धारा 73 और 74, भारतीय स्टांप अधिनियम, 1899 के अंतर्गत सरकारी दस्तावेजों की जांच और स्टांप बिक्री के नियंत्रण के कानूनी प्रावधान

Update: 2025-03-22 12:10 GMT
धारा 73 और 74, भारतीय स्टांप अधिनियम, 1899 के अंतर्गत सरकारी दस्तावेजों की जांच और स्टांप बिक्री के नियंत्रण के कानूनी प्रावधान

भारतीय स्टांप अधिनियम, 1899 (Indian Stamp Act, 1899) एक महत्वपूर्ण कानून है, जो विभिन्न कानूनी दस्तावेजों पर स्टांप शुल्क (Stamp Duty) के भुगतान को नियंत्रित करता है। यह सुनिश्चित करता है कि वे सभी लेनदेन (Transactions) और अनुबंध (Contracts), जिन पर स्टांप शुल्क देय है, उन्हें उचित रूप से दर्ज किया जाए और सरकार को आवश्यक राजस्व (Revenue) प्राप्त हो।

अध्याय VIII (Chapter VIII) इस अधिनियम के अंतर्गत कुछ अतिरिक्त प्रावधान (Supplemental Provisions) प्रदान करता है, जो मुख्य रूप से स्टांप शुल्क की प्रक्रिया को मजबूत बनाने के लिए बनाए गए हैं।

इसमें दो मुख्य धाराएँ शामिल हैं:

• धारा 73 (Section 73) – जिसमें पुस्तकों, रजिस्टरों और दस्तावेजों का निरीक्षण (Inspection of Books, Registers, and Documents) करने की अनुमति दी गई है। यह धोखाधड़ी (Fraud) को रोकने और यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि स्टांप शुल्क का सही तरीके से भुगतान किया गया है।

• धारा 74 (Section 74) – जो स्टांप की बिक्री और आपूर्ति (Supply and Sale of Stamps) के संबंध में नियम बनाने के लिए राज्य सरकार (State Government) को शक्ति प्रदान करती है।

ये प्रावधान इस अधिनियम को अधिक प्रभावी बनाते हैं और सरकार के राजस्व को सुरक्षित रखते हैं। इस लेख में हम इन दोनों धाराओं को विस्तार से समझेंगे और उदाहरणों (Illustrations) के माध्यम से इसे सरल भाषा में प्रस्तुत करेंगे।

धारा 73: पुस्तकों, रजिस्टरों और दस्तावेजों का निरीक्षण (Inspection of Books, Registers, and Documents)

निरीक्षण (Inspection) की आवश्यकता क्यों होती है?

धारा 73 (Section 73) का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी दस्तावेजों और रिकॉर्ड्स (Records) को निरीक्षण के लिए उपलब्ध कराया जाए, जिससे स्टांप शुल्क से संबंधित धोखाधड़ी को रोका जा सके।

यह प्रावधान निम्नलिखित कारणों से महत्वपूर्ण है:

1. धोखाधड़ी की रोकथाम (Prevention of Fraud) – रिकॉर्ड की जाँच से यह सुनिश्चित किया जाता है कि किसी व्यक्ति ने स्टांप शुल्क की चोरी (Evasion) तो नहीं की है।

2. नियमों का अनुपालन (Compliance with Rules) – अधिकारी जाँच करके यह देख सकते हैं कि सभी कानूनी दस्तावेज सही ढंग से स्टांप किए गए हैं।

3. छूटे हुए मामलों की पहचान (Detection of Omissions) – यदि कोई व्यक्ति स्टांप शुल्क का भुगतान करने से बच रहा है, तो निरीक्षण से इसका पता लगाया जा सकता है।

कौन निरीक्षण कर सकता है?

इस धारा के अनुसार, केवल वही व्यक्ति, जिसे कलेक्टर (Collector) द्वारा लिखित रूप से अधिकृत (Authorized) किया गया हो, निरीक्षण कर सकता है।

किन दस्तावेजों का निरीक्षण किया जा सकता है?

• रजिस्टर (Registers) – जहाँ लेन-देन (Transactions) दर्ज किए जाते हैं।

• पुस्तकें (Books) – सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज महत्वपूर्ण जानकारी।

• दस्तावेज और अभिलेख (Documents and Records) – अनुबंध (Contracts), बिक्री पत्र (Sale Deeds), और अन्य महत्वपूर्ण पेपर।

• कार्यवाही (Proceedings) – कानूनी निर्णय (Legal Decisions) और अन्य महत्वपूर्ण आधिकारिक दस्तावेज।

निरीक्षण कब किया जा सकता है?

निरीक्षण उचित समय (Reasonable Time) पर किया जाना चाहिए, जिससे सरकारी कार्यों में बाधा न आए।

निरीक्षण करने वाला व्यक्ति क्या कर सकता है?

