प्रतिभूति एवं मुचलका जमानत से जुड़ा विषय है। किसी भी व्यक्ति को अदालत द्वारा एक निश्चित शर्त पर जेल से रिहा किया जाता है इसमे महत्वपूर्ण जमानत मुचलके होते हैं जो अभियुक्त की ओर से प्रस्तुत किये जाते हैं। यह अभियुक्त और प्रतिभूओं का बंध पत्र होता है। साधारण बोलचाल की भाषा में इसे 'जमानत मुचलके' कहा जाता है।
जमानत प्रतिभू (Surety) द्वारा दी जाती है, जबकि मुचलका अभियुक्त की ओर से पेश किया जाता है। जमानत का आदेश प्रतिभू सहित या रहित हो सकता है। इस आलेख में इस ही अभियुक्त मुचलका एवं प्रतिभू द्वारा दिए जाने वाले बंधपत्र पर चर्चा की जा रही है।
परिस्थिति विशेष में कई बार अभियुक्त को केवल उसके मुचलके पर ही छोड़ दिया जाता है। दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 440 से 450 तक में जमानत मुचलकों के बारे में प्रावधान किया गया है। इन प्रावधानों का बिंदुवार उल्लेख किया जा रहा है।
बंधपत्र पेश किया जाना
धारा 441 के अनुसार जब किसी अभियुक्त को प्रतिभू सहित या रहित बंधपत्र जमानत मुचलके पर छोड़ने का आदेश दिया जाता है और आदेश में कोई शर्त अधिरोपित की जाती है, वहाँ अभियुक्त को आदेशानुसार जमानत मुचलका पेश करना होगा।
जमानत मुचलके में इन शर्तों का उल्लेख किया जायेगा-
(i) वह वर्णित समय व स्थान पर हाजिर होता रहेगा,
(ii) अपेक्षानुसार उच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय या अन्य न्यायालय में आरोप का उत्तर देने के लिए उपस्थित रहेगा अथवा
(i) बंधपत्र की अन्य शर्तों का पालन करेगा
जहाँ अभियुक्त को वैयक्तिक हाजिरी से अभिमुक्त कर दिया जाता है, वहाँ ऐसा बंधपत्र दिया जाना आवश्यक नहीं होगा।
बंधपत्र की रकम
धारा 440 में यह प्रावधान किया गया है-
(क) बंधपत्र (जमानत मुचलके) की रकम मामले की परिस्थितियों का सम्यक् ध्यान रखते हुए नियत की जायेगी तथा
(ख) यह अत्यधिक नहीं होगी।
यदि पुलिस अधिकारी अथवा मजिस्ट्रेट द्वारा बंधपत्र की रकम अत्यधिक नियत कर दी जाती है तो उसे उच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय द्वारा कम किया जा सकेगा।
प्रतिभू द्वारा घोषणा
धारा 441 (क) के अनुसार ऐसा व्यक्ति, जो अभियुक्त को जमानत पर छोड़े जाने के लिए 'प्रतिभू' (Surety) बना है, इस अशय की घोषणा करेगा कि वह अभियुक्त सहित कितने व्यक्तियों का प्रतिभू बना है अर्थात् उसने कितने व्यक्तियों की प्रतिभू दी है।
अभिरक्षा से उन्मोचन
धारा 442 के अनुसार जब अभियुक्त द्वारा आदेशानुसार बंधपत्र (जमानत मुचलका) पेश कर दिया जाता है तब उसे-
(i) अभिरक्षा से उन्मोचित कर दिया जायेगा और यदि वह जेल में है तो ऐसा आदेश प्रभारी अधिकारी जेल को भेजा जायेगा और आदेश मिलने पर प्रभारी अधिकारी द्वारा उसे छोड़ दिया जायेगा
प्रचलित भाषा में जेल में भेजे जाने वाले आदेश/ निदेश को जेल की तहरीर कहा जाता है। ऐसी तहरीर स्वयं न्यायालय के कर्मचारी के माध्यम से जेल प्रभारी को भेजी जाती है।
पर्याप्त जमानत का आदेश
धारा 443 के अनुसार जब न्यायालय को यह प्रतीत होता है कि ली गई जमानत एवं प्रतिभू-
(i) भूल; या
(ii) कपट या
(iii) अन्य कारण से अपर्याप्त है; अथवा
(iv) अपर्याप्त हो जाते हैं;
