अच्छी नीयत में की गई आलोचना और सार्वजनिक हित में दी गई चेतावनी : BNS 2023 की धारा 356 भाग IV के तहत मानहानि के कानूनी अपवाद

यह लेख भारतीय न्याय संहिता, 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023) की धारा 356 (Section 356) में दिए गए मानहानि (Defamation) से जुड़े प्रावधानों को सरल हिंदी में समझाने के लिए लिखा गया है। पिछले भागों में हमने मानहानि की परिभाषा (Definition), किन परिस्थितियों में यह लागू होती है, और इसके कुछ अपवादों (Exceptions) को समझाया था। इस अंतिम भाग में, हम बचे हुए अपवादों और मानहानि के लिए निर्धारित सजा पर चर्चा करेंगे।
अपवाद 7: कानूनी अधिकार (Lawful Authority) रखने वाले व्यक्ति द्वारा की गई आलोचना (Censure) मानहानि नहीं है
अगर किसी व्यक्ति के पास कानूनी अधिकार (Legal Authority) है, चाहे वह किसी कानून (Law) द्वारा दिया गया हो या किसी वैध अनुबंध (Valid Contract) के कारण मिला हो, तो वह अपने अधीन व्यक्ति के आचरण (Conduct) की आलोचना कर सकता है, बशर्ते कि वह यह आलोचना ईमानदारी (Good Faith) से करे और वह आलोचना उसी विषय से संबंधित हो, जिस पर उसका अधिकार है।
उदाहरण (Illustrations)
• एक न्यायाधीश (Judge) अगर किसी गवाह (Witness) या अदालत के अधिकारी (Court Officer) के आचरण की आलोचना करता है, तो यह मानहानि नहीं होगी, क्योंकि न्यायाधीश को अदालती कार्यवाही (Court Proceedings) में ऐसा करने का अधिकार है।
• किसी सरकारी विभाग का प्रमुख (Head of Department) अपने अधीनस्थ कर्मचारियों (Subordinates) की आलोचना कर सकता है, बशर्ते कि वह उचित कारण से हो।
• माता-पिता (Parents) अपने बच्चे को अन्य बच्चों के सामने डांट सकते हैं, यह मानहानि नहीं होगी।
• एक शिक्षक (Teacher) किसी छात्र को अन्य छात्रों के सामने अनुशासन (Discipline) के लिए टोक सकता है, क्योंकि उसे यह अधिकार माता-पिता से मिला है।
• एक बैंक प्रबंधक (Bank Manager) अगर अपने कैशियर (Cashier) को उसके कार्य के लिए डांटता है, तो यह भी मानहानि नहीं होगी।
हालांकि, अगर आलोचना सीमाओं को पार कर जाती है, व्यक्तिगत आक्षेप (Personal Attacks) बन जाती है, या दुर्भावना (Malicious Intent) से की जाती है, तो यह अपवाद लागू नहीं होगा और इसे मानहानि (Defamation) माना जा सकता है।
अपवाद 8: अधिकार प्राप्त व्यक्ति के समक्ष आरोप लगाना (Making Accusations to Authorities) मानहानि नहीं है
अगर कोई व्यक्ति अच्छी नीयत (Good Faith) से किसी व्यक्ति के खिलाफ कोई आरोप (Accusation) लगाता है और यह आरोप किसी ऐसे व्यक्ति को दिया जाता है, जिसे उस व्यक्ति पर कानूनी अधिकार (Lawful Authority) प्राप्त है, तो यह मानहानि नहीं होगी।
उदाहरण (Illustrations)
• यदि A मजिस्ट्रेट (Magistrate) के सामने Z के खिलाफ आरोप लगाता है, और यह आरोप अच्छे इरादे से है, तो A मानहानि के लिए दोषी नहीं होगा।
• अगर A किसी कर्मचारी (Employee) की शिकायत उसके मालिक (Employer) से करता है, तो यह भी मानहानि नहीं होगी।
• यदि A किसी बच्चे (Child) की शिकायत उसके पिता (Father) से करता है, तो यह भी मानहानि नहीं मानी जाएगी।
हालांकि, अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर झूठे आरोप (False Allegations) लगाता है, तो यह मानहानि (Defamation) हो सकती है।
अपवाद 9: अपने, किसी अन्य व्यक्ति या सार्वजनिक हित (Public Interest) की सुरक्षा के लिए आरोप लगाना मानहानि नहीं है
अगर कोई व्यक्ति किसी अन्य के चरित्र (Character) पर आरोप लगाता है, लेकिन यह आरोप अच्छी नीयत (Good Faith) से और किसी वैध उद्देश्य (Legitimate Purpose) के लिए लगाया जाता है, तो यह मानहानि नहीं होगी।
