क्या आवासीय परिसरों को अधिवक्ताओं के कार्यालय के लिए उपयोग किया जा सकता है?

Update: 2019-06-06 15:51 GMT

अधिवक्ताओं के कार्यालय को एक आवासीय स्थान से संचालित किया जा सकता है, क्योंकि इसे व्यावसायिक गतिविधि के रूप में नहीं माना जाता है। हालांकि, यह स्थानीय कानूनों द्वारा लगाए गए क्षेत्र प्रतिबंधों के अधीन है।

कानूनी पेशा कोई व्यावसायिक गतिविधि (commercial activity) नहीं है। बल्कि, यह एक पेशेवर गतिविधि (professional activity) के रूप में माना जाता है, जो व्यवसाय, व्यापार या वाणिज्य से अलग है।
सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के कई निर्णय हैं, जो इस अंतर को स्पष्ट करते हैं। चूंकि एक वकील की सेवा विशिष्ट ज्ञान, कौशल और अनुभव पर आधारित होती है, जो बहुत ही व्यक्ति-विशेष होती है, इसलिए इसे एक 'पेशेवर सेवा' के रूप में माना जाता है।
ससिधरन बनाम पीटर और करुणाकर (AIR 1984 SC 1700) के मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा था कि एक वकील का कार्यालय 'व्यावसायिक प्रतिष्ठान' नहीं है, जिसे दुकानें और प्रतिष्ठान अधिनियम के तहत पंजीकरण की आवश्यकता हो। अदालत ने कहा कि इस निष्कर्ष को सही ठहराने के लिए किसी मजबूत तर्क की आवश्यकता नहीं है कि एक वकील का कार्यालय या वकीलों का एक फर्म, 'दुकान' नहीं है।

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की डिवीजन बेंच ने शिव नारायण और अन्य बनाम एम.पी. बिजली बोर्ड और अन्य
(AIR 1999 MP 246)
के मामले में कहा कि वाणिज्यिक दर (commercial rate) पर बिजली ऊर्जा की खपत के भुगतान के लिए "वाणिज्यिक" शीर्षक के तहत अधिवक्ता का वर्गीकरण, भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 के सापेक्ष मनमाना, तर्कहीन और इसके अल्ट्रा वायर्स है।"... पेशेवर गतिविधि के मामले में, किसी व्यक्ति को वाणिज्यिक या व्यावसायिक गतिविधि के ठीक विपरीत, जहां कुछ सामानों की बिक्री के लिए नियोक्ता या उनके कर्मचारियों के सक्रिय सहयोग से या लाभ के उद्देश्य से लेनदेन किया जाता है, अपने पेशेवर कौशल (professional skill) का इस्तेमाल करना होता है। पेशे के मामले में, एक व्यक्ति आजीविका के लिए काम करता है और सिर्फ लाभ के उद्देश्य के लिए नहीं
", पेशे और वाणिज्य के बीच के अंतर को समझाते हुए, मध्य-प्रदेश उच्च न्यायालय ने देखा।
इस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपील के रूप में चुनौती दी गई थी। बिजली बोर्ड द्वारा नई दिल्ली नगरपालिका परिषद बनाम सोहन लाल सचदेव (मृत) rep. by (प्रतिनिधित्व) श्रीमती हिरिंदर सचदेव [(2002) 2 एससीसी 494] के फैसले को अदालत के संज्ञान में लाया गया। उस निर्णय में यह कहा गया था कि, यह देखते हुए कि यदि उपयोग घरेलू नहीं है, तो यह वाणिज्यिक है, गेस्ट हाउस के रूप में इस्तेमाल की जाने वाली एक इमारत को एक व्यावसायिक प्रतिष्ठान (commercial establishment) माना जायेगा.
जस्टिस अरिजीत पसायत और जस्टिस एच. के. सेमा की डिवीजन बेंच ने अधिवक्ताओं के कार्यालय को घरेलू बिजली दरों की प्रयोज्यता के संबंध में मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के निष्कर्षों की मंजूरी दी।

