डकैती , अपहरण, और चोरी के मामलों में न्यायालय का अधिकार क्षेत्र : भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के अंतर्गत धारा 201
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bhartiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023), जिसे दंड प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure Code) की जगह लागू किया गया है, 1 जुलाई 2024 से प्रभावी हो गई है। यह कानून यह निर्धारित करता है कि कौन-सा न्यायालय (Court) किसी अपराध की जांच (Inquiry) और सुनवाई (Trial) करेगा।
संहिता के अध्याय XIV में, विशेष रूप से धारा 197 से 201 तक, आपराधिक मामलों में न्यायालय की क्षेत्राधिकार (Jurisdiction) का विवरण दिया गया है। इस लेख में हम धारा 201 पर चर्चा करेंगे, जो डकैती, अपहरण (Kidnapping), चोरी (Theft), आदि अपराधों के लिए न्यायालय के अधिकार क्षेत्र को स्पष्ट करती है।
धारा 201: कुछ अपराधों के मामलों में सुनवाई का स्थान
धारा 201 विशेष रूप से कुछ गंभीर अपराधों जैसे डकैती (Dacoity), अपहरण, और चोरी के मामलों में न्यायालय के अधिकार क्षेत्र के बारे में बताती है। यह निर्धारित करती है कि इन अपराधों की जांच और सुनवाई किस न्यायालय में की जाएगी।
आइए इस धारा के प्रावधानों को विस्तार से समझें:
डकैती, हत्या के साथ डकैती और हिरासत से भागने के अपराध
धारा 201(1) के अनुसार, डकैती, हत्या के साथ डकैती और हिरासत (Custody) से भागने जैसे अपराधों की सुनवाई निम्नलिखित स्थानों के न्यायालयों में हो सकती है:
1. जहाँ अपराध हुआ हो।
2. जहाँ आरोपी (Accused) व्यक्ति को पाया गया हो।
उदाहरण: यदि किसी समूह ने दिल्ली में डकैती की है लेकिन आरोपी को मुंबई में गिरफ्तार किया गया, तो मामला दिल्ली (जहाँ अपराध हुआ) या मुंबई (जहाँ आरोपी पाया गया) के न्यायालय में चलाया जा सकता है।
अपहरण या भगाने के अपराध
धारा 201(2) अपहरण और भगाने के मामलों से संबंधित है।
इन अपराधों की सुनवाई निम्नलिखित स्थानों के न्यायालय में की जा सकती है:
1. जहाँ व्यक्ति का अपहरण (Kidnapping) हुआ हो।
2. जहाँ व्यक्ति को ले जाया गया, छिपाया गया, या हिरासत में रखा गया हो।
उदाहरण: मान लें कि किसी व्यक्ति का अपहरण कोलकाता में हुआ और उसे लखनऊ में ले जाकर छिपाया गया। इस स्थिति में, कोलकाता (जहाँ अपहरण हुआ) और लखनऊ (जहाँ व्यक्ति को छिपाया गया) दोनों जगह के न्यायालय मामले की सुनवाई कर सकते हैं।
चोरी, जबरन वसूली, या डकैती के अपराध
धारा 201(3) के तहत, चोरी, जबरन वसूली (Extortion) या डकैती के अपराधों की सुनवाई इन स्थानों पर हो सकती है:
1. जहाँ अपराध हुआ हो।
2. जहाँ चोरी की गई संपत्ति (Stolen Property) आरोपी या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा पाई गई हो, जिसने उसे जान-बूझकर या चोरी का संदेह होने पर प्राप्त किया हो।
उदाहरण: यदि हैदराबाद में चोरी होती है और चोरी की गई वस्तुएँ चेन्नई में किसी के पास पाई जाती हैं, तो हैदराबाद और चेन्नई दोनों जगह के न्यायालय मामले की सुनवाई कर सकते हैं।
आपराधिक कदाचार या आपराधिक विश्वासघात के अपराध
धारा 201(4) आपराधिक कदाचार (Criminal Misappropriation) और आपराधिक विश्वासघात (Criminal Breach of Trust) से संबंधित है।
