भारतीय न्याय संहिता, 2023 के अंतर्गत धारा 270, 292, और 293 में लोक उपद्रव से जुड़े अपराध
भारतीय न्याय संहिता, 2023, जो भारतीय दंड संहिता का स्थान ले चुकी है और 1 जुलाई 2024 से लागू हुई है, सार्वजनिक स्वास्थ्य (Public Health), सुरक्षा (Safety), सुविधा (Convenience), शालीनता (Decency), और नैतिकता (Morality) को प्रभावित करने वाले अपराधों से संबंधित नियमों का वर्णन करती है।
संहिता के अध्याय XV में लोक उपद्रव (Public Nuisance) से संबंधित अपराधों को परिभाषित किया गया है। इसमें बताया गया है कि किन कार्यों या चूक (Omissions) को सामूहिक खतरे, असुविधा या नुकसान (Injury) के रूप में देखा जा सकता है और उनके खिलाफ कैसे कार्यवाही हो सकती है। इस लेख में हम प्रत्येक धारा को सरल भाषा में समझाते हैं, ताकि आम नागरिक इस नए कानून का अर्थ अच्छे से समझ सकें।
धारा 270: लोक उपद्रव (Public Nuisance) का अर्थ और इसके परिणाम
धारा 270 में लोक उपद्रव को परिभाषित किया गया है। इसमें कहा गया है कि किसी भी ऐसे कार्य या अवैध चूक को लोक उपद्रव माना जाएगा, जो जनता या आस-पास रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य, सुरक्षा या आराम में बाधा उत्पन्न करे।
यह तब भी लागू होता है जब कोई ऐसा कार्य किसी व्यक्ति के लिए सुविधाजनक हो, लेकिन अगर वह समाज के लिए असुविधा या खतरा पैदा करता है, तो इसे छूट नहीं दी जा सकती।
उदाहरण: धारा 270 के अंतर्गत लोक उपद्रव (Public Nuisance)
1. कचरा जलाना (Garbage Burning): यदि कोई व्यक्ति खुले में कचरा जलाता है, जिससे धुआं और जहरीली गैसें निकलती हैं, तो यह लोक उपद्रव है। यह हवा को प्रदूषित करता है और आस-पास के निवासियों के स्वास्थ्य को खतरे में डालता है। भले ही उस व्यक्ति के लिए यह कचरा नष्ट करने का आसान तरीका हो, लेकिन कानून इसे किसी भी सूरत में माफ नहीं करता।
2. सड़क या रास्ता अवरुद्ध करना (Blocking Roads): अगर कोई व्यक्ति अस्थायी ढांचे बना कर सार्वजनिक मार्ग को बाधित करता है, तो यह लोक उपद्रव की श्रेणी में आता है। यह दूसरों के लिए असुविधा पैदा करता है और आपातकालीन सेवाओं के संचालन में भी बाधा डाल सकता है। यहां कानून इस बात पर जोर देता है कि सार्वजनिक मार्ग का उपयोग प्रत्येक व्यक्ति का अधिकार है, जिसे बाधित नहीं किया जाना चाहिए।
3. अधिक मात्रा में लाउडस्पीकर का उपयोग (Unauthorized Loudspeaker Use): यदि कोई व्यक्ति बिना अनुमति के लाउडस्पीकर का उपयोग करता है, विशेष रूप से रात में, जिससे आसपास के लोगों की नींद में बाधा आती है, तो इसे लोक उपद्रव माना जाएगा। इस प्रकार के व्यवहार से लोगों की शांति भंग होती है, और इसे कानून के तहत रोकने के लिए कार्रवाई की जा सकती है।
धारा 292: लोक उपद्रव (Public Nuisance) के लिए सामान्य दंड
धारा 292 उन मामलों के लिए है, जिनमें लोक उपद्रव का कोई विशेष दंड अन्य प्रावधानों में नहीं दिया गया है। इस धारा के तहत, किसी भी व्यक्ति को सार्वजनिक उपद्रव करने के लिए अधिकतम एक हजार रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। यह प्रावधान उन छोटे-मोटे अपराधों के लिए है, जिनके लिए किसी अन्य विशेष कानून का उल्लेख नहीं है, लेकिन जो फिर भी जनता के लिए हानिकारक या असुविधाजनक साबित हो सकते हैं।
उदाहरण: धारा 292 के तहत दंडनीय लोक उपद्रव (Public Nuisance)
