हाईकोर्ट ने MUDA मामले की जांच CBI को सौंपने की मांग वाली याचिका पर सीएम सिद्धारमैया से जवाब मांगा
कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार (5 नवंबर) को कथित मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) "घोटाले" की जांच को वर्तमान में लोकायुक्त पुलिस द्वारा केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंपने के निर्देश की मांग वाली याचिका में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का पक्ष मांगा।
जस्टिस एम नागप्रसन्ना की एकल न्यायाधीश पीठ ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया - जिसमें याचिकाकर्ता स्नेहमयी कृष्णा की याचिका में सीएम, उनकी पत्नी पार्वती और अन्य व्यक्ति शामिल हैं।
कोर्ट ने मामले को 26 नवंबर के लिए सूचीबद्ध किया।
हाईकोर्ट ने लोकायुक्त पुलिस को निर्देश दिया - जो विशेष अदालत द्वारा जांच करने के निर्देश के बाद मामले की जांच कर रही है - कि वह सुनवाई की अगली तारीख तक मामले में जांच का विवरण दाखिल करे। इसने प्रतिवादियों से अगली तारीख तक याचिका पर अपनी आपत्तियां दर्ज करने के लिए भी कहा।
कृष्णा की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट के जी राघवन ने सुनवाई के दौरान कहा,
"हमारा आरोप है कि इस तरह के मामले में जांच उस तरीके से नहीं की जा रही है, जिससे जांच में जनता का विश्वास बहाल हो सके। एक प्रक्रिया के रूप में जांच से जनता का विश्वास पैदा होना चाहिए, ऐसा नहीं किया गया।"
हाईकोर्ट ने 24 सितंबर को कथित घोटाले में मुख्यमंत्री के खिलाफ जांच/अभियोजन के लिए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17ए और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 218 के तहत मंजूरी देने के राज्यपाल के फैसले के खिलाफ सिद्धारमैया की याचिका खारिज की थी।
अगले दिन कृष्णा द्वारा दायर निजी शिकायत पर बेंगलुरु के स्पेशल कोर्ट ने मैसूर लोकायुक्त पुलिस को मामले की जांच करने का निर्देश दिया था। अदालत ने पुलिस को मामले की जांच करने और 90 दिनों के भीतर अदालत के समक्ष एक रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था।
केस टाइटल: स्नेहमयी कृष्णा और भारत संघ और अन्य