क्या फ्लैट खरीदार को देर से कब्ज़ा मिलने पर Consumer Law के तहत Refund और Compensation मिल सकता है?

Experion Developers Pvt. Ltd. बनाम Sushma Ashok Shiroor (2022) में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय उन अहम कानूनी और संवैधानिक (Constitutional) सवालों को छूता है जो खासकर Real Estate विवादों में उपभोक्ताओं (Consumers) के अधिकारों से जुड़े हैं।
इस फैसले में कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि अगर कोई Homebuyer, जो कि एक Consumer है, उसे फ्लैट का कब्जा समय पर नहीं मिलता, तो वह Consumer Protection Act, 1986 के तहत Refund और Compensation की मांग कर सकता है, भले ही RERA (Real Estate Regulation and Development Act, 2016) के तहत भी Remedy मौजूद हो।
यह निर्णय इस बात को भी केंद्र में रखता है कि Consumer Forums के पास अनुचित (One-sided) Agreement Clauses को दरकिनार करने और न्याय (Justice) के अनुसार उचित राहत देने की शक्ति है।
Consumer Protection Act और RERA के तहत समानांतर (Concurrent) Remedy
इस केस में सबसे बड़ा सवाल यही था कि क्या RERA में Remedy होने के बावजूद एक Consumer Consumer Protection Act के तहत शिकायत कर सकता है?
सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि दोनों कानून अलग-अलग और स्वतंत्र (Independent) रूप से लागू होते हैं। Court ने Imperia Structures Ltd. बनाम Anil Patni (2020) 10 SCC 783 में दिए गए फैसले का हवाला दिया, जिसमें यही कहा गया था कि Consumer Protection Act और RERA एक-दूसरे के विरोध में नहीं हैं।
Section 18 of RERA में यह बताया गया है कि अगर कोई Promoter समय पर Possession नहीं देता, तो उसे Buyer का पैसा वापस करना होगा, साथ ही Interest देना होगा। इस Section में लिखा है कि यह Remedy "without prejudice to any other remedy available" है, यानी Consumer के पास अन्य Remedies भी बनी रहती हैं। कोर्ट ने इस भाषा की व्याख्या करते हुए कहा कि Consumer Forums में शिकायत करना पूरी तरह से वैध (Valid) है।
Refund और Compensation देने की शक्ति (Jurisdiction to Order Refund and Compensation)
Court ने यह दोहराया कि Consumer Forums को Section 14 of Consumer Protection Act के तहत Refund और Compensation देने की पूरी शक्ति है। “Deficiency” की परिभाषा Section 2(g) में दी गई है, जिसमें सेवा में किसी भी प्रकार की कमी या देरी को शामिल किया गया है।
इसलिए अगर किसी Builder ने समय पर Possession नहीं दिया, तो यह एक Deficiency of Service माना जाएगा और Consumer उसे Refund के साथ Interest की मांग कर सकता है। यह भी स्पष्ट किया गया कि Consumer चाहे तो सिर्फ Refund की मांग कर सकता है, सिर्फ Possession की मांग कर सकता है या दोनों की वैकल्पिक (Alternative) मांग कर सकता है।
One-Sided Agreement Clauses एक Unfair Trade Practice हैं
इस फैसले में Court ने उन अनुबंधों (Agreements) को भी गंभीरता से देखा, जिन्हें Builder अपनी शर्तों पर तैयार करता है और Buyer को मजबूरी में उन्हें बिना किसी बदलाव के साइन करना पड़ता है। Court ने कहा कि ऐसी One-Sided शर्तें Unfair Trade Practice होती हैं।
इस संबंध में Court ने Pioneer Urban Land and Infrastructure Ltd. बनाम Govindan Raghvan (2019) 5 SCC 725 का हवाला दिया। उसमें कहा गया था कि Flat Buyers को अक्सर मजबूरी में Agreement के एकतरफा नियमों को स्वीकार करना पड़ता है। इसीलिए ऐसे अनुबंध न्यायोचित (Just) नहीं माने जा सकते। Court ने यह भी कहा कि “किसी भी खरीदार को अनिश्चित काल तक Possession का इंतजार करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।”