"एक पेशेवर गतिविधि, एक व्यक्ति द्वारा अपने व्यक्तिगत कौशल और बुद्धिमत्ता के इस्तेमाल द्वारा की जाने वाली गतिविधि होनी चाहिए। इसलिए एक पेशेवर गतिविधि और एक वाणिज्यिक चरित्र की गतिविधि के बीच यह एक मौलिक अंतर है," यह देखा गया।
हालांकि, डिवीजन बेंच ने हिरिंदर सचदेव मामले में की गयी टिप्पणियों के बारे में असहमति जताई कि सभी गैर-घरेलू गतिविधियों को वाणिज्यिक माना जाता है, और इस मामले को विचार के लिए एक बड़ी बेंच को भेजा गया।
2000 के सिविल अपील नंबर 1065 में दिए गए फैसले में सुप्रीम कोर्ट की बड़ी पीठ ने दिनांक 27.10.2005 को यह देखा कि यह मुद्दा, कि क्या अधिवक्ता एक वाणिज्यिक गतिविधि में शामिल था, हिरिंदर सचदेव के फैसले से संबंधित सवाल नहीं था। अदालत ने
हिरिंदर सचदेव
के निर्णय को सही निर्णय माना, क्योंकि वहाँ किया गया भेद, वैधानिक परिभाषा पर आधारित था। बड़ी पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि यह फैसला इस सवाल पर नहीं गया कि क्या एक वकील का वाणिज्यिक गतिविधि में शामिल होना कहा जा सकता है या नहीं।

तो, मध्य प्रदेश उच्च न्यायलय का निष्कर्ष, कि एक वकील का काम या उसकी गतिविधि एक वाणिज्यिक गतिविधि नहीं है, इसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय किया हुआ माना जा सकता है।
राजस्थान उच्च न्यायालय की जयपुर बेंच की खंडपीठ ने
जे.वी.वी.एन. लिमिटेड और अन्य बनाम श्रीमती परिनितो जैन और अन्य (AIR 2009 राजस्थान 110)
के मामले में यह देखा कि अपने निवास से कार्यालय चलाने वाले एक वकील से व्यावसायिक आधार पर अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जा सकता है। हालाँकि, यदि कार्यालय एक स्वतंत्र वाणिज्यिक स्थान पर चलाया जाता है, तो अधिवक्ता को वाणिज्यिक शुल्क से छूट नहीं दी जा सकती है। निवास स्थान पर कार्यालय एवं व्यावसायिक स्थान पर कार्यालय के बीच एक अंतर किया गया है। इसके बाद मद्रास उच्च न्यायालय ने
के. कानागासबाई बनाम अधीक्षण अभियंता
के मामले में भी इसी आधार पर निर्णय दिया।
'व्यावसायिक भवन' के रूप में अधिवक्ताओं के कार्यालय पर कोई संपत्ति कर (property tax) नहीं

दिल्ली उच्च न्यायालय ने बी. एन. मैगॉन बनाम दक्षिण दिल्ली नगर निगम मामले में कहा है कि कार्यालय चलाने के लिए एक वकील द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली आवासीय संपत्ति, कर (Tax) के प्रयोजनों के लिए 'व्यावसायिक भवन' नहीं बन जाएगी। अदालत द्वारा यह निर्णय, यह देखते हुए दिया गया कि, दिल्ली के मास्टर प्लान 2021 ने वकील, डॉक्टर, चार्टर्ड अकाउंटेंट, आर्किटेक्ट आदि की व्यावसायिक गतिविधियों के लिए आवासीय परिसर के उपयोग की अनुमति दी है, हालाँकि ऐसी व्यवस्था इस शर्त पर है कि पेशेवर स्पेस, उस क्षेत्र के लिए अनुमेय एफएआर (permissible FAR) के 50% से अधिक नहीं होना चाहिए।
डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन पंचकूला बनाम स्टेट ऑफ हरियाणा (AIR 2015 P & H 13) में पंजाब एवं हरियाणा डिवीजन बेंच ने हरियाणा अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी के नियमों को रद्द कर दिया, जिसमें एक वकील द्वारा कार्यालय के रूप में उपयोग के लिए आवंटित आवासीय परिसर का उपयोग करने के लिए एक शुल्क निर्धारित किया गया था। प्राधिकरण ने आवासीय उपयोग को वाणिज्यिक में बदलने के लिए यह स्टैंड लिया था। HUDA विनियमन ने ऐसी व्यावसायिक गतिविधियों के लिए निर्मित क्षेत्र के 25% के उपयोग की अनुमति दी थी। हालांकि, प्राधिकरण ने व्यावसायिक उपयोग के लिए आवासीय परिसर के उपयोग की अनुमति देने के लिए एक शुल्क लगाया, जिसे उच्च न्यायालय द्वारा रद्द कर दिया गया था।