1. सार्वजनिक स्थान पर कचरा फेंकना (Throwing Garbage): यदि कोई व्यक्ति सार्वजनिक स्थान पर कचरा फेंकता है जिससे वह स्थान गंदा हो जाता है या आसपास गंध और कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है, तो यह जनता के स्वास्थ्य और सफाई के लिए खतरनाक है। इस स्थिति में, अन्य कानूनों के अभाव में, व्यक्ति पर धारा 292 के तहत एक हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
2. पालतू पशुओं का अनियंत्रित छोड़ना (Unsupervised Pets): यदि किसी पालतू जानवर के मालिक अपने पशु को बिना नियंत्रण के खुला छोड़ देते हैं, जिससे आसपास के लोगों को डर या असुविधा का सामना करना पड़ता है, तो इसे धारा 292 के तहत लोक उपद्रव माना जा सकता है और जुर्माना लगाया जा सकता है।
धारा 293: दोबारा लोक उपद्रव (Public Nuisance) करने पर परिणाम
धारा 293 में उन व्यक्तियों के लिए कड़े दंड की व्यवस्था है जो लोक उपद्रव करने के लिए निर्देश दिए जाने के बावजूद इसे दोहराते हैं। यदि किसी व्यक्ति को किसी कानूनी अधिकारी द्वारा उपद्रव न करने का निर्देश दिया गया हो, लेकिन वह इसे जारी रखता है, तो उसे छह महीने तक की साधारण कैद, पांच हजार रुपए तक का जुर्माना या दोनों का सामना करना पड़ सकता है। इस धारा का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि लोग सार्वजनिक भलाई के लिए दिए गए कानूनी निर्देशों का पालन करें।
उदाहरण: धारा 293 के अंतर्गत दोबारा लोक उपद्रव (Repeated Public Nuisance)
1. बार-बार ध्वनि प्रदूषण (Repeated Noise Violations): यदि किसी व्यक्ति को पुलिस द्वारा देर रात तेज आवाज में संगीत बजाने से रोका गया हो लेकिन वह इसे बार-बार करता है, तो यह धारा 293 के तहत अपराध माना जाएगा। इस प्रकार के उल्लंघन से सार्वजनिक शांति और सुरक्षा बाधित होती है।
2. अवैध पार्किंग के आदेश की अनदेखी (Ignoring Parking Orders): यदि किसी व्यवसाय को सड़क पर अपने वाहन पार्क न करने के निर्देश दिए गए हों, लेकिन वे बार-बार इसे अनदेखा करते हैं, तो यह भी धारा 293 के अंतर्गत दंडनीय अपराध माना जाएगा।
3. रिहायशी क्षेत्रों में प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग (Polluting Industries in Residential Areas): यदि किसी कारखाने को प्रदूषण फैलाने के कारण बंद करने का निर्देश दिया गया हो, लेकिन वह इसे जारी रखता है, तो मालिकों को धारा 293 के तहत सख्त दंड का सामना करना पड़ सकता है। यह कानून जनता के स्वास्थ्य और सुरक्षा को प्राथमिकता देता है।
भारतीय न्याय संहिता में लोक उपद्रव (Public Nuisance) प्रावधानों का महत्व
भारतीय न्याय संहिता के अंतर्गत धारा 270, 292, और 293 में लोक उपद्रव को नियंत्रित करने वाले प्रावधान जनता के स्वास्थ्य, सुरक्षा और सुविधा की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं। ये प्रावधान सुनिश्चित करते हैं कि व्यक्ति और व्यवसाय अपने कार्यों का सामूहिक प्रभाव समझें और समाज के लिए हानिकारक कार्यों से बचें।
लोक उपद्रव से संबंधित ये प्रावधान नागरिकों को एक साधन देते हैं, जिससे वे ऐसे कार्यों के खिलाफ सुरक्षा प्राप्त कर सकते हैं जो उनकी सामान्य जीवनशैली में खलल डालते हैं। इन धाराओं को समझना नागरिकों को यह एहसास दिलाता है कि उनके कार्यों का प्रभाव अन्य लोगों पर भी पड़ता है, जिससे सभी के लिए एक शांतिपूर्ण और सुरक्षित समाज का निर्माण होता है।