Know The Law | गैंगस्टर एक्ट लागू करने और गैंग चार्ट तैयार करने पर यूपी सरकार के दिशा-निर्देश

Update: 2025-05-17 04:53 GMT

कुछ महीने पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश गैंगस्टर्स और असामाजिक गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1986 (Uttar Pradesh Gangsters and Anti-Social Activities (Prevention) Act) के प्रावधानों को लागू करने और उसके तहत गैंग चार्ट तैयार करने के संबंध में कुछ मापदंड/दिशानिर्देश निर्धारित किए थे।

यह घटनाक्रम गोरख नाथ मिश्रा नामक व्यक्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देश के बाद हुआ, जिस पर एक्ट की धारा 3(1) के तहत मामला दर्ज किया गया था। दिलचस्प बात यह है कि मिश्रा के मामले की नए जारी किए गए निर्देशों के आलोक में जाँच करने के बाद यूपी सरकार ने पाया कि मामले में यूपी गैंगस्टर्स अधिनियम के प्रावधान लागू नहीं होते।

इस लेख में हम अधिनियम के संबंध में राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए कुछ प्रमुख निर्देशों को देखेंगे, जो इस प्रकार हैं:

- अधिनियम के प्रावधान केवल तभी लागू किए जाएं जब गैंगस्टर हिंसा, धमकी या हिंसा का प्रदर्शन या धमकी या जबरदस्ती आदि द्वारा अकेले या समूह में अपराध करता है जिसका उद्देश्य सार्वजनिक व्यवस्था को बाधित करना या अपने या किसी अन्य व्यक्ति के लिए कोई अनुचित लौकिक, आर्थिक, भौतिक या अन्य लाभ प्राप्त करना हो।

- गैंग-चार्ट के विवरण में यह स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाना चाहिए कि गैंग-चार्ट में उल्लिखित अपराध गैंगस्टर अधिनियम की धारा 2 के भाग बी की किस उपधारा के अंतर्गत आते हैं।

- गैंग-चार्ट में उल्लिखित सभी मामलों की अद्यतन स्थिति का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाना चाहिए।

- नियम 2021 के नियम 5 के प्रावधानों का पूर्ण अनुपालन किया जाना चाहिए। उन मामलों का गैंग चार्ट में कभी उल्लेख नहीं किया जाना चाहिए, जिनके आधार पर अभियुक्तों के खिलाफ अधिनियम के तहत कार्यवाही पहले की जा चुकी है। जबकि, उपर्युक्त मामलों की सूची नियम 5 के तहत निर्दिष्ट प्रारूप में दिए गए गैंग-चार्ट के साथ संलग्न की जाएगी।

- पुलिस आयुक्त/जिला मजिस्ट्रेट के कार्यालय में प्रकरण फाइल प्राप्त होने पर समस्त तथ्यों का पुनः गहन अध्ययन किया जाए तथा नियम 2021 के नियम 5(3)(क) के अनुसार यह सुनिश्चित किया जाए कि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक के साथ संयुक्त बैठक कर संतुष्ट होने के पश्चात ही पुलिस आयुक्त/जिला मजिस्ट्रेट द्वारा गैंग-चार्ट को अनुमोदित किया जाए।

- पुलिस आयुक्त/सीनियर पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक तथा जिला मजिस्ट्रेट एवं नोडल अधिकारी गैंग-चार्ट पर अपने हस्ताक्षर करते समय अपने हस्ताक्षर के नीचे दिनांक का भी उल्लेख करना सुनिश्चित करेंगे।

- सक्षम प्राधिकारियों की संतुष्टि के लिए यह दर्शाया जाना चाहिए कि उन्होंने न केवल गैंग-चार्ट पर बल्कि गैंग-चार्ट के साथ संलग्न दस्तावेजों/कागजातों पर भी अपना विवेक लगाया।

