असहाय व्यक्ति की देखभाल और आवश्यकताओं को पूरा करने के अनुबंध के उल्लंघन पर कानूनी प्रावधान : धारा 357 भारतीय न्याय संहिता, 2023

भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita – BNS) 2023 में कई अपराधों और उनके लिए सजा के प्रावधान हैं।
इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण धारा 357 (Section 357) है, जो उन मामलों से संबंधित है जहाँ कोई व्यक्ति कानूनी अनुबंध (Legal Contract) के तहत किसी असहाय व्यक्ति (Helpless Person) की देखभाल करने या उसकी आवश्यकताएँ (Needs) पूरी करने के लिए बाध्य है, लेकिन स्वेच्छा से अपनी ज़िम्मेदारी निभाने से इनकार कर देता है।
यह धारा उन मामलों में सजा का प्रावधान करती है, जहाँ कोई व्यक्ति, जो किसी बच्चे, बुजुर्ग, मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति या गंभीर बीमारी से ग्रसित व्यक्ति की देखभाल करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य है, लेकिन जानबूझकर अपनी जिम्मेदारी से पीछे हट जाता है।
धारा 357 (Section 357) का दायरा और महत्व (Scope and Importance)
इस धारा के तहत अपराध तभी माना जाएगा जब निम्नलिखित तत्व (Elements) मौजूद हों:
1. वैध अनुबंध (Valid Contract) का होना – दो पक्षों (Parties) के बीच ऐसा कानूनी अनुबंध (Legal Agreement) होना चाहिए, जिसमें यह स्पष्ट हो कि एक पक्ष दूसरे पक्ष की देखभाल करने या उसकी आवश्यकताएँ पूरी करने के लिए बाध्य है।
2. जिस व्यक्ति की देखभाल होनी चाहिए, वह असहाय (Helpless) हो – जिस व्यक्ति को देखभाल (Care) की आवश्यकता है, वह निम्नलिखित कारणों से असमर्थ (Incapable) होना चाहिए:
o कम उम्र (Youth) – जैसे कि नाबालिग बच्चा।
o मानसिक अस्वस्थता (Unsoundness of Mind) – मानसिक विकार या मानसिक अक्षमता से ग्रसित व्यक्ति।
o गंभीर बीमारी या शारीरिक दुर्बलता (Disease or Bodily Weakness) – कोई वृद्ध व्यक्ति या बीमारी के कारण कमजोर व्यक्ति।
3. जानबूझकर (Wilful) ज़िम्मेदारी न निभाना – देखभाल करने वाला व्यक्ति स्वेच्छा से और जानबूझकर अपनी ज़िम्मेदारी से पीछे हटे।
4. सजा (Punishment) का प्रावधान – अगर उपरोक्त सभी शर्तें पूरी होती हैं, तो अपराधी को तीन महीने तक की जेल, पांच हजार रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
इस धारा (Section) की आवश्यकता क्यों है?
धारा 357 (Section 357) यह सुनिश्चित करता है कि जो व्यक्ति स्वयं की देखभाल करने में असमर्थ हैं, उन्हें उनके देखभालकर्ता (Caretaker) द्वारा छोड़ा न जाए। यह कानून खासतौर पर उन मामलों में लागू होता है, जहाँ एक व्यक्ति कानूनी अनुबंध (Legal Contract) के तहत किसी की देखभाल करने के लिए बाध्य होता है, लेकिन फिर भी अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाता।
• बच्चों की सुरक्षा (Protection of Minors) – छोटे बच्चे अपने जीवनयापन के लिए पूरी तरह से अपने अभिभावकों (Guardians) या देखभालकर्ताओं (Caregivers) पर निर्भर होते हैं। यदि कोई देखभालकर्ता, जिसने कानूनी रूप से उनकी देखभाल करने का वादा किया है, उन्हें छोड़ देता है, तो यह अपराध माना जाएगा।
• बुजुर्गों और बीमार व्यक्तियों की देखभाल (Elderly and Sick Care) – कई बुजुर्ग या बीमार व्यक्ति स्वयं की देखभाल करने में असमर्थ होते हैं। यदि कोई व्यक्ति, जो उनकी देखभाल करने के लिए अनुबंधित (Contracted) है, उन्हें नजरअंदाज करता है, तो यह अपराध की श्रेणी में आएगा।
