उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 भाग:18 इस अधिनियम के अंतर्गत मुकदमा दर्ज करने हेतु लगने वाली कोर्ट फीस
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 (The Consumer Protection Act, 2019) के तहत बनाए गए नियम शिकायत दायर करने के लिए शुल्क के संबंध में उल्लेख करते हैं। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है। इस अधिनियम के अंतर्गत यह प्रयास किया गया है कि एक उपभोक्ता को शीघ्र और सरल तथा सस्ता न्याय मिल सके।
सिविल न्यायालय में कोई भी मुकदमा दर्ज करने हेतु अत्यधिक कोर्ट फीस लगती है। इस कोर्ट फीस के कारण अनेक लोग सिविल न्यायालय में मुकदमा दर्ज भी नहीं कर पाते हैं। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत एक लाभ यह है कि यहां कोर्ट फीस अत्यंत कम है। छोटे मामलों में तो कोर्ट फीस है ही नहीं। इस आलेख के अंतर्गत उस सारणी को प्रस्तुत किया जा रहा है जो शिकायत दर्ज करते समय लगने वाले शुल्क का उल्लेख करती है।
उपभोक्ता संरक्षण उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग नियम 2020 के नियम 7 के अंतर्गत शिकायत दर्ज किए जाने के शुल्क के संबंध में निम्न उल्लेख किया गया है:-
शिकायत दायर करने के लिए शुल्क (1) धारा 35 की उपधारा (1) अथवा 47 की उपधारा (1) के खंड (क) के उपखंड (i) और (ii) अथवा धारा 58 की उपधारा (1) के दंड (क) के उपखंड (i) और (ii) के अधीन दायर की गई प्रत्येक शिकायत के साथ जिला आयोग के अध्यक्ष अथवा राज्य आयोग के पंजीयक अथवा राष्ट्रीय आयोग के पंजीयक, जैसा भी मामला हो, के पक्ष में किसी राष्ट्रीयकृत बैंक पर देय रेखांकित डिमांड ड्राफ्ट के रूप में अथवा रेखांकित भारतीय पोस्टल ऑर्डर, जो उस स्थान पर देय हो जहां जिला आयोग, राज्य आयोग अथवा राष्ट्रीय आयोग स्थित है, के माध्यम से अथवा संबंधित आयोग द्वारा की गई व्यवस्था के अनुसार इलेक्ट्रानिक मोड के माध्यम से शुल्क, जैसा कि नीचे दी गई सारणी में विनिर्दिष्ट है, जमा करना होगा।
(2) जिला आयोग अथवा राज्य आयोग, जैसा भी मामला हो, उपनियम (1) के अधीन उनके द्वारा प्राप्त की गई शुल्क की राशि को राज्य के उपभोक्ता कल्याण कोष और जहां ऐसा उपभोक्ता कल्याण स्थापित नहीं है, राज्य सरकार के उपयुक्त खाते में जमा कराएंगे, तथा राष्ट्रीय आयोग उसके द्वारा प्राप्त की गई ऐसी राशि को केन्द्रीय सरकार के उपभोक्ता कल्याण कोष में जमा कराएंगे।
जिला आयोग के समक्ष कोर्ट फीस
1- पांच लाख रुपए तक (शून्य)
2- पांच से दस लाख तक (200 रुपए)
3- दस लाख से बीस लाख तक (400 रुपए)
4- बीस लाख से पचास लाख तक (1000 रुपए)
5- पचास लाख से एक करोड़ तक (2000 रुपए)
राज्य आयोग के समक्ष कोर्ट फीस
1- एक करोड़ से दो करोड़ तक (2500 रुपए)
2- दो करोड़ से चार करोड़ तक (3000 रुपए)
3- चार करोड़ से छः करोड़ तक (4000 रुपए)
4- छः करोड़ से आठ करोड़ तक (5000 रुपए)
5- आठ करोड़ से दस करोड़ तक (6000 रुपए)
राष्ट्रीय आयोग के समक्ष-
1- दस करोड़ से ऊपर के लिए( 7500 रुपए)