- मूल मामले के तहत आरोप पत्र दाखिल करने की तिथि गैंग चार्ट के कॉलम 6 में अंकित की जानी चाहिए, सिवाय नियम 2021 के नियम 22(ii) के तहत उन मामलों को छोड़कर, जहां जांच के दौरान गैंगस्टर एक्ट लगाया जा सकता है। नियम 8(3) के अनुसार गैंग चार्ट में दर्शाए गए गिरोहों के खिलाफ मामलों और दोषियों या न्यायालय में उनके विचारण की नवीनतम स्थिति का स्पष्ट रूप से उल्लेख करना आवश्यक है। इसलिए गैंग चार्ट के अनुमोदन की तिथि पर प्रत्येक मामले की नवीनतम स्थिति का उल्लेख करने के संबंध में उपरोक्त नियम का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए।

- नियम 26(1) के तहत, जैसा भी मामला हो, जब भी आरोप पत्र पुलिस आयुक्त/सीनियर पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक के समक्ष नियम 20 के तहत आवश्यक अनुमोदन प्रदान करने के लिए भेजा जाता है, तो वे अपरिहार्य रूप से पूरे रिकॉर्ड की समीक्षा करेंगे।

- प्रकरण की जांच उस थाने से नहीं की जाए, जहां प्रकरण पंजीकृत है (यदि जिस थाने का प्रकरण पंजीकृत है, उस थाने का प्रभारी/थाना प्रभारी निरीक्षक कार्य वितरण/स्थानान्तरण के आधार पर उस थाने पर पहुंच गया तथा उस थाने पर पदस्थ है, जहां जांच चल रही है तो उसे नोडल अधिकारी को सूचित कर उस मामले की जांच नहीं करनी है, क्योंकि उस स्थिति में वह शिकायतकर्ता एवं जांचकर्ता दोनों की स्थिति एक साथ लेता है)।

- यह सुनिश्चित किया जाए कि गिरोह के किसी भी सदस्य को किसी भी स्थिति में शासकीय सेवाओं, व्यवसाय, लीज डीड एवं शासकीय योजनाओं का लाभ न दिया जाए तथा जहां आवश्यक हो, वहां कुर्की, प्रशासक की नियुक्ति, लाइसेंसों का निलम्बन एवं निरस्तीकरण एवं जवाबी कार्रवाई की कार्यवाही की जाए।

- इस अधिनियम के तहत जांच 6 माह के भीतर पूरी की जानी चाहिए। यदि यह निर्धारित अवधि में पूरी नहीं होती है तो इसे जिला पुलिस प्रभारी की मंजूरी से अधिकतम 03-03 माह के लिए बढ़ाया जा सकता है, इससे अधिक नहीं।

- जिला पुलिस प्रभारी को जांच के दौरान एकत्र किए गए सभी तथ्यों और साक्ष्यों का सावधानीपूर्वक अध्ययन करना चाहिए और उसके बाद ही संबंधित न्यायालय में आरोप-पत्र/अंतिम रिपोर्ट दाखिल करने की मंजूरी दी जानी चाहिए।

- यदि जांच अधिकारी द्वारा उचित समझा जाए तो गैंगस्टर की पुलिस हिरासत भी 60 दिनों के भीतर ली जानी चाहिए।

यह उल्लेख करना समीचीन होगा कि उपरोक्त के अतिरिक्त, सरकार द्वारा संबंधित दिशा-निर्देशों/नियमों का पालन करने में उदासीन या अज्ञानी पाए जाने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए 29 बिंदुओं की एक चेकलिस्ट और निर्देश भी जारी किए गए हैं।

चूंकि सरकार अधिनियम के तहत अनुचित अभियोजन से बचने के लिए बढ़ी हुई सुरक्षा उपायों को लागू करने की दिशा में आगे बढ़ रही है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट इसकी संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली एक सुनवाई के लिए तैयार है।

जस्टिस बीआर गवई (अब सीजेआई) और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने पिछले साल नवंबर में यूपी गैंगस्टर्स अधिनियम और यूपी गैंगस्टर और असामाजिक गतिविधियां (रोकथाम) नियम, 2021 के कुछ प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया था। इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 20 मई है।

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