भारतीय स्टांप अधिनियम में दंड से संबंधित सभी प्रावधानों की व्याख्या और कानूनी परिणाम : धारा 62 -72

भारतीय स्टांप अधिनियम, 1899 (Indian Stamp Act, 1899) दस्तावेज़ों (Documents) पर स्टांप शुल्क (Stamp Duty) लगाने के नियमों को निर्धारित करता है, ताकि सरकार को उचित राजस्व (Revenue) प्राप्त हो सके।
इस अधिनियम (Act) में यह भी प्रावधान किया गया है कि यदि कोई व्यक्ति स्टांप शुल्क से बचने की कोशिश करता है, अनुचित तरीके से स्टांप का उपयोग करता है, या धोखाधड़ी (Fraud) करता है, तो उसे दंडित किया जाएगा। इस लेख में उन विभिन्न धाराओं (Sections) को सरल भाषा में समझाया गया है जो भारतीय स्टांप अधिनियम के तहत दंड निर्धारित करती हैं।
अनुचित रूप से स्टांप रहित दस्तावेज़ निष्पादित करने पर दंड (Penalty for Executing an Instrument Without Proper Stamping) - धारा 62 (Section 62)
यदि कोई व्यक्ति बिना उचित स्टांपिंग (Stamping) के विनिमय बिल (Bill of Exchange), प्रॉमिसरी नोट (Promissory Note) या अन्य कोई आवश्यक दस्तावेज़ जारी करता है, तो उसे अधिकतम 500 रुपये तक का जुर्माना (Fine) हो सकता है। यदि किसी व्यक्ति ने किसी दस्तावेज़ पर पहले ही धारा 35, 40 या 61 के तहत जुर्माना भर दिया है, तो उसी अपराध (Offense) के लिए धारा 62 के तहत लगाया गया दंड कम किया जा सकता है।
उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यवसायी बिना स्टांप शुल्क चुकाए प्रॉमिसरी नोट जारी करता है और बाद में उसे अदालत में प्रस्तुत करता है, तो उसे दंडित किया जा सकता है।
चिपकने वाले स्टांप को रद्द न करने पर दंड (Penalty for Failure to Cancel Adhesive Stamps) - धारा 63 (Section 63)
यदि कोई व्यक्ति, जिसे धारा 12 (Section 12) के अनुसार चिपकने वाला स्टांप (Adhesive Stamp) रद्द (Cancel) करना चाहिए, लेकिन वह ऐसा नहीं करता है, तो उस पर अधिकतम 100 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति ने एक रसीद (Receipt) पर चिपकने वाला स्टांप लगाया है, लेकिन उस पर सही तरीके से हस्ताक्षर (Signature) नहीं किए, तो उसे इस धारा के तहत दंडित किया जा सकता है। यह प्रावधान स्टांप के पुन: उपयोग (Reuse) को रोकने के लिए है।
महत्वपूर्ण जानकारी छुपाने पर दंड (Penalty for Omission to Disclose Facts Affecting Stamp Duty) - धारा 64 (Section 64)
यदि कोई व्यक्ति सरकार को स्टांप शुल्क (Stamp Duty) से वंचित करने के इरादे से किसी दस्तावेज़ से महत्वपूर्ण जानकारी (Material Facts) छुपाता है, तो उसे 5000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति संपत्ति बिक्री अनुबंध (Property Sale Deed) में जानबूझकर संपत्ति का मूल्य (Value) कम दर्शाता है ताकि स्टांप शुल्क कम देना पड़े, तो वह इस धारा के तहत दंडनीय होगा।
रसीद जारी करने से इनकार करने या स्टांप शुल्क बचाने के उपाय करने पर दंड (Penalty for Refusal to Give Receipt and Attempts to Evade Stamp Duty) - धारा 65 (Section 65)
यदि कोई व्यक्ति धारा 30 (Section 30) के तहत किसी भुगतान के लिए रसीद (Receipt) देने से इनकार करता है या कम राशि की रसीद जारी करता है ताकि स्टांप शुल्क कम लगे, तो उस पर अधिकतम 100 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
उदाहरण के लिए, यदि मकान मालिक (Landlord) किराए के रूप में 5000 रुपये प्राप्त करता है लेकिन केवल 1000 रुपये की रसीद जारी करता है, तो उसे इस धारा के तहत दंडित किया जा सकता है।