यह तीन स्थितियों में लागू होता है:
1. जब कोई व्यक्ति अपने हितों की रक्षा (Protection of Own Interests) के लिए ऐसा करता है।
2. जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के हितों की रक्षा (Protection of Others' Interests) के लिए ऐसा करता है।
3. जब कोई व्यक्ति जनहित (Public Good) में ऐसा करता है।
उदाहरण (Illustrations)
• अगर A एक दुकानदार (Shopkeeper) है और अपने कर्मचारी (Employee) B से कहता है, "Z को उधार में सामान मत देना, क्योंकि मैं उसकी ईमानदारी पर भरोसा नहीं करता।" चूंकि A अपनी दुकान के हित में यह कह रहा है, यह मानहानि नहीं होगी।
• अगर A एक मजिस्ट्रेट (Magistrate) है और वह अपने वरिष्ठ अधिकारी (Superior Officer) को Z के बारे में रिपोर्ट भेजता है, जिसमें Z को बेईमान बताया गया है, तो यह मानहानि नहीं होगी, अगर रिपोर्ट जनहित में और अच्छी नीयत से बनाई गई है।
लेकिन अगर कोई व्यक्ति दुर्भावनापूर्ण (Maliciously) तरीके से झूठा आरोप लगाता है, तो यह अपवाद लागू नहीं होगा और इसे मानहानि माना जाएगा।
अपवाद 10: अच्छे इरादे से किसी को चेतावनी (Caution) देना मानहानि नहीं है
अगर कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को अच्छी नीयत (Good Faith) से किसी तीसरे व्यक्ति के बारे में चेतावनी (Warning) देता है, तो यह मानहानि नहीं होगी, बशर्ते कि यह चेतावनी उस व्यक्ति की भलाई (Welfare) के लिए दी गई हो या जनहित (Public Good) में हो।
उदाहरण (Illustrations)
• अगर A, B को चेतावनी देता है कि Z उधार चुकाने में लापरवाह (Careless) है, और यह A ईमानदारी से मानता है, तो यह मानहानि नहीं होगी।
• अगर एक पूर्व नियोक्ता (Former Employer) किसी कर्मचारी के बारे में उसके संभावित नए नियोक्ता (New Employer) को सही जानकारी देता है, तो यह भी मानहानि नहीं होगी।
• अगर एक डॉक्टर (Doctor) किसी अस्पताल को बताता है कि एक सर्जन (Surgeon) लापरवाह है, तो यह भी मानहानि नहीं होगी, अगर यह अच्छी नीयत से किया गया हो।
धारा 356 के तहत मानहानि की सजा (Punishment for Defamation)
अब हम चर्चा करेंगे कि अगर कोई व्यक्ति मानहानि का दोषी पाया जाता है, तो उसे क्या सजा मिल सकती है।
धारा 356(2): सामान्य सजा (General Punishment)
अगर कोई व्यक्ति मानहानि करता है, तो उसे:
• दो साल तक की साधारण कैद (Simple Imprisonment), या
• जुर्माना (Fine), या
• दोनों (Both), या
• सामुदायिक सेवा (Community Service) की सजा दी जा सकती है।
धारा 356(3): मानहानिकारक सामग्री को छापना (Printing or Engraving Defamatory Material)
अगर कोई व्यक्ति मानहानिकारक सामग्री (Defamatory Content) जानबूझकर छापता या उत्कीर्ण (Engraves) करता है, तो उसे:
• दो साल तक की साधारण कैद (Simple Imprisonment), या
• जुर्माना (Fine), या
• दोनों (Both) की सजा हो सकती है।
धारा 356(4): मानहानिकारक सामग्री बेचना (Selling Defamatory Material)
अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर मानहानिकारक सामग्री बेचता या बेचने की पेशकश करता है, तो उसे भी:
• दो साल तक की साधारण कैद, या
• जुर्माना, या
• दोनों की सजा हो सकती है।
इस लेख में, हमने मानहानि के अपवादों और इसके लिए दी जाने वाली सजा को विस्तार से समझाया। यह कानून अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Freedom of Speech) और किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा (Reputation) के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।