गंभीर आरोप साबित न होने पर छोटे अपराध में दोषसिद्धि कैसे संभव? : सेक्शन 245 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता

Update: 2024-11-06 12:16 GMT

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita - BNSS), 2023 में आपराधिक मामलों में ट्रायल (Trial) से जुड़े प्रावधानों को विस्तार से निर्धारित किया गया है, जिसमें विभिन्न आरोपों को एक साथ मिलाने (Joinder of Charges) के नियम शामिल हैं।

ये प्रावधान विशेष रूप से उन स्थितियों के लिए हैं, जहां संबंधित अपराधों का एक ही ट्रायल हो सकता है या आरोपों को साक्ष्यों के आधार पर विभिन्न संभावित अपराधों में बदला जा सकता है।

संहिता का उद्देश्य न्यायिक प्रक्रिया को अधिक सरल बनाना है ताकि अपराधी को साक्ष्य के आधार पर उचित दोषसिद्धि (Conviction) मिल सके। आरोपों के संयोजन से जुड़े प्रावधानों पर अधिक जानकारी के लिए Live Law Hindi पर पिछले लेख का संदर्भ लें।

सेक्शन 245: लघु अपराधों पर दोषसिद्धि (Conviction on Minor Offences)

सेक्शन 245 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता का वह खंड है जो चार उप-खंडों के माध्यम से यह निर्धारित करता है कि जब किसी व्यक्ति पर गंभीर अपराध का आरोप लगाया गया हो, तो उसे उस अपराध के लघु संस्करण (Lesser Offence) में दोषी ठहराया जा सकता है यदि संपूर्ण सबूत गंभीर आरोप के अनुरूप नहीं हैं।

इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि साक्ष्य की कमी के कारण गंभीर आरोप साबित न होने पर भी, एक संबंधित लघु अपराध के लिए दोषसिद्धि सुनिश्चित की जा सके।

सेक्शन 245(1): कुछ तत्वों के सिद्ध होने पर लघु अपराध के लिए दोषसिद्धि

सेक्शन 245(1) के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति पर गंभीर अपराध का आरोप लगाया गया है जिसमें कई तत्व (Elements) शामिल हैं, लेकिन उन सभी तत्वों के बजाय केवल कुछ तत्व साबित होते हैं, और वे तत्व लघु अपराध के अनुरूप हैं, तो उस व्यक्ति को इस लघु अपराध में दोषी ठहराया जा सकता है।

इसका अर्थ है कि यदि गंभीर आरोप में सभी आवश्यक शर्तें पूरी नहीं होतीं, तो भी लघु अपराध की पुष्टि के लिए दोषसिद्धि संभव है।

उदाहरण: यदि किसी व्यक्ति पर एक गंभीर प्रकार के आपराधिक विश्वासघात (Criminal Breach of Trust) का आरोप है जिसमें एक विशिष्ट परिस्थिति शामिल है, लेकिन यह साबित होता है कि केवल साधारण विश्वासघात का मामला है, तो वह व्यक्ति साधारण विश्वासघात के लिए दोषी ठहराया जा सकता है।

Illustration: यदि किसी व्यक्ति (A) पर, सेक्शन 316(3) के तहत एक कैरियर के रूप में सौंपे गए सामान का आपराधिक विश्वासघात (Criminal Breach of Trust) का आरोप है, लेकिन यह साबित होता है कि वह सामान उसे एक कैरियर के रूप में नहीं सौंपा गया था, तो उसे सेक्शन 316(2) के तहत साधारण आपराधिक विश्वासघात के लिए दोषी ठहराया जा सकता है।

सेक्शन 245(2): साक्ष्य लघु अपराध सिद्ध करें तो दोषसिद्धि

सेक्शन 245(2) में यह प्रावधान है कि जब किसी व्यक्ति पर एक अपराध का आरोप है, लेकिन साक्ष्य यह सिद्ध करते हैं कि अपराध की गंभीरता कम है और लघु अपराध है, तो उस व्यक्ति को इस लघु अपराध में दोषी ठहराया जा सकता है। यह उप-खंड दोषसिद्धि की लचीलापन (Flexibility) को बनाए रखने का कार्य करता है।

उदाहरण: यदि किसी व्यक्ति (A) पर सेक्शन 117(2) के तहत गंभीर चोट पहुँचाने (Grievous Hurt) का आरोप है, लेकिन वह यह साबित कर देता है कि उसने अचानक उत्तेजना में यह कार्य किया था, तो उसे सेक्शन 122(2) के तहत चोट पहुँचाने के लिए दोषी ठहराया जा सकता है।

सेक्शन 245(3): प्रयास के लिए दोषसिद्धि

सेक्शन 245(3) उन मामलों को कवर करता है, जहाँ किसी व्यक्ति पर एक पूर्ण अपराध का आरोप है, लेकिन साक्ष्य से पता चलता है कि उसने केवल प्रयास किया था।

इस प्रावधान के अंतर्गत, अदालत उस व्यक्ति को प्रयास के लिए दोषी ठहरा सकती है, भले ही यह अलग से आरोप में नहीं बताया गया हो। यह सुनिश्चित करता है कि अपराध के प्रयास पर दोषसिद्धि सुनिश्चित की जा सके।

उदाहरण: यदि किसी व्यक्ति पर चोरी का आरोप है लेकिन साक्ष्य यह साबित करते हैं कि उसने केवल चोरी का प्रयास किया था, तो उसे चोरी के प्रयास के लिए दोषी ठहराया जा सकता है।

सेक्शन 245(4): लघु अपराध के लिए दोषसिद्धि पर प्रतिबंध

सेक्शन 245(4) इस खंड के उपयोग पर एक सीमा निर्धारित करता है कि यदि किसी लघु अपराध के लिए आवश्यक प्रारंभिक शर्तें पूरी नहीं होतीं, तो उस लघु अपराध में दोषसिद्धि नहीं की जा सकती।

यह प्रावधान लघु अपराध के लिए प्रक्रिया की शर्तों को सुनिश्चित करता है और बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के दोषसिद्धि को रोकता है।

न्यायिक प्रभावशीलता और निष्पक्षता में सेक्शन 245 का महत्व

सेक्शन 245 का उद्देश्य न्यायिक प्रणाली को अधिक प्रभावी और निष्पक्ष बनाना है, ताकि साक्ष्य के आधार पर उचित दोषसिद्धि की जा सके।

यह खंड यह सुनिश्चित करता है कि तकनीकी कारणों से कोई दोषी बरी न हो, यदि कम गंभीर अपराध साबित हो सकता है। यह न केवल समय और संसाधनों की बचत करता है बल्कि न्यायिक प्रक्रिया को भी सुचारू और निष्पक्ष बनाता है।

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 का सेक्शन 245 न्यायिक प्रक्रिया में व्यावहारिकता को ध्यान में रखता है और न्याय की रक्षा करता है। यह खंड तकनीकी कारणों के कारण न्याय में देरी को रोकता है और प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बनाता है, जिससे कि अपराधियों को उनके कार्यों के लिए उचित सजा मिल सके।

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