बीमा पॉलिसी पर स्टांप शुल्क न लगाने पर दंड (Penalty for Not Issuing a Duly Stamped Insurance Policy) - धारा 66 (Section 66)
यदि कोई व्यक्ति बीमा प्रीमियम (Insurance Premium) प्राप्त करने के एक महीने के भीतर स्टांपयुक्त (Stamped) बीमा पॉलिसी (Insurance Policy) जारी नहीं करता है, तो उसे 200 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
उदाहरण के लिए, यदि एक बीमा कंपनी (Insurance Company) ग्राहकों से बीमा प्रीमियम लेती है लेकिन समय पर स्टांपयुक्त पॉलिसी जारी नहीं करती, तो उसे इस धारा के तहत दंड भुगतना पड़ सकता है।
समुचित संख्या में बिल या समुद्री बीमा पॉलिसी जारी न करने पर दंड (Penalty for Not Drawing Full Number of Bills or Marine Policies) - धारा 67 (Section 67)
यदि कोई व्यक्ति बिल ऑफ एक्सचेंज (Bill of Exchange) या समुद्री बीमा पॉलिसी (Marine Insurance Policy) जारी करता है और उसे आवश्यक संख्या में स्टांपयुक्त रूप में नहीं बनाता, तो उस पर अधिकतम 1000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यापारी तीन भागों में एक बिल ऑफ एक्सचेंज जारी करता है लेकिन केवल एक भाग पर स्टांप शुल्क लगाता है, तो उसे इस धारा के तहत दंड भुगतना पड़ सकता है।
बिल के दिनांक में छेड़छाड़ करने और अन्य धोखाधड़ी करने पर दंड (Penalty for Post-Dating Bills and Other Fraudulent Practices) - धारा 68 (Section 68)
यदि कोई व्यक्ति सरकार को स्टांप शुल्क से वंचित करने के इरादे से किसी बिल या प्रॉमिसरी नोट को वास्तविक तिथि से आगे की तिथि पर जारी करता है, तो उसे अधिकतम 1000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
उदाहरण के लिए, यदि कोई कंपनी 1 मार्च को एक प्रॉमिसरी नोट जारी करती है लेकिन उस पर 28 फरवरी की तारीख डाल देती है ताकि कम स्टांप शुल्क लगे, तो उसे इस धारा के तहत दंड भुगतना पड़ सकता है।
स्टांप बेचने के नियमों का उल्लंघन करने पर दंड (Penalty for Breach of Rules Relating to Sale of Stamps) - धारा 69 (Section 69)
यदि कोई अधिकृत विक्रेता (Authorized Seller) स्टांप बिक्री के नियमों का पालन नहीं करता या कोई अनधिकृत व्यक्ति स्टांप बेचता है, तो उसे छह महीने तक की कैद (Imprisonment), या 500 रुपये तक का जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं।
उदाहरण के लिए, यदि कोई स्टेशनरी की दुकान गैर-अनुमोदित रूप से स्टांप पेपर बेचती है, तो उसे इस धारा के तहत दंड भुगतना पड़ सकता है।
न्यायिक प्रक्रिया से जुड़े प्रावधान (Judicial Provisions) - धारा 70, 71 और 72 (Sections 70, 71, and 72)
धारा 70 के अनुसार, किसी भी अपराध के लिए मुकदमा चलाने के लिए कलेक्टर (Collector) की अनुमति आवश्यक है।
धारा 71 के तहत, केवल द्वितीय श्रेणी के मजिस्ट्रेट (Second Class Magistrate) या उच्च श्रेणी के मजिस्ट्रेट ही स्टांप अधिनियम के तहत अपराधों की सुनवाई कर सकते हैं।
धारा 72 के अनुसार, अपराध उस जिले (District) में भी सुना जा सकता है जहां अपराध हुआ था या जहां दस्तावेज़ पाया गया था।
भारतीय स्टांप अधिनियम, 1899 के तहत कई कठोर दंड प्रावधान हैं, जिनका उद्देश्य स्टांप शुल्क की चोरी को रोकना और सरकारी राजस्व की सुरक्षा करना है। इस अधिनियम के तहत दंड भुगतान, दस्तावेज़ों की उचित स्टांपिंग और व्यापारिक लेन-देन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हैं।