन्तरिती को परिदान द्वारा परक्रामित एवं सद्भावी अन्तरिती प्रतिफल सहित किया जाता है जिसे चोरी के तथ्य की जानकारी नहीं है, अन्तरिती को एक अच्छा स्वत्व प्राप्त हो जाएगा और अन्तरिती को एक अच्छा स्वत्व केवल चोर के विरुद्ध ही नहीं, बल्कि उसके किसी भी अन्य पक्षकार के विरुद्ध प्राप्त हो जाएगा। लेकिन चोर को स्वामी या अन्य पक्षकार के विरुद्ध कोई स्वत्व नहीं प्राप्त कर सकेगा।

आदेशी लिखत- एक आदेशी लिखत जो चुरायी गयी है, चोर स्वामी के पृष्ठांकन को कूटरचित कर एक सद्भावी पृष्ठांकिती को प्रतिफलार्थ अन्तरित करता है कूटरचना कोई स्वत्व प्रदान नहीं करेगा और Negotiation शून्य होगा।

मरकैन्टाइल बैंक ऑफ इण्डिया बनाम डी सिल्वा, में यह धारित किया गया है कि यदि एक लिखत कूटरचित पृष्ठांकन के द्वारा परक्रामित किया जाता है, ऐसे पृष्ठांकन से दावा करने वाला व्यक्ति यद्यपि कि वह सद्भावी एवं प्रतिफला क्रेता है, सम्यक् अनुक्रम धारक का अधिकार प्राप्त नहीं कर सकता है। परन्तु एक व्यक्ति इससे सम्यक अनुक्रम धारक का दावा करने वाला लिखत में ऐसे अधिकार का हकदार होगा और ऐसा सम्यक् अनुक्रम धारक के विरुद्ध लिखत के खोने या चोरी होने से बचाव नहीं प्राप्त कर सकेगा।

(ख) एवं (ग) कपट से या विधिविरुद्ध प्रतिफल से कपट सभी करारों एवं सम्व्यवहारों को दूषित बनाने का प्रभाव रखता है। यह सभी संविदाओं का सार है, परक्राम्य लिखतों को सम्मिलित करते हुए क्योंकि करार पक्षकारों की स्वतंत्र सम्पत्ति से किया जाना चाहिए। ऐसे व्यक्ति जो वाहक लिखत को कपट या अविधिमान्य प्रतिफल से प्राप्त किया है एक सद्भावी धारक को अन्तरित कर सकेगा।

जहाँ तक आदेशी लिखत का सम्बन्ध है कूटरचना का नियम स्वामी और ऐसे व्यक्ति के बीच लागू होगा, क्योंकि धारा 58 उपबन्धित करती है-

"जबकि परक्राम्य लिखत खो गई है या उसके रचयिता, प्रतिग्रहीता या धारक से अपराध या कपट द्वारा या विधिविरुद्ध प्रतिफल के लिए अभिप्राप्त की गई है तब जिस व्यक्ति ने लिखत को पाया था या ऐसे अभिप्राप्त किया था, उससे व्युत्पन्न अधिकार से दावा करने वाला कोई कब्जाधारी या पृष्ठांकिती उस पर शोध्य रकम को ऐसे रचयिता, प्रतिग्रहोता या धारक से या ऐसे धारक के पूर्विक किसी भी पक्षकार से उस दशा के सिवाय प्राप्त करने का हकदार नहीं है, जिसमें कि ऐसा कब्जाधारी या पृष्ठांकिती या वह कोई व्यक्ति जिससे व्युत्पन्न अधिकार से वह दावा करता है, उसका सम्यक् अनुक्रम धारक है।

बद्री दास कोठारी बनाम मेघराज कोठारी, में कलकत्ता हाईकोर्ट ने यह नियम दिया है कि एक सम्यक् अनुक्रम धारक किसी लिखत के सम्बन्ध में अच्छा स्वत्व प्राप्त कर लेता है जो लिखत मूल रूप से रचित या लिखा गया या पश्चात्वत विधिविरुद्ध प्रतिफल से परक्रामित किया गया।

फेडरल बँक बनाम पी० एस० कारनेस लि० 2, में उच्च न्यायालय, केरल ने यह धारित किया है कि एक चेक कम्पनी के एक कर्मचारी को दिया गया था कि वह कर्मकारों की मजदूरी का संदाय करने के लिए धनराशि आहरित करे। इसके बजाय उसने चेक को प्रतिफल सहित बैंक को अन्तरित कर दिया। बैंक सद्भावपूर्वक कार्य करते हुए कर्मचारी के कपट से प्रभावित नहीं हुआ। सुप्रीम कोर्ट के फेडरल बैंक लि० बनाम बी० एम० जोग इन्जी० लि में जहाँ एक बैंक साख पत्र का आदर करते हुए सम्यक अनुक्रम धारक हो गया है, वह अपने सम्यक् अनुक्रम धारक के अधिकार का प्रयोग करने से रोका नहीं जा सकेगा।

