BNSS, 2023 की धारा 247 के तहत आरोपों की वापसी और बरी होने की प्रक्रिया : आरोप प्रबंधन का पूरा ढांचा

Update: 2024-11-08 12:50 GMT

धारा 247 का परिचय और इसका महत्व (Importance of Section 247)

BNSS (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita), 2023 की धारा 247 चार्ज (Charge) से संबंधित अध्याय का अंतिम प्रावधान है। यह धारा उन स्थितियों पर लागू होती है, जहाँ किसी व्यक्ति पर एक से अधिक आरोप (Charges) लगाए गए हों और इनमें से एक या अधिक आरोपों पर दोष सिद्ध (Conviction) हो गया हो।

इस प्रावधान के तहत, शिकायतकर्ता (Complainant) या अभियोजन (Prosecution) अधिकारी, न्यायालय (Court) की सहमति से शेष आरोपों को वापस ले सकते हैं या न्यायालय अपने विवेक से उन आरोपों की जाँच या सुनवाई रोक सकता है।

यदि ऐसा किया जाता है, तो उन आरोपों पर आरोपी को बरी (Acquitted) मान लिया जाएगा। हालांकि, यदि दोष सिद्धि रद्द कर दी जाती है, तो पहले हटाए गए आरोपों की सुनवाई फिर से की जा सकती है।

यह धारा न्यायिक प्रक्रिया को सरल और प्रभावी बनाने में मदद करती है ताकि किसी व्यक्ति पर दोष सिद्ध होने के बाद बचे हुए आरोपों पर अनावश्यक सुनवाई से बचा जा सके।

धारा 247 का महत्व समझने के लिए जरूरी है कि इसके पहले के प्रावधानों (Provisions) को भी संक्षेप में समझा जाए, ताकि समूचे चार्ज सिस्टम का एक स्पष्ट और समग्र दृष्टिकोण प्राप्त हो सके।

चार्ज से संबंधित पहले के प्रावधानों पर पुनरावलोकन (Overview of Previous Provisions on Charges)

धारा 239 से लेकर धारा 246 तक के पहले के प्रावधानों में चार्ज को तय करने, बदलने, संयोजन (Consolidation) और संयुक्त सुनवाई से संबंधित कई महत्वपूर्ण नियम दिए गए हैं। ये प्रावधान सुनिश्चित करते हैं कि चार्ज प्रक्रिया न केवल स्पष्ट हो बल्कि न्यायपूर्ण (Fair) भी हो। आइए इन प्रावधानों का संक्षेप में अवलोकन करते हैं।

धारा 239 – चार्ज तय करने की मूल बातें (Framing a Charge)

धारा 239 एक आधारभूत धारा है जो बताती है कि चार्ज कब और कैसे तय किया जा सकता है। इस धारा का मुख्य उद्देश्य यह है कि चार्ज स्पष्ट और सही तरीके से तैयार हो, ताकि आरोपी आरोपों (Accusations) को समझ सके और अपना बचाव कर सके। यह प्रारंभिक धारा न्यायपूर्ण प्रक्रिया को सुनिश्चित करती है और अभियुक्त को तैयार होने का पूरा अवसर देती है।

धारा 240 – चार्ज का विवरण (Details of the Charge)

धारा 240 बताती है कि चार्ज के अंतर्गत क्या जानकारी दी जानी चाहिए। इस धारा के तहत चार्ज को सरल शब्दों में प्रस्तुत करना अनिवार्य है, ताकि आरोपी आरोपों को भली-भांति समझ सके। उदाहरण के लिए, अगर किसी व्यक्ति पर चोरी का आरोप है, तो इसमें समय, स्थान और परिस्थिति का विवरण होना चाहिए।

इस प्रावधान का उद्देश्य पारदर्शिता (Transparency) है, ताकि आरोपी को अपने बचाव के लिए पूरी जानकारी मिल सके और अदालत को सुनवाई की स्पष्ट दिशा मिल सके।

धारा 241 – चार्ज में संशोधन (Amendment of Charges)

धारा 241 के तहत अदालत को सुनवाई के दौरान चार्ज में संशोधन (Amend) करने का अधिकार है, बशर्ते आरोपी को इसके बारे में जानकारी दी जाए। इससे आरोपी को नए संशोधन के अनुसार अपना बचाव प्रस्तुत करने का मौका मिलता है। इस प्रावधान का उद्देश्य यह है कि न्याय प्रक्रिया को रोके बिना चार्ज में उचित बदलाव किए जा सकें।

यह लचीलेपन (Flexibility) और न्याय के सिद्धांतों का पालन करता है ताकि बदलती परिस्थितियों के अनुसार न्याय की सटीकता बनी रहे।

धारा 242 – एक ही तरह के अपराधों के लिए चार्ज का संयोजन (Joinder of Charges for Same or Similar Offenses)

