धारा 324, भारतीय न्याय संहिता 2023, में Mischief को परिभाषित किया गया है। यह ऐसे कृत्यों को शामिल करता है जो जानबूझकर या संभावित रूप से किसी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के इरादे से किए जाते हैं।
इस प्रावधान में Mischief की परिभाषा, अपराधी की मानसिक स्थिति, और नुकसान की गंभीरता के आधार पर अलग-अलग दंड दिए गए हैं। इस लेख में, धारा 324 के हर पहलू को सरल भाषा में समझाया गया है, और प्रत्येक उपधारा के उदाहरण दिए गए हैं।
Mischief क्या है? (What Constitutes Mischief)
धारा 324 की उपधारा (1) के अनुसार, Mischief तब होती है जब कोई व्यक्ति जानबूझकर या यह जानते हुए कि उसके कार्यों से गलत तरीके से किसी को नुकसान हो सकता है, किसी संपत्ति को नष्ट करता है या उसे इस तरह बदलता है कि उसकी कीमत या उपयोगिता (Utility) कम हो जाए।
उदाहरण के लिए, मान लीजिए कोई व्यक्ति अपने पड़ोसी के घर की बिजली की तारें काट देता है, जिससे एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम बाधित हो जाता है। भले ही उसका उद्देश्य सीधे पड़ोसी को नुकसान पहुंचाना न हो, फिर भी यह MISCHIEF मानी जाएगी क्योंकि इसने संपत्ति को नुकसान पहुंचाया और असुविधा या हानि का कारण बना।
स्पष्टीकरण 1: इरादा और स्वामित्व (Intention vs Ownership)
पहला स्पष्टीकरण बताता है कि Mischief के लिए यह जरूरी नहीं कि अपराधी का इरादा संपत्ति के मालिक को नुकसान पहुंचाने का हो। अगर किसी व्यक्ति को जानबूझकर या संभावित रूप से नुकसान पहुंचाया जाता है, तो इसे Mischief माना जाएगा, भले ही संपत्ति किसी और की हो।
उदाहरण के लिए, एक कर्मचारी गुस्से में फैक्ट्री की मशीन को नुकसान पहुंचा देता है। यहां, भले ही कर्मचारी की समस्या मालिक से हो, लेकिन उसने मशीन को नुकसान पहुंचाकर Mischief की।
स्पष्टीकरण 2: साझेदारी वाली संपत्ति पर Mischief (Mischief on Jointly Owned Property)
दूसरा स्पष्टीकरण यह स्पष्ट करता है कि Mischief की परिभाषा में वह कृत्य भी शामिल है जो अपराधी की अपनी या साझेदारी वाली संपत्ति को नुकसान पहुंचाता है।
उदाहरण के तौर पर, अगर दो साझेदार एक दुकान के मालिक हैं और उनमें से एक विवाद के दौरान दुकान के शीशे तोड़ देता है, तो यह Mischief मानी जाएगी। यहां, अपराधी खुद भी संपत्ति का मालिक है, लेकिन नुकसान जानबूझकर किया गया है।
Mischief के आधार पर दंड (Punishment Based on Severity)
सामान्य Mischief: उपधारा (3)
यह उपधारा उन मामलों पर लागू होती है, जहां Mischief से किसी संपत्ति को नुकसान होता है, चाहे वह सरकार की हो या किसी लोक प्राधिकरण (Local Authority) की। इसका दंड एक साल तक की कैद, जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं।
उदाहरण: किसी सार्वजनिक पार्क में स्ट्रीट लाइट तोड़ना या सरकारी दफ्तर की दीवार पर रंग पोतना। यहां नुकसान भले ही कम हो, पर Mischief के तहत इसे अपराध माना जाएगा।
मध्यम Mischief: उपधारा (4)
अगर नुकसान ₹20,000 या उससे अधिक, लेकिन ₹1,00,000 से कम है, तो अपराधी को दो साल तक की कैद, जुर्माना, या दोनों की सजा हो सकती है।
उदाहरण: कोई व्यक्ति ऐतिहासिक इमारत पर अपने नाम की खुदाई करता है। अगर इसकी मरम्मत का खर्च ₹20,000 से अधिक आता है, तो यह अपराध इस श्रेणी में आएगा।
गंभीर Mischief: उपधारा (5)
अगर Mischief के कारण नुकसान ₹1,00,000 या उससे अधिक है, तो अपराधी को पांच साल तक की कैद, जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं।
उदाहरण: एक व्यक्ति गुस्से में गोदाम में आग लगा देता है, जिससे लाखों रुपये का नुकसान होता है। यह कृत्य गंभीर Mischief की श्रेणी में आएगा।
शारीरिक नुकसान की तैयारी के साथ Mischief: उपधारा (6)
यह उपधारा उन स्थितियों पर लागू होती है, जहां अपराधी किसी की मौत, चोट, या गलत तरीके से रोकने (Wrongful Restraint) के लिए तैयारी करता है। ऐसे मामलों में अपराधी को पांच साल तक की कैद और जुर्माना भुगतना पड़ सकता है।
उदाहरण: किसी खेत में मालिक ने जानबूझकर ऐसे जाल बिछाए जो trespassers को चोट पहुंचा सकते हैं। भले ही किसी को चोट न पहुंचे, लेकिन ऐसी तैयारी करना भी इस श्रेणी में Mischief माना जाएगा।
धारा 324, भारतीय न्याय संहिता 2023, Mischief को स्पष्ट रूप से परिभाषित करती है और यह बताती है कि ऐसा कृत्य अपराधी के इरादे और उसके परिणामों के आधार पर तय किया जाएगा। इस प्रावधान में सरकारी संपत्ति, साझेदारी वाली संपत्ति और जान-बूझकर की गई तैयारी से जुड़े कृत्यों को शामिल करके कानून को व्यापक बनाया गया है।
इस कानून को समझने से नागरिक यह जान सकते हैं कि उनकी सीमाएं क्या हैं और संपत्ति के संबंध में जिम्मेदारी और जवाबदेही (Accountability) की आवश्यकता क्यों है।