1. नोट्स (Notes) ले सकता है – वह आवश्यक जानकारी लिख सकता है।

2. अंश निकाल सकता है (Take Extracts) – किसी भी महत्वपूर्ण भाग को कॉपी कर सकता है।

3. नि:शुल्क निरीक्षण (Inspection without Fee) – दस्तावेजों को देखने के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा।

उदाहरण (Illustration)

मान लीजिए श्रीमान A ने एक संपत्ति (Property) खरीदी लेकिन स्टांप शुल्क कम भुगतान किया। कलेक्टर को संदेह हुआ और उन्होंने श्रीमान X को निरीक्षण अधिकारी के रूप में अधिकृत किया। जब श्रीमान X ने रजिस्टरों की जाँच की, तो पाया कि श्रीमान A ने अपनी संपत्ति का मूल्य कम दिखाया ताकि कम स्टांप शुल्क देना पड़े। इस निरीक्षण के आधार पर, श्रीमान A पर जुर्माना (Penalty) लगाया गया।

इस प्रकार, धारा 73 (Section 73) सरकार को स्टांप शुल्क चोरी (Stamp Duty Evasion) को पकड़ने और रोकने में सहायता करता है।

धारा 74: स्टांप की बिक्री और आपूर्ति के नियम बनाने की शक्ति (Power to Make Rules Regarding the Sale and Supply of Stamps)

स्टांप बिक्री के नियम क्यों आवश्यक हैं?

स्टांप शुल्क सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण राजस्व स्रोत (Revenue Source) है। इस धारा के अंतर्गत, राज्य सरकार (State Government) को यह अधिकार दिया गया है कि वह स्टांप की बिक्री और आपूर्ति से संबंधित नियम बना सके।

इससे यह सुनिश्चित किया जाता है:

1. स्टांप आसानी से उपलब्ध हों।

2. स्टांप की अवैध बिक्री (Illegal Sale) न हो।

3. नकली स्टांप (Fake Stamps) बाजार में न आएं।

नियमों का दायरा (Scope of Rules)

1. स्टांप और स्टांप पेपर की आपूर्ति और बिक्री (Supply and Sale of Stamps and Stamped Papers)

o यह निर्धारित किया जाएगा कि स्टांप पेपर कहाँ और कैसे उपलब्ध कराए जाएंगे।

2. कौन स्टांप बेच सकता है? (Who Can Sell Stamps?)

o केवल अधिकृत विक्रेता (Authorized Vendors) ही स्टांप बेच सकते हैं।

3. विक्रेताओं का पारिश्रमिक और कर्तव्य (Duties and Remuneration of Stamp Sellers)

o सरकार विक्रेताओं के कमीशन और उनकी जिम्मेदारियों को निर्धारित कर सकती है।

क्या राज्य सरकार सभी स्टांप की बिक्री को नियंत्रित कर सकती है?

प्रोवाइसो (Proviso) के अनुसार, राज्य सरकार कुछ छोटे मूल्य के स्टांप की बिक्री को प्रतिबंधित नहीं कर सकती।

उदाहरण (Illustration)

मान लीजिए, राजस्थान सरकार एक नियम बनाती है कि ₹100 से अधिक मूल्य के स्टांप केवल अधिकृत विक्रेताओं से खरीदे जा सकते हैं। इस नियम से:

• नकली स्टांप पेपर (Fake Stamp Papers) की बिक्री रोकी जा सकेगी।

• स्टांप शुल्क का पूरा राजस्व सरकार को मिलेगा।

• लोगों को सही और कानूनी स्टांप पेपर खरीदने की सुविधा मिलेगी।

धारा 73 और धारा 74 का तुलनात्मक अध्ययन (Comparison of Section 73 and Section 74)

बिंदु धारा 73 (Section 73) धारा 74 (Section 74)

उद्देश्य स्टांप शुल्क चोरी रोकना स्टांप की बिक्री और वितरण को नियंत्रित करना

प्राधिकृत अधिकारी (Authorized Officer) कलेक्टर द्वारा अधिकृत व्यक्ति राज्य सरकार

महत्वपूर्ण कार्य रिकॉर्ड्स और दस्तावेजों का निरीक्षण स्टांप विक्रेताओं और बिक्री नियमों को तय करना

धारा 73 और 74 भारतीय स्टांप अधिनियम, 1899 (Indian Stamp Act, 1899) के तहत सरकार को स्टांप शुल्क की चोरी को रोकने और स्टांप की बिक्री को व्यवस्थित करने में मदद करती हैं।

• धारा 73 (Section 73) सरकार को निरीक्षण के माध्यम से धोखाधड़ी पकड़ने का अधिकार देती है।

• धारा 74 (Section 74) राज्य सरकार को स्टांप की बिक्री को नियंत्रित करने की शक्ति देती है।

ये प्रावधान कानूनी प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाते हैं, जिससे सरकार को उचित राजस्व प्राप्त हो और नागरिकों को सही तरीके से स्टांप मिल सकें।

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