इन अपराधों की सुनवाई निम्नलिखित स्थानों पर की जा सकती है:
1. जहाँ अपराध हुआ हो।
2. जहाँ अपराध से संबंधित संपत्ति का कोई हिस्सा प्राप्त, रखा गया, या लौटाया जाना था।
उदाहरण: यदि किसी व्यक्ति ने बेंगलुरु में धन का दुरुपयोग किया है, और उस धन का एक हिस्सा मुंबई में पाया जाता है, तो बेंगलुरु और मुंबई दोनों जगह के न्यायालय उस मामले की सुनवाई कर सकते हैं।
चोरी की संपत्ति रखने से जुड़े अपराध
अंत में, धारा 201(5) उन मामलों को कवर करती है जिनमें चोरी की संपत्ति (Stolen Property) शामिल होती है।
इन मामलों की सुनवाई निम्नलिखित स्थानों के न्यायालयों में की जा सकती है:
1. जहाँ अपराध हुआ हो।
2. जहाँ चोरी की संपत्ति किसी व्यक्ति के पास पाई गई हो, जिसने जानबूझकर या चोरी का संदेह होने पर उसे रखा हो।
उदाहरण: यदि जयपुर में डकैती होती है और चोरी की गई संपत्ति आगरा में किसी व्यक्ति के पास मिलती है, जिसने जान-बूझकर उसे रखा था, तो जयपुर और आगरा दोनों जगह के न्यायालय उस मामले की सुनवाई कर सकते हैं।
अध्याय XIV का संपूर्ण दृष्टिकोण: आपराधिक न्यायालयों का क्षेत्राधिकार
धारा 201 के अतिरिक्त, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के तहत क्षेत्राधिकार से संबंधित धारा 197 से 200 को भी समझना आवश्यक है। ये धाराएँ उन परिस्थितियों के बारे में बताती हैं जहाँ अपराध का स्थान स्पष्ट नहीं होता या अपराध कई स्थानों पर फैला होता है।
1. धारा 197: सामान्य रूप से, हर अपराध की सुनवाई उसी न्यायालय में की जाएगी, जिसके अधिकार क्षेत्र में अपराध हुआ हो।
2. धारा 198: अगर यह स्पष्ट न हो कि अपराध किस स्थान पर हुआ या अपराध कई स्थानों पर हुआ हो, तो उन सभी स्थानों के किसी भी न्यायालय में मामले की सुनवाई की जा सकती है।
3. धारा 199: जहाँ अपराध किसी कृत्य के कारण हुआ हो और उसका परिणाम किसी अन्य स्थान पर हुआ हो, तो मामला उस स्थान के न्यायालय में चलाया जा सकता है जहाँ कृत्य या उसका परिणाम हुआ हो।
4. धारा 200: अगर अपराध किसी अन्य अपराध से संबंधित हो जो अलग स्थान पर हुआ हो, तो मामला उस स्थान के न्यायालय में चलाया जा सकता है जहाँ कोई भी अपराध हुआ हो।
इन धाराओं के विस्तृत विश्लेषण के लिए आप Live Law Hindi पर पूर्व में प्रकाशित लेखों को देख सकते हैं।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 201 कुछ गंभीर अपराधों जैसे डकैती, अपहरण, चोरी, आदि मामलों में न्यायालय के अधिकार क्षेत्र के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश प्रदान करती है।
यह सुनिश्चित करती है कि किसी भी अपराध की सुनवाई उस स्थान पर हो सकती है जहाँ अपराध हुआ हो, या जहाँ अपराध का प्रभाव महसूस किया गया हो, या जहाँ चोरी की संपत्ति पाई गई हो।
इस प्रावधान से यह सुनिश्चित होता है कि इन गंभीर अपराधों की सुनवाई के लिए कई स्थानों पर मामले को सुना जा सकता है, ताकि न्याय प्रणाली अधिक लचीली और प्रभावी हो सके।
ये प्रावधान संहिता की व्यापकता को दर्शाते हैं, जो यह सुनिश्चित करती है कि कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए अपराधों की सुनवाई कई स्थानों पर की जा सके और न्याय प्रभावी रूप से दिया जा सके।