पृष्ठांकन आदेशित वचन पत्र, विनिमय पत्र या चेक को परक्रामित (अन्तरित) करने का केवल एक ही तरीका पृष्ठांकन है। पृष्ठांकन का कार्य लिखत के स्वामित्य को अन्तग्रस्त करना होता है।

यह पहलू निम्नलिखित शीर्षकों में अध्ययन किया जाएगा-

पृष्ठांकन की परिभाषा एवं आवश्यक लक्षण

पृष्ठांकन के प्रकार

एक विधिमान्य पृष्ठांकन के सामान्य सिद्धान्त या पृष्ठांकन के नियम

पृष्ठांकन का प्रभाव

पृष्ठांकन की परिभाषा एवं आवश्यक लक्षण-पृष्ठांकन शब्द लैटिन शब्द 'इनडोरसम' से लिया गया है जिसका अर्थ पृष्ठ पर ('इन' का अर्थ पर और 'डोरसम' का अर्थ 'पृष्ठ') जैसा कि यह संकेत करता है कि पृष्ठांकन का सामान्य स्थान लिखत के पृष्ठ पर होता है, परन्तु यह कोई विधिक प्रतिबन्ध नहीं है कि पृष्ठांकन लिखत के मुख्य भाग (चेहरे) पर नहीं किया जा सकता।

चूँकि एक आदेशी लिखत अपेक्षित करता है कि Negotiation के लिए पहले पृष्ठांकन और तब उसका परिदान किया जाना चाहिए। अतः लिखत का पृष्ठांकन इसके अन्तरण के लिए किया जाना चाहिए। अधिनियम की धारा 15 इसे यथा परिभाषित करती है।

"जबकि परक्राम्य का रचयिता या धारक ऐसे रचयिता के रूप में हस्ताक्षर करने से अन्यथा, Negotiation के प्रयोजन के लिए उसके पृष्ठ पर, या मुख्य भाग पर या उससे उपाबद्ध कागज की पर्ची पर हस्ताक्षर करता है या परक्राम्य लिखत के रूप में पूर्ति किए जाने के लिए आशयित स्टाम्प पत्र पर उसी प्रयोजन के लिए ऐसे हस्ताक्षर करता है, तब यह कहा जा सकता है कि वह उसे पृष्ठांकित करता है। और वह "पृष्ठांकक" कहलाता है। " अतः रचयिता द्वारा रचने से भिन्न या धारक द्वारा लिखत पर पृष्ठांकन के प्रयोजन से हस्ताक्षर करने को पृष्ठांकन कहते हैं और ऐसा करने वाले व्यक्ति को पृष्ठांकक एवं जिसके पक्ष में किया जाता है पृष्ठांकिती कहलाता है। पृष्ठांकक एवं पृष्ठांकिती की अन्तरक एवं अन्तरिती के रूप में लिया जाना चाहिए।

पृष्ठांकन का स्थान पृष्ठांकन का तथ्य अन्तर्वलित करता है पृष्ठांकिती (अन्तरिती) के पक्ष में लिखत पर हस्ताक्षर करना प्रश्न होता है कि पृष्ठांकन कहां पर किया जाना चाहिए।

अधिनियम की धारा 15 इसे स्पष्ट करती है कि इसे-

लिखत के मुख्य भाग पर, या

लिखत के पृष्ठ पर, या

लिखत से आबद्ध कागज, जिसे "एलोन्ज" कहते हैं, या

स्टाम्प पेपर पर

सामान्यतया पृष्ठांकन लिखत के पृष्ठ पर किया जाता है और यदि पृष्ठ पर स्थान नहीं है तो यह एक भिन्न कागज पर जिसे 'Allonge' कहते हैं पर किया जाता है। पृष्ठांकन लिखत के मुख्य-भाग पर भी किया जाता है, परन्तु सामान्यतया लिखत के मुख्य भाग पर इससे बचा जाता है।

पृष्ठांकन के आवश्यक लक्षण- पृष्ठांकन की परिभाषा से हो एक विधिमान्य पृष्ठांकन के निम्नलिखित आवश्यक लक्षण स्पष्ट हैं-

पृष्ठांकन का स्थान

पृष्ठांकक का प्रयोजन

पृष्ठांकन का हस्ताक्षर

पृष्ठांकन के पश्चात् इसका परिदान

लिखत के सम्पूर्ण धनराशि का पृष्ठांकन

प्राधिकृत व्यक्ति द्वारा पृष्ठांकन

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