
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 10 सम्यक अनुक्रम में संदाय के संबंध में है।
किसी भी सम्यक् अनुक्रम संदाय के लिए निम्नलिखित शर्तों को पूरा किया जाना चाहिए-
लिखत के प्रकट शब्दों के अनुसार संदाय,
सद्भावना पूर्वक
बिना किसी उपेक्षा के,
लिखत का कब्जा रखने वाले (धारक) को, एवं उस व्यक्ति को जो संदाय पाने का हकदार है। उक्त परिस्थितियों में की गई संदाय को विधिसम्मत संदाय भी कहेंगे।
लिखत के प्रकट शब्दों के अनुसार-लिखत के प्रकट शब्दों से अभिप्रेत है कि पक्षकारों के आशय के अनुसार संदाय किया जाना चाहिए जो लिखत के देखने से स्पष्ट होता है।
"प्रकट शब्दों" के अन्तर्गत निम्नलिखित उपादान सम्मिलित है :
लिखत का चरित्र - लिखत का संदाय प्रकट शब्दों में होने के लिए लिखत का चरित्र सारवान् होता है, अर्थात् वाहक या आदेशित लिखत का होना, चेकों की दशा में खुला या रेखांकित होना, यदि चेक रेखांकित है तो सामान्य या विशेष रेखांकित है। इस प्रकार एक रेखांकित चेक का संदाय बैंक के खिड़की पर किया जाना, या एक आदेशित लिखत का संदाय वाहक की समान किया जाना या लिखत पर सारवान परिवर्तन के बावजूद संदाय किया जाना सम्यक् अनुक्रम में संदाय नहीं होगा।
परिपक्वता पर या इसके पश्चात् संदाय - सम्यक् अनुक्रम में संदाय होने के लिए इसे लिखत के परिपक्वता या उसके पश्चात् किया जाना चाहिए। परिपक्वता के पूर्व संदाय करते समय लिखत को नष्ट कर देना चाहिए या उस पर संदत लिखा जाना चाहिए। इस प्रकार विनिमय पत्र का ऊपरवाल (प्रतिगृहीता) इसके परिवक्वता के पूर्व संदाय करता है और उसका धारक इसे पुनः किसी अन्य के पक्ष में पृष्ठांकित बिना प्रतिफल या प्रतिफल के कर देता है तो ऐसा पृष्ठांकन विधिमान्य होगा और पृष्ठांकिती प्रतिगृहीता से संदाय पाने का हकदार होगा यद्यपि कि वह लिखत का संदाय पूर्व में कर चुका है। परिपक्वता के पूर्व लिखत का संदाय संव्यवहार के पक्षकारों के बीच तो प्रभावी होता है, परन्तु इसका प्रभाव अन्य पक्षकारों के सम्बन्ध में अन्यथा होता है। इस प्रकार किसी लिखत का परिपक्वता के पूर्व उसका संदाय और तत्पश्चात् ऐसे लिखत का पृष्ठांकन सद्भाव पूर्वक पृष्ठांकितों के पक्ष में विधिमान्य होगा और वह इसे पुनः जारी कर सकेगा।
लिखत को पुनः जारी किया जाना- किसी लिखत का उसके परिपक्वता के पूर्व संदाय सम्यक् अनुक्रम में संदाय नहीं होता है अतः लिखत ऐसे संदाय से उन्मुक्त नहीं होता है। वचन पत्र के लेखक या विनिमय पत्र के प्रतिगृहीता की आबद्धता को लिखत के अन्तर्गत उस परिपक्वता के पूर्व उन्मुक्त नहीं करता है। चूंकि एक की परिपक्वता उसके लिखे जाने की तिथि से ही होता है अतः चेक की दशा में ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं होती।
किसी वचन पत्र का लेखक या विनिमय पत्र का प्रतिगृहीता संदाय द्वारा इसके परिपक्वता के पूर्व ऐसे लिखत को प्राप्त करता है, वहाँ वह वचन पत्र या विनिमय पत्र के सम्बन्ध में क्रेता होता है, उसे वह पुनः जारी कर सकता है इस भाव में कि वह उसे पुनः अन्तरित कर सकता है। यदि वह ऐसे नोट या बिल को पुनः अन्तरित (परक्रामित) करता है तो ऐसे लिखत एक नई जीवन संचलन के लिए प्राप्त हो जाती है और इसे वचन पत्र या विनिमय पत्र पुनः जारी किया जाना कहा जाता है। ऐसे मामलों में वचन पत्र का लेखक या विनिमय पत्र का प्रतिगृहीता यह विकल्प रखता है कि उसे रद्द करे या पुनः जारी करे।
यह भी ध्यान में रखना होगा कि जब किसी वचन पत्र या विनिमय पत्र का लेखक या प्रतिगृहीता (क्रमश:) ऐसे लिखत का परिपक्वता के पश्चात् धारक बन जाता है तो लिखत उन्मुक्त हो जाता है। श्री निवास बनाम गौन्डरों के मामले में एक माँग पर देय वचन पत्र का लेखक संदाय कर दिया, परन्तु वचन पत्र को वापस नहीं लिया या उसे रद्द नहीं किया था। वह पुनः संदाय के लिए आबद्ध माना गया जब मूल पाने वाले ने एक सम्यक् अनुक्रम धारक को अन्तरित कर दिया था। एक सामान्य धारक भी यदि सद्भावना पूर्वक धारक है तो संदाय के लिए हकदार होगा। यदि प्रतिगृहोता विनिमय पत्र के अधीन संदाय उसके परिपक्वता के पूर्व करता है, विनिमय पत्र का धारक उसे पुनः अन्तरित कर सकेगा और लिखत के अन्य सभी पक्षकार आबद्ध बने रहेंगे