"हमने HUDA के लिए पेश वरिष्ठ वकील के लिए एक प्रश्न रखा है कि यदि एक प्रसिद्ध लेखक एक अध्ययन करता है जिसका उपयोग वह एक किताब लिखने के लिए करता है, और यह उसकी कमाई का स्रोत है, तो क्या इसे गैर-आवासीय उपयोग कहा जा सकता है? वास्तव में इसका कोई संतोषजनक जवाब नहीं है क्योंकि एक वकील के व्यक्तिगत पेशे की गतिविधि भी उन पुस्तकों और कागजात के अध्ययन पर आधारित है, जिसके लिए वह स्पेस या परिसर का उपयोग करता है। यह एक महान पेशा है और इस संदर्भ में इसे वाणिज्य या व्यवसाय होना नहीं कहा जा सकता है
", न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने अवलोकन किया।
एक वकील के कानूनी पेशे की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए, HUDA विनियमों में निर्धारित सीमित स्थान का उपयोग, इस गतिविधि के चरित्र को वाणिज्यिक में नहीं बदल सकता है, खंडपीठ ने कहा।
जब केरल राज्य आवास बोर्ड के आवंटियों, जो वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए अपने आवासीय परिसर का उपयोग कर रहे थे, के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए केरल के उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी, तो अदालत ने अधिवक्ताओं के कार्यालयों के खिलाफ आदेश पारित करने से इनकार कर दिया, हालांकि अदालत द्वारा कई अन्य लोगों के खिलाफ निर्देश जारी किए गए थे जो अपने आवासीय परिसर का उपयोग, व्यावसायिक गतिविधियों के लिए कर रहे थे। अदालत ने यह कहा कि योजना के तहत प्रदान किए गए अपने निवास में अपने कार्यालय को ले जाने वाले एक वकील की गतिविधि को एक वाणिज्यिक गतिविधि नहीं कहा जा सकता है।
"... एक अपार्टमेंट में अपने कार्यालय के साथ एक पेशेवर के निवास को एक वाणिज्यिक गतिविधि के रूप में नहीं कहा जा सकता है", कोर्ट ने कहा।
स्थानीय कानूनों में प्रतिबंध

भवन अधिभोग (building occupancy) के संबंध में कई स्थानीय कानून उस स्थान पर प्रतिबंध लगाते हैं जिसका उपयोग आवासीय परिसर में व्यावसायिक गतिविधि के लिए किया जा सकता है। दिल्ली मास्टर प्लान में, जिसे मैगन बी मामले में देखा गया, आवासीय स्थान के एफएआर के 50% तक पेशेवर गतिविधि की अनुमति दी गयी है।
HUDA विनियमन के मामले में, यह निर्मित स्थान का 25% था। केरल म्युनिसिपल बिल्डिंग रूल्स में यह कहा गया है कि अधिवक्ताओं, डॉक्टरों, वास्तुकारों आदि के लिए छोटे व्यावसायिक स्थान, जो 50 वर्ग मीटर के फर्श के क्षेत्र से अधिक नहीं हैं और जिन्हें मुख्य आवासीय अधिभोग के हिस्से के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, उन्हें ही 'आवासीय भवन' के समूह में रखा जायेगा। ये नियम स्थानीय कानूनों के आधार पर भिन्न हो सकते हैं।
दिल्ली के संदर्भ में, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली प्रदेश नागरिक परिषद बनाम भारत संघ [(2006) 6 SCC 305] के मामले में यह आदेश दिया कि आवासीय परिसर में वास्तुकारों, चार्टर्ड एकाउंटेंटों, डॉक्टरों और वकीलों द्वारा भी व्यावसायिक गतिविधियों को 50% से अधिक अनुमत कवरेज पर नहीं किया जा सकता है, और किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा भी जो उस आवासीय परिसर का निवासी नहीं है।
अंत में, अधिवक्ताओं के कार्यालय को एक आवासीय स्थान से संचालित किया जा सकता है, क्योंकि इसे व्यावसायिक गतिविधि के रूप में नहीं माना जाता है। हालांकि, यह स्थानीय कानूनों द्वारा लगाए गए क्षेत्र प्रतिबंधों के अधीन है।

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