• कानूनी अनुबंध (Legal Contracts) की पवित्रता बनाए रखना – इस कानून का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि देखभाल से जुड़े अनुबंधों का पालन किया जाए और कोई भी व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी से बच न सके।
उदाहरण (Illustrations) से समझें
उदाहरण 1:
एक अस्पताल (Hospital) ने एक नर्स को एक बुजुर्ग रोगी की देखभाल के लिए नियुक्त किया। नर्स ने एक अनुबंध (Contract) पर हस्ताक्षर किए, जिसमें यह स्पष्ट था कि उसे मरीज को दवा और देखभाल प्रदान करनी होगी। लेकिन कुछ समय बाद, नर्स बिना किसी सूचना के अपनी ड्यूटी छोड़ देती है, जिससे मरीज की हालत बिगड़ने लगती है। इस मामले में नर्स का यह कार्य धारा 357 (Section 357) के तहत अपराध माना जाएगा।
उदाहरण 2:
एक माता-पिता ने एक व्यक्ति को अपने 8 साल के बच्चे की देखभाल के लिए अनुबंधित किया। देखभालकर्ता (Caretaker) कुछ समय तक बच्चा संभालता रहा, लेकिन फिर अचानक उसे अकेला छोड़ने लगा और अपने व्यक्तिगत कामों में व्यस्त हो गया। चूँकि बच्चा अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने में असमर्थ था, यह धारा 357 के तहत अपराध माना जाएगा।
उदाहरण 3:
एक मानसिक स्वास्थ्य केंद्र (Mental Health Center) में एक कर्मचारी की नियुक्ति की गई थी, ताकि वह मानसिक रूप से बीमार मरीजों को भोजन और दवाइयाँ समय पर उपलब्ध कराए। लेकिन कर्मचारी जानबूझकर अपनी ड्यूटी पूरी नहीं करता और मरीजों को भोजन व दवाइयों से वंचित रखता है। इस स्थिति में कर्मचारी का यह कार्य धारा 357 के तहत अपराध होगा।
अन्य संबंधित कानूनी प्रावधान (Related Legal Provisions)
धारा 357 (Section 357) कुछ अन्य प्रावधानों से जुड़ी हुई है, जो कमजोर और असहाय व्यक्तियों की रक्षा के लिए बनाई गई हैं।
• धारा 326 (Section 326) – खतरनाक हथियारों से गम्भीर चोट पहुँचाना (Causing Grievous Hurt by Dangerous Weapons or Means) – यदि कोई व्यक्ति सिर्फ लापरवाही नहीं करता बल्कि जानबूझकर किसी असहाय व्यक्ति को नुकसान पहुँचाता है, तो यह धारा 326 के तहत दंडनीय होगा।
• धारा 304A (Section 304A) – लापरवाही से मृत्यु का कारण बनना (Causing Death by Negligence) – यदि किसी असहाय व्यक्ति की मृत्यु केवल इस कारण हो जाती है कि देखभालकर्ता ने अपने कर्तव्यों का पालन नहीं किया, तो अपराधी को धारा 304A के तहत कठोर दंड मिल सकता है।
• अनुबंध कानून (Contract Law) के तहत कार्रवाई – यदि कोई व्यक्ति किसी कानूनी अनुबंध (Legal Contract) का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ नागरिक मामलों (Civil Cases) में भी मुकदमा चलाया जा सकता है।
सजा (Punishment) और कानूनी परिणाम (Legal Consequences)
इस धारा के तहत अपराध की गंभीरता को देखते हुए निम्नलिखित दंड निर्धारित किए गए हैं:
• तीन महीने तक की कैद (Imprisonment up to Three Months)
• पाँच हजार रुपये तक का जुर्माना (Fine up to Five Thousand Rupees)
• कैद और जुर्माने दोनों का प्रावधान (Both Imprisonment and Fine Together)
धारा 357 (Section 357) समाज में उन व्यक्तियों की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण प्रावधान है, जो अपनी देखभाल स्वयं नहीं कर सकते। यह कानून न केवल कमजोर और असहाय लोगों को सुरक्षा प्रदान करता है बल्कि उन व्यक्तियों को भी जिम्मेदारीपूर्ण व्यवहार करने के लिए बाध्य करता है, जिन्होंने देखभाल करने का अनुबंध किया है।
इस धारा को प्रभावी ढंग से लागू करने से यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि कोई भी असहाय व्यक्ति उपेक्षित न रहे और समाज में संवेदनशीलता और न्याय बना रहे।