धारा 242 के अनुसार, यदि एक ही प्रकार के अपराध या समान अपराधों का आरोप है जो 12 महीनों में किए गए हों, तो उन्हें एक साथ सुनवाई के लिए जोड़ा जा सकता है। इस प्रावधान का उद्देश्य न्यायिक प्रणाली (Judicial System) के बोझ को कम करना और एक साथ सुनवाई द्वारा समय की बचत करना है।

इस प्रावधान के कारण समान प्रकार के आरोपों को एक ही सुनवाई में समाहित कर दिया जाता है, जिससे न्याय प्रक्रिया अधिक संगठित (Organized) और कारगर बनती है।

धारा 243 – एक ही घटना में अलग-अलग अपराधों के लिए चार्ज का संयोजन (Joinder of Charges for Offenses from the Same Transaction)

धारा 243 एक ही घटना से जुड़े विभिन्न अपराधों पर संयुक्त सुनवाई की अनुमति देती है। इस प्रावधान का उद्देश्य है कि सभी संबंधित अपराधों की सुनवाई एक साथ हो ताकि आरोपी की पूरी गतिविधियों का समग्र आकलन किया जा सके।

यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि आरोपी के सभी कार्यों पर समग्र दृष्टिकोण (Holistic View) रखा जाए और न्यायिक संसाधनों (Judicial Resources) का कुशल उपयोग किया जा सके।

धारा 244 – एक समान अपराध के लिए वैकल्पिक चार्ज (Alternative Charges for Similar Offenses)

धारा 244 वैकल्पिक चार्ज की अनुमति देती है जब यह स्पष्ट न हो कि आरोपी ने कौन सा विशिष्ट अपराध किया है। इससे अदालत को यह विकल्प मिलता है कि वे साक्ष्यों (Evidence) के आधार पर आरोप तय कर सकें, जिससे कि अभियुक्त दोषी ठहराया जा सके।

यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि न्याय प्रक्रिया जटिलताओं (Complexities) में उलझे बिना आरोपी को उचित सजा दे सके।

धारा 245 – कम अपराध के लिए दोष सिद्धि का प्रावधान (Conviction for Minor Offense)

धारा 245 के अनुसार, यदि किसी आरोपी पर गंभीर आरोप है परंतु साक्ष्य केवल छोटे अपराध को सिद्ध करते हैं, तो उसे उसी छोटे अपराध के लिए दोषी ठहराया जा सकता है। इससे न्यायालय यह सुनिश्चित कर सकती है कि साक्ष्यों के आधार पर उचित दोष सिद्धि हो सके।

यह प्रावधान व्यावहारिकता (Practicality) को महत्व देता है और दोष सिद्धि की संभावना बढ़ाता है।

धारा 246 – सह-अभियुक्तों के संयुक्त परीक्षण का प्रावधान (Joint Trials of Co-accused)

धारा 246 सह-अभियुक्तों (Co-accused) के संयुक्त परीक्षण की अनुमति देती है। यदि कई लोग एक ही घटना में विभिन्न अपराधों में शामिल हों, तो सभी की सुनवाई एक साथ हो सकती है। इससे अदालत को घटना के सभी पहलुओं का एक साथ आकलन करने का मौका मिलता है।

धारा 247: दोष सिद्धि के बाद शेष आरोपों को वापस लेना

धारा 247 का उद्देश्य यह है कि अगर आरोपी किसी एक आरोप में दोषी सिद्ध हो चुका है, तो अभियोजन अधिकारी अन्य आरोपों को वापस ले सकते हैं।

1. अदालत की भूमिका

अदालत का विवेक इस धारा में महत्वपूर्ण है। अदालत यह तय कर सकती है कि दोष सिद्धि के बाद बाकी आरोपों की सुनवाई की आवश्यकता है या नहीं।

2. अभियोजन की सहमति

अभियोजन अधिकारी अदालत की अनुमति से शेष आरोपों को वापस ले सकते हैं, जिससे अनावश्यक सुनवाई से बचा जा सके।

3. वापस लिए गए आरोपों का असर

धारा 247 के अंतर्गत जो आरोप वापस लिए गए हैं, उन पर आरोपी को बरी मान लिया जाता है।

4. वापस लिए गए आरोपों की पुनः सुनवाई

अगर दोष सिद्धि रद्द हो जाती है, तो अदालत द्वारा पहले हटाए गए आरोपों पर पुनः सुनवाई की जा सकती है।

आरोप प्रबंधन का एक संगठित ढांचा

BNSS का यह अध्याय, धारा 247 के माध्यम से, एक संतुलित ढांचा प्रदान करता है जिसमें आरोपों को न्यायिक रूप से प्रभावी और त्वरित ढंग से संभाला जा सके। आरोपों को प्रबंधित करने का यह तरीका सुनिश्चित करता है कि न्यायिक प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी हो, साथ ही संसाधनों का कुशलता से उपयोग हो।

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