तो वह अभियुक्त के नाम गिरफ्तारी वारन्ट जारी कर सकेगा तथा उसे न्यायालय के समक्ष हाजिर होने व पर्याप्त जमानत मुचलके पेश करने का आदेश दे सकेगा। आदेशानुसार जमानत मुचलके पेश नहीं किये जाने पर उसे कारागार में भेजा जा सकेगा।
प्रतिभूओं का उन्मोचन
धारा 444 में प्रतिभूओं के उन्मोचन के बारे में प्रावधान किया गया है। इसके अनुसार जमानत पर छोड़े गये व्यक्ति के लिए प्रतिभू देने वाला कोई भी व्यक्ति अपनी जमानत (प्रतिभू) वापस लेने के लिए किसी भी समय मजिस्ट्रेट से आवेदन कर सकेगा।
ऐसा आवेदन किये जाने पर मजिस्ट्रेट द्वारा -
(क) जमानत पर छोड़े गये व्यक्ति के लिए गिरफ्तारी वारन्ट जारी किया जायेगा।
(ख) उसे न्यायालय के समक्ष हाजिर होने का आदेश दिया जायेगा।
(ग) न्यायालय के समक्ष हाजिर होने पर उससे अन्य पर्याप्त प्रतिभू देने के लिए कहा जाएगा।
(घ) आदेशानुसार प्रतिभू पेश नहीं किये जाने पर उसे कारागार में भेज दिया जायेगा, तथा
(ङ) आवेदक प्रतिभू को प्रभावोन्मुक्त कर दिया जायेगा।
अभिप्राय यह हुआ कि कोई भी जमानती किसी भी समय अपनी जमानत वापस ले सकेगा।
मुचलके के बजाय रकम जमा कराना
धारा 445 के अनुसार जब किसी व्यक्ति को जमानत मुचलके पेश करने का आदेश दिया जाता है और ऐसा जनानत मुचलका "सदाचार" के लिए नहीं है,तब ऐसा व्यक्ति जमानत मुचलके के एवज में उतनी ही 'राशि' अथवा 'सरकारी वचन पत्र' न्यायालय में जमा करा सकेगा।
यह व्यवस्था ऐसे व्यक्तियों के लिए है जो जमानत मुचलके पेश करने में असमर्थ हैं।
बन्धपत्र (जमानत मुचलकों) की जब्ती
धारा 446 के अनुसार जब जमानत पर छोड़े गये व्यक्ति द्वारा जमानत की शर्तों का उल्लंघन किया जाता है अर्थात् वह-
(i) न्यायालय में हाजिर नहीं होता है; अथवा
(ii) कोई वस्तु पेश नहीं करता है;
तब उसके जमानत मुचलके 'जब्त' (समपहत) कर लिये जायेंगे तथा उस पर 'शास्ति' अधिरोपित की जायेगी। उसे कारण दर्शित करने का नोटिस भी जारी किया जा सकेगा। ऐसी शास्ति की राशि की तरह वसूल की जायेगी।
जहाँ जमानत मुचलके की सम्पूर्ण राशि जब्त करने का आदेश दिया जाता है वहाँ उसे कम करने के लिए आवेदन किया जा सकेगा और पर्याप्त कारण होने पर ऐसे कारणों को लेखबद्ध करते हुए, शास्ति की राशि को कम किया जा सकेगा।
यदि ऐसी शास्ति जमा कराने में प्रतिभू असफल रहता है तो उसे छः माह तक की अवधि के लिए सिविल कारागार में भेजा जा सकेगा।
प्रतिभू की मृत्यु हो जाने पर प्रक्रिया
जब जमानत पर छोड़े गये व्यक्ति को प्रतिभूति देने वाले प्रतिभू को-
(1) मृत्यु हो जाती है अथवा
(2) वह दिवालिया हो जाता है; अथवा
(3) बन्धपत्र समपछत हो जाता है,
तब न्यायालय द्वारा 'नई प्रतिभूति' पेश करने का आदेश दिया जायेगा।
अवयस्क व्यक्ति के बारे में विशेष व्यवस्था
धारा 448 के अनुसार जब बन्धपत्र निष्पादित किये जाने के लिए अपेक्षित व्यक्ति 'अवयस्क' हो तो उसे केवल प्रतिभू पर छोड़ा जा सकेगा।
अपील
धारा 449 के अनुसार धारा 446 के अन्तर्गत दिये गये आदेश से व्यथित व्यक्ति द्वारा ऐसे आदेश के विरुद्ध अपील-
(i) सेशन न्यायालय में की जायेगी यदि आदेश किसी मजिस्ट्रेट द्वारा दिया गया है, और हाई कोर्ट में की जायेगी, यदि आदेश सेशन न्यायालय द्वारा दिया गया है।