कुछ अन्य महत्वपूर्ण निर्णय (Other Key Judgments)
Court ने कुछ और फैसलों का हवाला दिया जिनमें उपभोक्ताओं को राहत दी गई थी:
Wing Commander Arifur Rahman Khan v. DLF Southern Homes Pvt. Ltd. (2020) 16 SCC 512 में Court ने कहा कि अगर Delay Compensation Clause में बहुत कम रकम दी गई है, तो Consumer Forums इसे बढ़ा भी सकते हैं।
NBCC (India) Ltd. v. Shri Ram Trivedi (2021) 5 SCC 273 में Court ने कहा कि अगर Buyer को Delay के लिए बहुत कम Compensation मिले और Builder को Payment में देरी के लिए ज्यादा Interest लेना हो, तो यह पूरी तरह One-Sided और Unfair है।
IREO Grace Realtech Pvt. Ltd. v. Abhishek Khanna (2021) 3 SCC 241 में Court ने कहा कि Consumer Forum के पास यह अधिकार है कि वह किसी भी One-Sided Clause को Null and Void घोषित कर सके। Court ने कहा कि ऐसा Clause Unfair Trade Practice माना जाएगा और उसे मान्यता नहीं दी जा सकती।
Consumer Protection Act और RERA के नियमों का संतुलन (Harmonious Construction of Consumer and Real Estate Laws)
Court ने यह भी कहा कि इन दोनों कानूनों का उद्देश्य एक जैसा है – उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करना। इसलिए इन दोनों को एक-दूसरे के पूरक (Complementary) के रूप में पढ़ा जाना चाहिए, न कि विरोधाभासी (Contradictory) के रूप में।
Pioneer Urban v. Union of India (2019) 8 SCC 416 में Court ने कहा था कि अगर किसी मुद्दे पर दो कानून Remedies देते हैं, तो Courts को ऐसी व्याख्या करनी चाहिए जिससे Justice का मार्ग प्रशस्त हो। इसीलिए RERA के बावजूद, Consumer Protection Act के तहत Complaint करना पूरी तरह वैध है।
Refund पर Interest की गणना की तारीख (Start Date of Interest on Refund)
इस केस में एक और अहम मुद्दा यह था कि Refund पर Interest किस तारीख से मिलना चाहिए।
Commission ने Interest अंतिम Payment की तारीख से देना तय किया था, लेकिन Supreme Court ने इसे संशोधित (Modify) करते हुए कहा कि हर Payment की तारीख से Interest मिलना चाहिए, तभी यह उचित Compensation माना जाएगा। Court ने DLF Homes Panchkula Pvt. Ltd. v. DS Dhanda (2020) 16 SCC 318 का हवाला देकर यह तय किया।
हालांकि Buyer ने 24% Interest की मांग की थी, लेकिन Court ने 9% को उचित (Reasonable) मानते हुए उसे ही लागू किया।
Experion Developers Pvt. Ltd. बनाम Sushma Ashok Shiroor का निर्णय Consumer Protection के क्षेत्र में मील का पत्थर (Milestone) है। इसने यह स्पष्ट कर दिया कि एक Homebuyer, जिसने Real Estate में Investment किया है, अगर उसे समय पर Possession नहीं मिलता तो वह RERA के अलावा भी Consumer Protection Act के तहत Refund और Compensation मांग सकता है।
यह निर्णय उन Buyers के हक में है जो प्रायः बड़ी Real Estate Companies के मुकाबले कमजोर स्थिति में होते हैं। यह Judgment Courts की उस संवैधानिक (Constitutional) जिम्मेदारी को भी उजागर करता है कि वह नागरिकों को न्याय तक पहुंच सुनिश्चित करे, चाहे Remedy किसी भी कानून में क्यों न हो।
Homebuyers के लिए अब यह कानूनी स्थिति पूरी तरह स्पष्ट है कि वे RERA और Consumer Law दोनों के तहत न्याय पाने का हक रखते हैं और उनके अधिकारों की रक्षा करना Judiciary की ज़िम्मेदारी है।