NI Act में पेमेंट के लिए किसी इंस्ट्रूमेंट का Presentment

Update: 2025-04-07 04:18 GMT
NI Act में पेमेंट के लिए किसी इंस्ट्रूमेंट का Presentment

अधिनियम की धारा 64 यह अपेक्षा करती है कि सभी लिखत अर्थात् वचन पत्र, विनिमय पत्र या चेक संदाय के लिए अवश्य उपस्थापित किए जायेंगे। इसका व्यतिक्रम की दशा में उसके अन्य पक्षकार ऐसे धारक के प्रति उस पर दायी न होंगे।

संदाय के लिए Presentment धारक द्वारा या उसकी ओर से उपस्थापित किए जाने होंगे। धारक को ही संदाय के लिए उपस्थापित करना होता है। इसके लिए वह किसी अन्य व्यक्ति को अधिकृत कर सकता है। धारक का अभिकर्ता भी उसकी ओर से उपस्थापित कर सकेगा। किसे Presentment संदाय के लिए Presentment लिखत के रचयिता, लेखीवाल (प्रतिग्रहीता) यह ऊपरवाल को क्रमशः वचन पत्र, विनिमय पत्र या चेक की दशा में किया जा सकेगा।

अपवाद- धारा 64 का अपवाद धारा 76 में उपबन्धित है जहाँ संदाय के लिए Presentment अनावश्यक होता है। संक्षेपित चेक का Presentment [धारा 64 (2)] - इस उपबन्ध को संशोधन अधिनियम, 2002 द्वारा अन्तःस्थापित किया गया है। धारा 64 (2) में यह उपबन्धित है कि जहाँ संक्षेपित चेक का कोई इलेक्ट्रॉनिक प्रतिरूप संदाय के लिए उपस्थापित किया जाता है, वहाँ ऊपरवाल बैंक, लिखत के प्रकट शब्दों की असलियत के बारे में किसी युक्तियुक्त सन्देह की दशा में संक्षेपित चेक को धारण करने वाले बैंक से उक्त संक्षेपित चैक के सम्बन्ध में किसी और जानकारी की माँग करने का हकदार है और यदि सन्देह लिखत में किसी कपट, कूटरचना, छेड़छाड़ या विनाश के बारे में है तो वह सत्यापन के लिए संक्षेपित चेक के ही Presentment की और माँग करने का हकदार है। परन्तु ऊपरवाल बैंक द्वारा इस प्रकार माँगा गया संक्षेपित चेक उसके द्वारा उस दशा में प्रतिधारित किया जाएगा जिसमें तद्नुसार संदाय कर दिया जाता है।

पुनः धारा 81 (2) 2 के अधीन जहाँ चेक संक्षेपित चेक का कोई इलेक्ट्रॉनिक प्रतिरूप है वहाँ संदाय के पश्चात् भी वह बैंककार जिसने संदाय प्राप्त किया है, संक्षेपित चेक को प्रतिधारित करने का हकदार होगा।

कब संदाय के लिए Presentment आवश्यक नहीं निम्नलिखित मामलों में संदाय के लिए लिखत का आवश्यक नहीं होता है एवं लिखत को अनादृत, Presentment की देय तिथि पर मान लिया जाता है

यदि रचयिता, ऊपरवाल या प्रतिग्रहीता साशय लिखत के Presentment को रोकते हैं।

जहाँ लिखत को उसके कारोबार स्थल पर देय बनाया गया है, वह उस स्थान को कारबार के दिन सामान्य कारबार समय में बन्द रखता है।

यदि लिखत किसी अन्य विहित स्थल पर देय है, वहाँ न तो वह या संदाय के लिए अधिकृत व्यक्ति ऐसे स्थान पर सामान्य कारोबार समय पर उपस्थित नहीं रहता।

यदि लिखत किसी विहित स्थान पर देय नहीं है, वह सम्यक् खोज के पश्चात् पाया नहीं जाता है।

किसी अन्य व्यक्ति जो भारित किया है, यदि वह अ-Presentment के होते हुए संदाय करने के लिए अनुबन्धित हो जाता है।

भारित किया जाने वाला पक्षकार बिना Presentment के देय धनराशि पूर्ण या भागिक रूप में संदाय करता है।

कोई पक्षकार जो दायी है, संदाय के Presentment के व्यतिक्रम से उत्पन्न लाभ के अधिकार का परित्याग करता है।

लेखीवाल के विरुद्ध, यदि लेखीवाल को ऐसे Presentment न करने से कोई क्षति नहीं होती।

माँग पर देय वचनपत्र और किसी विनिर्दिष्ट स्थान पर संदेय नहीं है, बनाने वाले को प्रभारित करने के लिए कोई Presentment आवश्यक नहीं है।

पोस्ट आफिस द्वारा उपस्थापन- जहाँ अनुबन्ध द्वारा प्राधिकृत होने पर या रूढ़ियों द्वारा पोस्ट आफिस के डाक के माध्यम से रजिस्टर्ड पत्र से पर्याप्त होगा अब तो कोरियर सेवा को भी मान्यता दे दी गयी है।

Presentment के प्रभाव एवं परिणाम- अ-Presentment के प्रभावों एवं परिणामों को निम्नलिखित रूप में स्पष्ट किया जा सकता है:-

धारा 61 में उपबन्धित है कि प्रतिग्रहण के Presentment में व्यतिक्रम होने पर उसका कोई भी पक्षकार ऐसा व्यतिक्रम करने वाले पक्षकार के प्रति उस पर दायी नहीं होगा अर्थात् ऐसे व्यक्ति के पूर्व के सभी व्यक्ति अपनी आबद्धता से उन्मोचित हो जायेंगे।

धारा 64 में उपबन्धित है कि एक लिखत जिसे संदाय के लिए उपस्थापित नहीं किया है, वहाँ ऐसे व्यतिक्रम करने वाले व्यक्ति के पूर्व के सभी पक्षकार अपनी आबद्धता से उन्मोचित हो जायेंगे।

धारा 77 में यह उपबन्धित है कि जब कि किसी विनिर्दिष्ट बैंक पर देय प्रतिग्रहीत विनिमय पत्र वहाँ संदाय के लिए सम्यक् रूप से उपस्थापित कर दिया गया है और अन्यदूत कर दिया है, तब यदि बैंककार ऐसे विनिमय पत्र को ऐसे उपेक्षापूर्ण या अनुचित तौर पर रखे, बरते या वापस परिदत्त करे कि धारक को उससे हानि पहुँचे तो वह धारक को ऐसी हानि के लिए प्रतिकर देगा।

यदि चेक को संदाय के लिए बैंक में उपस्थापित नहीं किया जाता है तो धारक धारा 138 के अधीन अपने अधिकार को खो देता है अर्थात् चेक के अनादर की दशा में लेखोवाल के विरुद्ध आपराधिक दायित्व के लिए भारित नहीं कर सकेगा।

अपवाद- एक वचन पत्र जो माँग पर देय है, परन्तु किसी विनिर्दिष्ट स्थान पर देय नहीं है वहाँ रचयिता को भारित करने के लिए Presentment आवश्यक नहीं है।

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