सद्भावना पूर्वक संदाय सम्यक् अनुक्रम संदाय का दूसरी अपेक्षा है कि ऐसा संदाय सद्भावना पूर्वक किया जाना चाहिए। यह ऐसे संदाय का बड़ा ही महत्वपूर्ण शर्त है एवं वस्तुतः इस अपेक्षा के अधीन अन्य सभी अपेक्षाएं समाहित हैं।
यह कि संदाय सद्भावना पूर्वक बिना किसी उपेक्षा एवं उन परिस्थितियों में जिसमें यह विश्वास करने का कोई युक्तियुक्त आधार हो कि वह व्यक्ति जिसे संदाय किया गया है, वह संदाय पाने का हकदार नहीं है, किया जाना चाहिए। यदि वहाँ सन्देहजनक परिस्थितियाँ हैं तो संदाय करने वाले व्यक्ति को जाँच की जानी चाहिए और यदि वह जाँच करने में उपेक्षा बरतता है और संदाय कर देता है, तो ऐसा संदाय सम्यक् अनुक्रम में संदाय कर देता है, तो ऐसा संदाय सम्यक अनुक्रम में संदाय नहीं होगा।
अतः एक वाहक को देव विनिमय पत्र खो गया या चोरी हो गयी एवं चोर उसे प्रतिगृहीता के समक्ष परिपक्वता के पश्चात् उपस्थापित करता है, यदि प्रतिगृहोता उसे संदाय सद्भावना पूर्वक कर देता है और उसे संदाय करने के समय यह विश्वास करने का कोई आधार नहीं है कि वह लिखत का चोर है, यहाँ ऐसा संदाय सम्यक अनुक्रम में संदाय होगा एवं प्रतिगृहांता उन्मुक्त हो जाएगा। परन्तु लिखत का संदाय वस्तुतः माँग पर वाहक को देय है, सम्यक अनुक्रम में संदाय नहीं होगा यदि संदाय करने वाले व्यक्ति को यह संज्ञान में है कि लिखत की चोरी हो गयी है एवं संदाय की माँग करने वाला व्यक्ति संदाय का हकदार नहीं है। लिखत के लेखक द्वारा भुगतान, रोक आदेश के बाद चेक का संदाय सम्यक अनुक्रम में संदाय नहीं होगा।
शाहजोग हुण्डो की दशा में संदाय के लिए उपस्थापना करने वाले व्यक्ति की सम्मानीयता की जाँच के बिना किया गया संदाय सम्यक् अनुक्रम में संदाय नहीं होगा। पुनः किसी लिखत का संदाय करने के पूर्व, संदाय करने वाले व्यक्ति को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि लिखत की उपस्थापना करने वाला व्यक्ति लिखत के अधीन संदाय प्राप्त करने का हकदार है। इस प्रकार हुण्डी का ऊपरवाल उपेक्षापूर्वक एक गलत व्यक्ति को संदाय करता है, ऐसा संदाय विधिसम्मत संदाय नहीं होगा और वह फिर से हुण्डी का सम्पूर्ण धनराशि का संदाय करने को आबद्ध होगा। कूटरचित चेक या अन्य लिखत पर किया गया संदाय सम्यक् अनुक्रम में संदाय नहीं होगा।
बिना उपेक्षा के संदाय सद्भावना पूर्वक एवं बिना किसी उपेक्षा के किया जाना चाहिए। लिखत के मुख्य पृष्ठ पर या संदाय के लिए प्रस्तुत किये जाने वाले व्यक्ति के व्यवहार से कोई सन्देह एक विचारवान व्यक्ति के लिए कोई सन्देह उत्पन्न करने का अवसर नहीं होना चाहिए।
जहाँ चेक का भुगतान पाने वाले के खाते में किया जाना अपेक्षित है वहाँ वाहक को संदाय या चेक पर टेम्परिंग स्पष्ट है, या मिटाकर चेक को वाहक में परिवर्तित किया गया है यहाँ पाने वाले के स्थल पर वाहक को संदाय करने की दशा में बैंक चेक की धनराशि को ग्राहक को क्षतिपूर्ति करने के लिए आबद्ध होगा।
किसी व्यक्ति जो कब्जाधारी हों संदाय प्राप्त करने का हकदार है-
यहाँ पर (4) एवं (5) की शर्तों को एक साथ लिया जा रहा है, क्योंकि दोनों समान प्रभाव की हैं। संदाय ऐसे व्यक्ति को किया जाना चाहिए जो लिखत का कब्जाधारी एवं संदाय पाने का हकदार है। संदाय करने की परिस्थितियों से कोई ऐसा सन्देह न हो कि संदाय प्राप्त करने वाला व्यक्ति संदाय का हकदार नहीं है।
पी० एम० दास बनाम सेण्ट्रल बैंक ऑफ इण्डिया में यह धारित किया जाता है कि जहाँ बैंक किसी चेक का संदाय उसके प्रकट शब्दों के अनुसार सद्भावना पूर्वक एवं बिना किसी उपेक्षा और यह विश्वास न रखते हुए कि वह संदाय के लिए हकदार नहीं है, ऐसा संदाय सम्यक् अनुक्रम में (विधिसम्मत) माना जाएगा।
किसे संदाय किया जाना चाहिए- अधिनियम की धारा 78 के अनुसार वचन पत्र के लेखक, विनिमय पत्र का प्रतिगृहीता या चेक का संदाय उसके धारक को किया जाना चाहिए। पुनः धारा 82 (ग) के अनुसार यदि लिखत वाहक को देय है या कोरा पृष्ठांकन है, वहाँ सम्यक् अनुक्रम में किया गया संदाय एक विधिसम्मत उन्मुक्ति होगा।