बहरी और गूंगी रेप पीड़िता के बयान कैसे दर्ज हो ,बॉम्बे हाईकोर्ट ने बताया [आर्डर पढ़े]
बॉम्बे हाईकोर्ट ने बलात्कार के एक मामले को इस आधार पर ट्रायल कोर्ट के पास वापस भेज दिया क्योंकि साक्ष्य अधिनियम की धारा 119 के प्रावधानों पर विचार किए बिना ही बहरी और गूंगी पीड़िता के बयान दर्ज किए गए थे।
साक्ष्य अधिनियम की धारा 119 के अनुसार जब गवाह मौखिक रूप से संवाद करने में असमर्थ होता है तो अदालत ऐसे व्यक्ति का बयान दर्ज करने में एक दुभाषिए या विशेष शिक्षक की सहायता लेगी और इस तरह के बयान की वीडियोग्राफी की जाएगी।
राजस्थान राज्य बनाम दर्शन सिंह @ दर्शन लाल के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने गवाह के बहरे और गूंगे होने पर बयान लेने की विधि बताई है। अदालत ने कहा था:
"कुल मिलाकर, बहरा और गूंगा व्यक्ति एक सक्षम गवाह है। यदि न्यायालय की राय में उसे/उसके लिए शपथ दिलाई जा सकती है तो ऐसा किया जाना चाहिए। ऐसा गवाह, यदि पढ़ने और लिखने में सक्षम है तो उसे लिखित रूप में प्रश्न देने और लिखित में जवाब मांगने के लिए बयान को रिकॉर्ड करना वांछनीय है। "
अदालत ने आगे कहा, "यदि गवाह पढ़ने और लिखने में सक्षम नहीं है तो आवश्यक होने पर उसका बयान दुभाषिए की सहायता से सांकेतिक भाषा में दर्ज किया जा सकता है। यदि दुभाषिया प्रदान किया जाता है तो उसे उसी के आसपास का व्यक्ति होना चाहिए लेकिन मामले में उसकी कोई दिलचस्पी नहीं होनी चाहिए और उसे शपथ दिलाई जानी चाहिए।"
"न्यायाधीश, बधिर और गूंगे व्यक्ति की सांकेतिक भाषा को समझने और उसकी व्याख्या करने की क्षमता को रिकॉर्ड करेगा। न्यायाधीश गवाहों को सही ढंग से व्याख्या करने और पीड़ित द्वारा अदालत को दिए गए जवाबों के लिए दुभाषिए को शपथ दिलाएगा। एक बार ऐसा करने के बाद सबूत दर्ज किए जाएंगे और उसकी वीडियोग्राफी भी की जाएगी। मामले का अभियोजन पक्ष सबूतों की वीडियोग्राफी की व्यवस्था करेगा।"