The Indian Contract Act में कपट के बगैर ही सहमति फ्री मानी जाती है?

Update: 2025-08-18 04:26 GMT

अधिनियम की धारा 14 के अंतर्गत स्वतंत्र सहमति की परिभाषा प्रस्तुत की गई है जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि सहमति कब फ्री मानी जाएगी। इस धारा में यह भी उल्लेख है कि किसी भी सहमति में कपट नहीं होना चाहिए। यदि किसी सहमति में कपट नहीं है तब ऐसी परिस्थिति में ही सहमति स्वतंत्र सहमति होती है।

किसी भी व्यक्ति द्वारा जब जानबूझकर दुर्व्यपदेशन किया जाता है यह कपट हो जाता है। भारतीय संविदा अधिनियम के अंतर्गत धारा 17 में कपट की परिभाषा प्रस्तुत की गई है। इस परिभाषा के अंतर्गत मिथ्या कथन जिसका सत्य होने के रूप में सुझाव किया गया है कपट होता है। कपट इस ज्ञान से किया गया हो कि यह असत्य है और धोखा देने का कोई कार्य किया गया हो। कोई ऐसा कार्य या लोप हुआ हो जिसका कपटपूर्ण होना विधिताः घोषित किया गया हो।

जहां कपट को कार्यवाही में साबित कर दिया जाता है वहां संपूर्ण कार्यवाही असफल हो जाएगी और वाद एवं निष्पादन कार्यवाही न केवल असफल होंगी अपितु ऐसे कपट द्वारा प्रभावित पक्षकारगण उसकी उपेक्षा करने के भी हकदार होंगे।

वादी ने वादपत्र में कपट का अभिकथन किया लेकिन वादी की ओर से प्रक्रिया में थोड़ी भी अनियमितता पाई जाती है तो वह संविदा अकृत घोषित करने की मांग नहीं कर सकता।

धारा 17 के अनुसार जो बात सत्य नहीं है उसका सत्य के रूप में उस व्यक्ति द्वारा सुझाया जाना कपट है जो व्यक्ति यह विश्वास नहीं करता कि वह सत्य है इसे दूसरे शब्दों में इस प्रकार कहा जा सकता है कि किसी तत्व के विषय में सुझाव देना एक कथन देना बिना उसकी सत्यता में विश्वास रखे हुए कपट।

कपट के लिए तत्व का कथन होना चाहिए और वह कथन असत्य तो होना चाहिए।

जैसे किसी व्यक्ति ने अपनी कोई कार किसी व्यक्ति को बेचने के लिए प्रस्ताव भेजा तथा कार का इंजन खुला हुआ था और कार चलने लायक नहीं थी। यहां पर बेचने वाले व्यक्ति ने कार के भीतर होने वाले ऐब का उल्लेख नहीं किया और कार को कपटपूर्ण आशय से बेच दिया यह कपट है। इस प्रकार के कपट से ली गई सहमति स्वतंत्र सहमति नहीं होती है।

कपट से अभिप्रेरित है और उसके अंतर्गत आता है निम्नलिखित में कोई भी कार्य संविदा के एक पक्षकार द्वारा उसकी मौनुकुलता से या उसके अभिकर्ता द्वारा किसी अन्य प्रकार की या उसके अभिकर्ता की प्रवंचना करने के आशय से संविदा करने के लिए उत्प्रेरित करने के आशय से किया गया हो।

जो बात सत्य नहीं है उसका सत्य के रूप में उस व्यक्ति द्वारा सुझाया जाना जो यह विश्वास नहीं करता है कि वह सत्य है।

किसी तत्व का ज्ञान या विश्वास करने वाले व्यक्ति द्वारा उस तत्व का सक्रिय रूप में छुपाया जाना।

कोई वचन जो उसका पालन करने के आशय के बिना दिया गया हो।

कोई ऐसा कार्य या लोप जिसका कपटपूर्ण होना विधिताः घोषित है।

कपट का या मूल गुण है कि उसमें किसी भी तत्व को छिपाया जाता है तथा तत्व को छुपाकर कोई करार किया जाता है। सत्य का ज्ञान या विश्वास रखने वाला व्यक्ति यह प्रयास करता है कि दूसरा पक्षकार उक्त तथ्य की बातों को ना जान सके।

इसे संविदा अधिनियम की धारा 19 के दृष्टांत से जाना जा सकता है जिसके अनुसार ख क की संपदा में कच्ची धातु की एक पट्टी खोजता है और उसके अस्तित्व को छिपाने का प्रयास करता है और छुपा लेता है। क को उस कच्ची धातु की पट्टी के अस्तित्व का ज्ञान न होने के कारण उस संपदा को न्यून मूल्य पर क्रय करने में समर्थ हो जाता है। यहां ख ने कपट किया है जिसके परिणामस्वरूप संविदा क के विकल्प पर शून्यकरणीय है।

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